जय श्री कृष्ण 🚩
भगवान सूर्य देव की अलौकिक दर्शन❣️🌺🚩
Читать полностью…पंचमुखी हनुमान के अद्भुत अलौकिक दर्शन🙏🌺🚩
Читать полностью…जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥ 🙏🏻🌺🚩
Читать полностью…वैशाखे मेषगे भानौ प्रातःस्नानपरायणः।
अर्ध्य तेऽहं प्रदास्यामि गृहाण मधुसूदन ॥
" सूर्यके मेषराशिपर स्थित रहते हुए वैशाखमासमे प्रातःस्नानके नियममें संलग्न होकर मेँ आपको अर्ध्यं देता हूं। मधुसूदन! इसे ग्रहण कीजिये" ।
-स्कंद पुराण. वैशाख महत्मत्य। 🌺🚩
मोदक प्रेमी, बुद्धि के राजा, भगवान गणेश जी से बड़ा नहीं कोई सहारा
जय श्री गणेश 🔥
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
*🙏🏻 # श्री हरि # 🙏🏻*
🌤️ *दिनांक - 15 अप्रैल 2025*
🌤️ *दिन - मंगलवार*
🌤️ *विक्रम संवत - 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)*
🌤️ *शक संवत -1947*
🌤️ *अयन - उत्तरायण*
🌤️ *ऋतु - वसंत ॠतु*
🌤️ *मास - वैशाख (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार चैत्र)*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - द्वितीया सुबह 10:55 तक तत्पश्चात तृतीया*
🌤️ *नक्षत्र - विशाखा 16 अप्रैल रात्रि 03:10 तक तत्पश्चात अनुराधा*
🌤️ *योग - सिद्धि रात्रि 11:33 तक तत्पश्चात व्यतीपात*
🌤️ *राहुकाल - शाम 03:48 से शाम 05:23 तक*
🌤️ *सूर्योदय - 06:20*
🌤️ *सूर्यास्त - 06:56*
👉 *दिशाशूल - उत्तर दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण- व्यतीपात योग (रात्रि 11:33 से 16 अप्रैल रात्रि 12:19 तक*
💥 *विशेष द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए* 🌷
👉 *16 अप्रैल 2025 बुधवार को संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 09:52)*
🙏🏻 *शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :*
🌷 *ॐ गं गणपते नमः ।*
🌷 *ॐ सोमाय नमः ।*
🙏🅰️
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *चतुर्थी तिथि विशेष* 🌷
🙏🏻 *चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेश जी हैं।*
📆 *हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो चतुर्थी होती हैं।*
🙏🏻 *पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं।अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।*
🙏🏻 *शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥*
➡ *“ अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्षतक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है ।*
🙏🏻🅰️
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *कोई कष्ट हो तो* 🌷
🙏🏻 *हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |*
👉🏻 *छः मंत्र इस प्रकार हैं –*
🌷 *ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।*
🌷 *ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।*
🌷 *ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।*
🌷 *ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।*
🌷 *ॐ अविघ्नाय नम:*
🌷 *ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:*
📒🙏🏻🅰️
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
*क्यों मार देंगे? मैं बड़े साहब से बात करुँगा, बात सुनने के बाद मार देंगे तो मरने को तैयार हूँ।*
*कुदरत को भी ये फ़ैसला मंज़ूर था, बाहर बिन मौसम के बारिश होने लगी, बारिश ख़त्म हुई तब दोनों को होश आया, दोनों एक हो चुके थे, प्राची कपड़े समेटते हुए फ़ोटो ठीक कर रही थी*
*लखन जानते हो, आज उनसे इजाज़त ले ली थी मैंने। आज के बाद से वो मेरे पूज्य हैं और तुम्हारे साथ जीवन बिताना चाहती हूँ।*
*जब दोनों का मिलन हो रहा था तब घर के वफ़ादार नौकर ने सब देख लिया। वफ़ादारी भी दिखानी थी इसलिए बड़ी मालकिन के वापस आते ही सब सुना दिया। किचन के दरवाज़े के पिछे से छोटी ने भी सब सुन लिया और रात में पति को भी सब सुना दिया।*
*वैसे सुना तो बड़ी बहू ने भी दिया लेकिन पति को समझाया भी कि प्राची को भगवान ने जीने का एक और मौक़ा दिया है तो एक बार प्राची से भी बात की जाए। अगर सब राज़ी खुशी से हो जाए तो बेचारी का फिर से घर बस जाएगा।*
*सुबह लखन पहुँचा तो प्राची के छोटे भाई ने मार-मार कर अधमरा कर दिया। हल्ला सुन बड़े भैया और भाभी निकले तो देखा लखन ज़मीन पर गिरा हुआ है और प्राची अपने घुटनों में सर छुपा कर रो रही है। छोटा भाई लात भी चला रहा है और गाली-गलौज भी कर रहा है।*
*बड़ी भाभी ने देवर को पकड़ कर अलग किया और बड़े भैया लखन को उठा कर अंदर ले आए:*
*हाँ लखन, ऐसा क्यों किया तूने?*
*साहब, हम हिम्मत नहीं कर पाए लेकिन आपसे बात करने ही वाले थे।*
*तूने वर्षों का भरोसा तोड़ दिया।*
*नहीं साहब... प्राची जी को हम मान सम्मान से रखेंगे... अगर प्राची जी ने मना कर दिया तो आपका जूता और मेरा सर।*
*हाँ प्राची, तुम्हारा क्या कहना है?*
*भैया, एक बार ज़िंदगी ख़त्म हो चुकी है, दोबारा आपकी मर्ज़ी है।*
*छोटा भाई अभी भी ग़ुस्से में था, बड़े भाई ने समझाया:*
*छोटे, अगर छुटकी खुश रहेगी तो तुम भी आशीर्वाद र्दे दो।*
*थोड़ा समझाने के बाद छोटा भाई भी मान गया।*
*छोटे भाई ने नौकर को आवाज़ लगाई और मंदिर चलने की तैयारी करने को कहा। पत्नी और भाभी को भी कहा की छुटकी की शादी आज ही करानी है, आप लोग खुद भी सजिए और छुटकी को भी सजाईए, तब तक मैं होने वाले जीजाजी के लिए दुल्हे का कपड़ा ले कर आता हूँ।*
*शादी होने के बाद उसी शहर में ख़ाली पड़ा फ़्लैट लखन और प्राची को दे दिया गया। लखन ज़्यादा पढ़ा तो था नहीं इसलिए कंपनी में सिक्योरिटी का हेड बना दिया गया लेकिन लखन का मन नहीं माना। इसलिए बड़े साहब को आज भी गाड़ी से लाता ले जाता है और बाक़ी बचे समय में कंपनी में सिक्योरिटी के हेड का काम करता है। लखन का ध्यान टूटा तो बड़बड़ाने लगा:*
*अरे बड़े भाई साहब को बताना पड़ेगा नहीं तो वो इंतज़ार करेंगे।*
*हैल्लो बड़े भैया।*
*हाँ लखन क्या हुआ?*
*आज नहीं आ पाऊँगा भैया, आज हमारी शादी की सालगिरह है।*
*हाँ पगले, तुम हो कहाँ? हम लोग तुम्हारे घर आए हैं और तुम ही नहीं हो?*
*वो... वो... भैया...*
*गिफ़्ट लेने गए हो? जल्दी आ जाओ।*
*उधर से सबके हँसने की आवाज़ आने लगी और इधर लखन शरमाने लगा।*
*(((ॐ शान्ति )))*
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*⚜️ आज का प्रेरक प्रसंग ⚜️*
*💐💐अपनी क्षमता पहचानो 💐💐*
एक गाँव में एक आलसी आदमी रहता था, वह कुछ काम-धाम नहीं करता था बस दिन भर निठल्ला बैठकर सोचता रहता था कि किसी तरह कुछ खाने को मिल जाये
एक दिन वह यूं ही घूमते-घूमते आम के एक बाग़ में पहुँच गया वहाँ रसीले आमों से लदे कई पेड़ थे रसीले आम देख उसके मुँह में पानी आ गया और आम तोड़ने वह एक पेड़ पर चढ़ गया, लेकिन जैसे ही वह पेड़ पर चढ़ा, बाग़ का मालिक वहाँ आ पहुँचा।
बाग़ के मालिक को देख आलसी आदमी डर गया और जैसे-तैसे पेड़ से उतरकर वहाँ से भाग खड़ा हुआ भागते-भागते वह गाँव के बाहर स्थित जंगल में जा पहुँचा, वह बुरी तरह से थक गया था इसलिए एक पेड़ के नीचे बैठकर सुस्ताने लगा।
तभी उसकी नज़र एक लोमड़ी पर पड़ी, उस लोमड़ी की एक टांग टूटी हुई थी और वह लंगड़ाकर चल रही थी लोमड़ी को देख आलसी आदमी सोचने लगा कि ऐसी हालत में भी जंगली जानवरों से भरे जंगल में ये लोमड़ी बच कैसे गई? इसका अब तक शिकार कैसे नहीं हुआ?
जिज्ञासा में वह एक पेड़ पर चढ़ गया और वहाँ बैठकर देखने लगा कि अब इस लोमड़ी के साथ आगे क्या होगा?
कुछ ही पल बीते थे कि पूरा जंगल शेर की भयंकर दहाड़ से गूंज उठा, जिसे सुनकर सारे जानवर डरकर भागने लगे, लेकिन लोमड़ी अपनी टूटी टांग के साथ भाग नहीं सकती थी, वह वहीं खड़ी रही
शेर लोमड़ी के पास आने लगा, आलसी आदमी ने सोचा कि अब शेर लोमड़ी को मारकर खा जायेगा, लेकिन आगे जो हुआ, वह कुछ अजीब था।
शेर लोमड़ी के पास पहुँचकर खड़ा हो गया, उसके मुँह में मांस का एक टुकड़ा था, जिसे उसने लोमड़ी के सामने गिरा दिया लोमड़ी इत्मिनान से मांस के उस टुकड़े को खाने लगी, थोड़ी देर बाद शेर वहाँ से चला गया।
यह घटना देख आलसी आदमी सोचने लगा कि भगवान सच में सर्वेसर्वा हैं, उसने धरती के समस्त प्राणियों के लिए, चाहे वह जानवर हो या इंसान, खाने-पीने का प्रबंध कर रखा है, वह अपने घर लौट आया।
घर आकर वह 2-3 दिन तक बिस्तर पर लेटकर प्रतीक्षा करने लगा कि जैसे भगवान ने शेर के द्वारा लोमड़ी के लिए भोजन भिजवाया था, वैसे ही उसके लिए भी कोई न कोई खाने-पीने का सामान ले आएगा।
लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, भूख से उसकी हालात ख़राब होने लगी आख़िरकार उसे घर से बाहर निकलना ही पड़ा घर के बाहर उसे एक पेड़ के नीचे बैठे हुए बाबा दिखाए पड़े वह उनके पास गया और जंगल का सारा वृतांत सुनाते हुए वह बोला, “बाबा जी! भगवान मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं? उनके पास जानवरों के लिए भोजन का प्रबंध है, लेकिन इंसानों के लिए नहीं.
बाबा जी ने उत्तर दिया, “बेटा! ऐसी बात नहीं है, भगवान के पास सारे प्रबंध है दूसरों की तरह तुम्हारे लिए भी, लेकिन बात यह है कि वे तुम्हें लोमड़ी नहीं शेर बनाना चाहते हैं.
*तात्पर्य:-*💐💐💐💐
*हम सबके भीतर क्षमताओं का असीम भंडार है, बस अपनी अज्ञानतावश हम उन्हें पहचान नहीं पाते और स्वयं को कमतर समझकर दूसरों की सहायता की प्रतीक्षा करते रहते हैं स्वयं की क्षमता पहचानिए। दूसरों की सहायता की प्रतीक्षा मत करिए इतने सक्षम बनिए कि आप दूसरों की सहायता कर सकें.*
*।। जय सियाराम जी।।*
*।। ॐ नमः शिवाय।।*
🌻♦️ *सत्य वचन*♦️🌻
*हर दुख एक सबक देता है*
*और हर सबक इंसान को बदल देता है।।*
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*मनुष्य की सोच और विचारधारा समय के साथ परिवर्तित होती रहती है।*
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*बड़प्पन वह गुड़ है,*
*जो पद से नहीं संस्कारों से प्राप्त होता है..!!*
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*बार बार धोखे को माफ मत करिए..*
*वरना आगे वाला व्यक्ति आपको मूर्ख समझने लग जाएगा।।*
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*(((ॐ शान्ति )))*
*इस अवस्था में अधिष्ठित व्यक्ति निरंतर कर्म करते हुए भी थकता नहीं। इस अवस्था में काम और आराम एक ही बिंदु पर मिल जाते हैं। इस अवस्था को प्राप्त कर लिया, तो हो गए जीवन रहते जीवन-मुक्त। इस अवस्था में व्यक्ति को स्थूल शरीर या इंद्रियों की आवश्यकता नहीं रहती। वह इनके बगैर भी सबकुछ कर सकता है। चेतना की तुरीयातीत अवस्था को ही सहज-समाधि भी कहते हैं।*
*भगवत चेतना ----♦️ तुरीयातीत की अवस्था में रहते-रहते भगवत चेतना की अवस्था बिना किसी साधना के प्राप्त हो जाती है। इसके बाद का विकास सहज, स्वाभाविक और निस्प्रयास हो जाता है।इस अवस्था में व्यक्ति से कुछ भी छुपा नहीं रहता और वह संपूर्ण जगत को भगवान की सत्ता मानने लगता है। यह एक महान सिद्ध योगी की अवस्था है ।*
*ब्राह्मी चेतना ♦️*
*--- भगवत चेतना के बाद व्यक्ति में ब्राह्मी चेतना का उदय होता है अर्थात कमल का पूर्ण रूप से खिल जाना। भक्त और भगवान का भेद मिट जाना। अहम् ब्रह्मास्मि और तत्वमसि अर्थात मैं ही ब्रह्म हूं और यह संपूर्ण जगत ही मुझे ब्रह्म नजर आता है।*
*इस अवस्था को ही योग में समाधि की अवस्था कहा गया है मतलब जीते-जी मोक्ष।*
*(((ॐ शान्ति )))*
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*💐"संगठन का महत्व"💐*
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एक आदमी था जो हमेशा अपने संगठन (ग्रुप) में सक्रिय रहता था । उसको सभी जानते थे , बड़ा मान सम्मान मिलता था, अचानक किसी कारण वश वह निष्क्रिय रहने लगा मिलना-जुलना बंद कर दिया और संगठन से दूर हो गया।
कुछ सप्ताह पश्चात् एक बहुत ही ठंडी रात में उस संगठन के मुखिया ने उससे मिलने का फैसला किया ।
मुखिया उस आदमी के घर गया और पाया कि आदमी घर पर अकेला ही था। एक सिगड़ी / बोरसी (अलाव) में जलती हुई लकड़ियों की लौ के सामने बैठा आराम से आग ताप रहा था।
उस आदमी ने आगंतुक मुखिया का बड़ी खामोशी से स्वागत किया।
दोनों चुपचाप बैठे रहे। केवल आग की लपटों को ऊपर तक उठते हुए ही देखते रहे।
कुछ देर के बाद मुखिया ने बिना कुछ बोले उन अंगारों में से एक लकड़ी जिसमें लौ उठ रही थी (जल रही थी) उसे उठाकर किनारे पर रख दिया।
और फिर से शांत बैठ गया।
मेजबान हर चीज़ पर ध्यान दे रहा था। लंबे समय से अकेला होने के कारण मन ही मन आनंदित भी हो रहा था कि वह आज अपने संगठन के मुखिया के साथ है।
लेकिन उसने देखा कि अलग की हुई लकड़ी की आग की लौ धीरे धीरे कम हो रही है। कुछ देर में आग बिल्कुल बुझ गई। उसमें कोई ताप नहीं बचा। उस लकड़ी से आग की चमक जल्द ही बाहर निकल गई।
कुछ समय पूर्व जो उस लकड़ी में उज्ज्वल प्रकाश था और आग की तपन थी वह अब एक काले और मृत टुकड़े से ज्यादा कुछ शेष न था।
इस बीच.. दोनों मित्रों ने एक दूसरे का बहुत ही संक्षिप्त अभिवादन किया कम से कम शब्द बोले।
जाने से पहले मुखिया ने अलग की हुई बेकार लकड़ी को उठाया और फिर से आग के बीच में रख दिया। वह लकड़ी फिर से सुलग कर लौ बनकर जलने लगी और चारों ओर रोशनी तथा ताप बिखेरने लगी।
जब आदमी मुखिया को छोड़ने के लिए दरवाजे तक पहुंचा तो उसने मुखिया से कहा मेरे घर आकर मुलाकात करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।
आज आपने बिना कुछ बात किए ही एक सुंदर पाठ पढ़ाया है कि अकेले व्यक्ति का कोई अस्तित्व नहीं होता संगठन का साथ मिलने पर ही वह चमकता है और रोशनी बिखेरता है संगठन से अलग होते ही वह इस लकड़ी की भाँति बुझ जाते है।
*Shown Fact Reality*
संगठन या एक दुसरे के साथ से ही हमारी पहचान बनती है इसलिए संगठन हमारे लिए सर्वोपरी होना चाहिए ।
*Shown Our Pleasure*
संगठन के प्रति हमारी निष्ठा और समर्पण किसी व्यक्ति के लिए नहीं उससे जुड़े विचार के प्रति होनी चाहिए।
*Shown Some Priority*
संगठन किसी भी प्रकार का हो सकता है जैसे - पारिवारिक, सामाजिक, धार्मिक, व्यापारिक, सेवा संस्थान आदि।
संगठन के बिना मानव-जीवन अधूरा है । अतः हर क्षेत्र में जहाँ भी रहें संगठित रहें ! अतः हमारा संगठन बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।
आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।
*(((भूल चूक क्षमा)))*
हाथ खुला रहने और खर्च भी अचानक होने से थोड़ी असहजता रहेगी परन्तु स्थिति पूर्ण रूप से आपके नियंत्रण में ही रहेगी। भाग्योन्नति के योग बनेगे। परिवार में प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। सेहत मे सुधार रहेगा।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज के दिन आपको प्रत्येक कार्य में सावधानी रखने की सलाह है। जल्दबाजी में लिए गए निर्णय के कारण धन के साथ सम्मान की भी हानि हो सकती है। कार्य क्षेत्र पर अप्रिय घटनाओं के कारण दुविधा की स्थिति बनेगी व्यवसायी वर्ग बना बनाया अनुबंध अचानक निरस्त होने से परेशान हो सकते है। आर्थिक दृष्टिकोण से दिन निराश करेगा आवश्यकता के समय उधार भी नही मिलेगा। घर मे भी किसी पारिवारिक सदस्य के गलत आचरण से मन दुखी रहेगा मन में गलत विचार की भरमार रहने से सेहत पर बुरा असर पड़ेगा। सर अथवा अन्य शारीरिक अंग निष्क्रिय होते अनुभव होंगे। धैर्य से दिन बिताएं।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज आप सब सुविधा मिलने के बाद भी उदासीनता युक्त जीवन जीयेंगे। महात्त्वकांक्षाये आज अन्य दिनों की तुलना में बढ़ी हुई रहेंगी निनके पूर्ण ना होने पर अंदर से मन दुखी रहेगा फिर भी इसका प्रदर्शन नही करेंगे। मध्यान बाद पेट सम्बंधित शिकायत रहने एवं अन्य शारीरिक कष्ट के कारण शरीर शिथिल रहेगा। कार्य क्षेत्र पर मन के अनुसार कार्य नहीं होंगे। कार्यो में विलम्ब के कारण परेशानियां होंगी। सरकारी कार्यो में भी अल्प सफलता मिलेगी। आस पास का वातावरण भी विरोधाभासी रहने से मन में वैराग्य उत्पन्न होगा। आध्यत्म के प्रति अधिक रुचि दिखाएँगे। परिजनों से शिकायत रहेगी। धन प्राप्ति के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज भी दिन का अधिकांश समय शांति से व्यतीत होगा। थोड़ी आर्थिक परेशानियां रह सकती है परंतु आज आप मानसिक रूप से दृढ़ रहेंगे। जिस भी कार्य को करने की ठानेंगे उसे हानि-लाभ की परवाह किये बिना पूर्ण करके छोड़ेंगे। मध्यान के समय कार्य क्षेत्र पर अन्य व्यक्ति की दखलंदाजी से थोड़ी परेशानी एवं बहस हो सकती है। सामूहिक आयोजन में सम्मिलित होने का अवसर भी मिलेगा आपकी बुद्धि विवेक की प्रशंसा होगी फिर भी आज आप बाहर की अपेक्षा घर में समय बिताना पसंद करेंगे। घर का वातावरण भविष्य को लेकर थोड़ा चिंतित बनेगा संध्या के आसपास कोई शुभ समाचार मिल सकता है। आंख गले संबंधित समस्या होने की संभावना है।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन धन की कमी रहने पर भी खुश रहने का सफल प्रयास करेंगे। संतोषी स्वभाव आज व्यर्थ के झंझट से बचाएगी लेकिन महिलाए एक बार जिद पकड़ लेंगी तो उसे पूरा कराकर ही मानेगी। घर मे बुजुर्ग परिजनों से भावनात्मक सम्बन्ध रहने से मन को शान्ति मिलेगी। परन्तु आज प्रेम प्रसंगों से दूरी बनाना ही बेहतर रहेगा अन्यथा धन और पारिवारिक मान हानि हो सकती है। किसी मांगलिक आयोजन में जाने के कारण अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा फिर भी आनंददायक वातावरण मिलने से खर्च व्यर्थ नहीं लगेगा। स्त्री पक्ष से विशेष निकटता रहेगी।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज भी दिन विपरीत फल देने वाला रहेगा। स्वयं अथवा किसी पारिवारिक सदस्य का स्वास्थ्य अचानक खराब होने के कारण व्यर्थ की चिंता रहेगी दवाओं पर खर्च बढ़ेगा। कार्य क्षेत्र पर परिश्रम के अनुसार ही लाभ मिलेगा कम समय दे पाने के कारण नए कार्य विस्तार के विचार को टालना पड सकता है। सरकारी कार्यो में भी धन खर्च होने से आर्थिक कारणों से चिंता रहेगी परन्तु मध्यान के आस-पास थोड़े धन की आमद होने से दैनिक कार्य चलते रहेंगे। मध्यान से संध्या के बीच कोई दुखद समाचार मिलने की संभावना है। आज परिस्थितियां विपरीत रहने पर भी परिवार में तालमेल बना रहेगा।
*(((राधे राधे )))*
*🩸 आज का मीठा मोती 🩸*
*"13 अप्रैल :-जीवन के प्रति जिस व्यक्ति की कम आपत्तियां हैं,वह व्यक्ति संसार में औरों की अपेक्षा अधिक सुखी है अत्यधिक महत्वाकांक्षाएं समस्याओं को जन्म देती है।"*
*(((कम शान्ति )))*
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*⚜️आज का प्रेरक प्रसंग ⚜️*
*💐💐बेटा💐💐*
"माँ, मुझे कुछ महीने के लिये विदेश जाना पड़ रहा है। तेरे रहने का इन्तजाम मैंने करा दिया है।" तक़रीबन 32 साल के अविवाहित डॉक्टर सुदीप ने देर रात घर में घुसते ही कहा।
*"बेटा! तेरा विदेश जाना ज़रूरी है क्या?" माँ की आवाज़ में चिन्ता और घबराहट झलक रही थी।*
"माँ! मुझे इंग्लैंड जाकर कुछ रिसर्च करनी है। वैसे भी कुछ ही महीनों की तो बात है।" सुदीप ने कहा।
"जैसी तेरी इच्छा!" मरी से आवाज़ में माँ बोली और छोड़ आया सुदीप अपनी माँ 'प्रभा देवी' को पड़ोस वाले शहर में स्थित एक वृद्धा-आश्रम में!
वृद्धाश्रम में आने पर शुरू-शुरू में हर बुजुर्ग के चेहरे पर ज़िन्दगी के प्रति हताशा और निराशा साफ झलकती थी पर प्रभा देवी के चेहरे पर वृद्धाश्रम में आने के बावजूद कोई शिकन तक न थी।
एक दिन आश्रम में बैठे कुछ बुजुर्ग आपस में बात कर रहे थे। उनमें दो-तीन महिलायें भी थीं। उनमें से एक ने कहा, "डॉक्टर का कोई सगा-सम्बन्धी नहीं था जो अपनी माँ को यहाँ छोड़ गया।"
वहाँ बैठी एक महिला बोली, "प्रभा देवी के पति की मौत जवानी में ही हो गयी थी तब सुदीप कुल चार साल का था। पति की मौत के बाद प्रभा देवी और उसके बेटे को रहने और खाने के लाले पड़ गये। किसी भी रिश्तेदार ने उनकी मदद नहीं की। प्रभा देवी ने लोगों के कपड़े सिल-सिल कर अपने बेटे को पढ़ाया। बेटा भी पढ़ने में बहुत तेज था, तभी तो वो डॉक्टर बन सका।"
वृद्धाश्रम में करीब 6 महीने गुज़र जाने के बाद एक दिन प्रभा देवी ने आश्रम के संचालक राम किशन शर्मा जी के ऑफिस के फोन से अपने बेटे के मोबाईल नम्बर पर फोन किया और कहा, "सुदीप तुम हिंदुस्तान आ गये हो या अभी इंग्लैंड में ही हो?"
"माँ! अभी तो मैं इंग्लैंड में ही हूँ" सुदीप का जवाब था।
तीन-तीन, चार-चार महीने के अंतराल पर प्रभा देवी सुदीप को फ़ोन करती उसका एक ही जवाब होता, "मैं अभी वहीं हूँ, जैसे ही अपने देश आऊँगा तुझे बता दूँगा!"
इस प्रकार तक़रीबन दो साल गुजर गये। अब तो वृद्धाश्रम के लोग भी कहने लगे कि, देखो कैसा चालाक बेटा निकला, कितने धोखे से अपनी माँ को यहाँ छोड़ गया!
आश्रम के ही किसी बुजुर्ग ने कहा, "मुझे तो लगता नहीं कि डॉक्टर विदेश-पिदेश गया होगा, वो तो बुढ़िया से छुटकारा पाना चाह रहा था।"
किसी और बुजुर्ग ने कहा, "मगर वो तो शादीशुदा भी नहीं था।"
"अरे होगी उसकी कोई 'गर्ल-फ्रेण्ड' जिसने कहा होगा पहले माँ के रहने का अलग इंतजाम करो, तभी मैं तुमसे शादी करुँगी।"
दो साल आश्रम में रहने के बाद अब प्रभा देवी को भी अपनी नियति का पता चल गया। बेटे का गम उसे अंदर ही अंदर खाने लगा। वो बुरी तरह टूट गयी।
दो साल आश्रम में और रहने के बाद एक दिन प्रभा देवी की मौत हो गयी। उसकी मौत पर आश्रम के लोगों ने आश्रम के संचालक शर्मा जी से कहा, "इसकी मौत की खबर इसके बेटे को तो दे दो। हमें तो लगता नहीं कि वो विदेश में होगा, वो होगा यहीं कहीं अपने देश में।"
"इसके बेटे को मैं कैसे खबर करूँ? उसे मरे तो तीन साल हो गये।"
शर्मा जी की यह बात सुन वहाँ पर उपस्थित लोग सनाका खा गये।
उनमें से एक बोला, "अगर उसे मरे तीन साल हो गये तो प्रभा देवी से मोबाईल पर कौन बात करता था?"
"वो मोबाईल तो मेरे पास है जिसमें उसके बेटे की रिकॉर्डेड आवाज़ है।" शर्मा जी बोले।
"पर ऐसा क्यों ?" किसी ने पूछा।
शर्मा जी बोले कि, करीब चार साल पहले जब सुदीप अपनी माँ को यहाँ छोड़ने आया तो उसने मुझसे कहा, "शर्मा जी! मुझे 'ब्लड कैंसर' हो गया है और डॉक्टर होने के नाते मैं यह अच्छी तरह जानता हूँ कि इसकी आखिरी स्टेज में मुझे बहुत तकलीफ होगी। मेरे मुँह से और मसूड़ों आदि से खून भी आयेगा। मेरी यह तकलीफ़ माँ से देखी न जा सकेगी। वो तो जीते जी ही मर जायेगी। *मुझे तो मरना ही है पर मैं नहीं चाहता कि मेरे कारण मेरे से पहले मेरी माँ मरे।* मेरे मरने के बाद दो कमरे का हमारा छोटा सा 'फ्लेट' और जो भी घर का सामान आदि है वो मैं आश्रम को दान कर दूँगा।"
यह दास्ताँ सुन वहाँ पर उपस्थित लोगों की आँखें झलझला आयीं।
प्रभा देवी का अन्तिम संस्कार आश्रम के ही एक हिस्से में कर दिया गया। उनके अन्तिम संस्कार में शर्मा जी ने आश्रम में रहने वाले बुजुर्गों के परिवार वालों को भी बुलाया।
माँ-बेटे की अनमोल और अटूट प्यार की दास्ताँ का ही असर था !
इस कहानी को पढ़ते हुए आप के मन के विचार कितनी बार बदले जरा सोचिये।
*हरबार जैसा हम सोचते है, जो तर्क करते है, जरूरी नही की वास्तविकता वही हो।*
*आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।*
*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।*
जय श्री सीताराम 🌺🥰
जय जय श्री हनुमान जी महाराज 🙏🏻🚩
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श्रीनिवासन जगन्नाथ श्रीहरे भक्तवत्सल।
लक्ष्मीपते नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात्।।🙏🌻🌷
राधारमण गोविंद भक्तकामप्रपूरक।
नारायण नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात्।।🙏🌹🌼
ॐ नमो भगवते नारायणाय 🙏🪷🌹🌻🙌
🏵️🪴 शुभ प्रभात 🪴🏵️
श्री विन्ध्यवासिनी स्त्रोतम्
"मोहि पुकारत देर भई जगदम्ब बिलम्ब कहाँ करती हो"
दैत्य संहारन वेद उधारन, दुष्टन को तुमहीं खलती हो ! खड्ग त्रिशूल लिये धनुबान, औ सिंह चढ़े रण में लड़ती हो
इस स्तोत्र के बारे में किसी को कुछ जानकारी है क्या?
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*♣️♦️ आज की अमृतवाणी ♦️♣️*
*जीवन में जो खो गया है, वह तो कभी लौटकर नहीं आ सकता लेकिन वर्तमान में जो हमारे पास है उसका आनंद लेते हुए जीवन को प्रसन्नतापूर्ण अवश्य बनाया जा सकता है। अपने अतीत से सदैव कुछ सीखने का प्रयास करें। हमारा अतीत कितना ही बुरा क्यों न हो लेकिन उससे बहुत कुछ सीखने को मिल ही जाता है। जीवन से जो चला गया है उसका दुःख मनाने के बजाय जो बचा हुआ है उसे संभालने का प्रयास करें।*
*अपने नुकसान के लिए किसी अन्य को दोषी मानकर उससे बदला लेने की भावना रखने के बजाय अपनी ऊर्जा को श्रेष्ठ उद्देश्य में लगायें। अपने पुराने दुःखों से, अतीत की बुरी स्मृति से जब तक हम मुक्त नहीं होंगे तब तक भविष्य का सुनहरा कल भी हमारा आलिंगन नहीं कर पायेगा। वक्त रहते जीवन बदलने का प्रयास करें क्योंकि जो लोग कल के भरोसे काम को टाल देते हैं, जीवन उन्हें कभी वक्त बदलने का अवसर प्रदान नहीं करता है।*
*जीवन बदलना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने विचारों को बदलें, विचारों से ही जीवन बदलता है अगर कोई काम करते समय हमारे विचारों में नकारात्मकता होंगे तो सफलता मिलना मुश्किल हो जाता है। सफलता चाहते हैं तो विचार हमेशा सकारात्मक बनाए रखें। विचारों से ही जीवन में बदलाव आता है।*
*वक्त की चादर के अंदर छुपी हुई चमक देखो, हर लम्हा अपनी कहानी खुद बयां करता है। जैसे चाँद के बिना रात अधूरी है, वैसे समय के बिना सफलता की राह कठिन है। सपनों को साकार करने के लिए समय का सही उपयोग जरूरी है,हर पल को सही दिशा में लगाना ही सफलता की कुंजी है। समय की धुन को अपने जीवन का हिस्सा बनाओ, हर नोट तुम्हारी मेहनत और आत्मविश्वास को दर्शाता है।*
*(((ॐ शान्ति )))*
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*⚜️ आज का प्रेरक प्रसंग ⚜️*
*💐💐नकचन💐💐*
*वो जो नाक के उपरी भाग में छोटा सा पहनते हैं वही ना?*
*हाँ, भैया वही...*
*ओह तो ऐसा बोलिए न की नाक का लौंग चाहिए।*
*अब क्या करें भैया? हमारे गाँव में तो नकचन ही बोला जाता है।*
*कोई बात नही... सोने की दिखाऊँ या चाँदी की?*
*सोने की दिखाओ भैया... और हाँ उस पर लाल रंग का नग वाला पत्थर भी होना चाहिए।*
*अरे ब्रजपाल ज़रा वो वाली पीस ले कर आना तो हमारी दुसरी दुकान से।*
*भैया आप बैठो लड़का गया है लाने, तब तक चाय भिजवाता हूँ... लखन से बोल कर सोनार अपने काम में व्यस्त हो गया।*
*लखन बग़ल में पड़े सोफ़े पर बैठ कर इंतज़ार करने लगा। थोड़ी ही देर में एक चाय की प्याली मिल गई। चाय की पहली चुस्की पीने के बाद लखन पुरानी यादों में खो गया:*
*प्राची मैडम साहब की इकलौती बहन थी, साहब से आठ साल छोटी। लेकिन उनकी शादी साहब से पहले हो गई थी। साहब के पिताजी तो पहले ही गुज़र गए थे इसलिए उनकी माँ ने ज़ोर देकर प्राची मैडम की शादी कराई थी। उनका कहना था की मेरा भी भरोसा नहीं है ज्यादा दिन का, दिल का ऑपरेशन होने के बाद भी डॉक्टर ने बहुत सारी चीज़ें मना कर रखी है इसलिए अपने सामने शादी कराना चाहती हूँ।*
*प्राची मैडम की शादी के दो साल बाद बड़े साहब की भी शादी करा दी उसके बाद ज़्यादा दिन ज़िंदा नहीं रह पाई माँ।*
*एक-एक कर दोनों छोटे भाइयों की शादी भी साहब ने करवा दी।*
*लखन बीस-बाइस साल की उम्र से ही साहब की गाड़ी चलाने लगा था, उनको फ़ैक्ट्री ले जाना, वापस ले आना, बच्चों को स्कूल से लाना और ले जाना।*
*प्राची मैडम को जब मायके आना होता तो लखन को ही गाड़ी से लाने भेजा जाता। वैसे मैडम और लखन के उम्र में सिर्फ़ दो साल का ही अंतर था, जब शादी नहीं हुई थी तब कभी-कभी लखन कॉलेज भी छोड़ने जाता था। गाड़ी में दोनों जी भर कर बातें करते। एक दिन प्राची मैडम अपने पति के साथ कहीं जा रही थी की आगे से ट्रक ने टक्कर मार दी। काँच उड़कर मैडम के पती के गले में धँस गई, बड़े हॉस्पिटल ले जाने के बाद भी वे बच नहीं पाए।*
*प्राची मैडम का गर्भपात हो गया और डॉक्टर ने दूसरी मनहूस खबर भी दे दी की दोबारा कभी माँ नहीं बन पाएगी।*
*एक तो पति नहीं रहे उपर से बच्चा भी नहीं तो ससुराल वालों ने मैडम को मायके विदा कर दिया। कुछ दिन तक सब ठीक चला लेकिन कहते हैं न कि समय सब बदल देता है। हाँ अब लोग बदलने लगे थे, भाई लोग फ़ैक्ट्री चल जाते, बच्चे स्कूल और भाभियाँ भी कभी इस सहेली से मिलने तो कभी उस सहेली से, कभी किट्टी पार्टी तो कभी कुछ।*
*प्राची पूरा दिन घर में अकेले रहती, रसोइये के साथ लगी रहती, भाईयों को खाना अपने देख रेख में बनवा कर भेजती। दोपहर का समय होता जब लखन खाना लेने आता तो थोड़ी बात हो जाती और मन हल्का हो जाता।*
*लखन शायद इस बात को समझ चुका था इसलिए रोज़ एक घंटा पहले आ जाता। प्राची के लिए लखन कोई नया तो था नहीं इसलिए बात करने में हिचकिचाहट नहीं होती।*
*लगभग पूरा साल निकलने वाला था, लखन को हर जगह प्राची का ही चेहरा नज़र आता। उसे देखने के बहाने ढूँढने लगा। प्राची भी इस बात को पुरी तरह समझ गई थी, एक बार समझाया भी था की "मैं विधवा हूँ" मेरे लिए ये ठीक नहीं है।*
*उस दिन लखन ने हिम्मत कर के बात बोल दी "क्या कोई शौंक से विधवा होती है?"*
*"वो दिन मनहूस था, तुम्हारे हाथ में कुछ नहीं था जिसको बदल पाओ"*
*"रही ग़लत बात, तो मैं वादा करता हूँ की कोई गलती नहीं करुँगा"*
*"तुम्हारा मायूस चेहरा देखा नहीं जाता हमसे"*
*ऐसा भी नहीं था की भाईयों को प्राची की चिंता नहीं थी, जिससे भी बात चलाते वो मना कर देता, एक तो उसको मनहूस मान लेते दूसरे डॉक्टर का बोली हुआ बात "कभी माँ नहीं बन पाएगी" कोई मिलता भी तो उसके बड़े-बड़े बच्चे होते और पत्नी को छोड चूका हो या फिर पत्नी गुज़र गई हो...*
*जवान प्राची और अधेड़ आदमी... नहीं... नहीं सही नहीं होगा।*
*भाईयों की चिंता बढ रही थी, एक दो मिले तो उन्होंने प्राची का हिस्सा माँग लिया। जो आदमी शादी से पहले ही संपत्ति का लालच ले कर बैठा हो उसके साथ बहन कैसे खुश रहेगी?*
*जब से प्राची लखन के दिल की बात जानी तब से वो भी ग़लत और सही के उधेड़बुन में लगी रहती है। न किसी को बता पा रही है न किसी से पुछ पा रही है... पति के फ़ोटो को हाथ में लेकर पलकें गीली करते रहती।*
*लखन आया तो फ़ोटो को हाथ से ले कर टेबल पर रख दिया और हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया "साहब, अब आप रहे नहीं"*
*"मैडम का जीवन कैसे कटेगा?"*
*"अगर आप मुझे ये ज़िम्मेदारी निभाने की अनुमति दें तो मैं तैयार हूँ"*
*प्राची ने ज़ोर का थप्पड़ मारा लखन को, लखन हटा नहीं, प्राची को संभाल कर थाम लिया। आज पहली बार प्राची फूट-फूट कर रोई।*
*लखन तुमको मेरे भाई मार देंगे।*
*🌻♦️ अनमोल वाणी ♦️🌻*
*प्रभु के मंदिर के तीन द्वार हैं*
*करुणा, मैत्री और मुदिता*।
*अगर आप मैत्री और करुणा समझ लेते हैं*
*तो मुदिता को भी सहज ही समझ लेंगे*।
*मुदिता का अर्थ है प्रफुल्लता*।
*जो करुणा और मैत्री से गुजरते हैं*
*वे प्रफुल्लता अहोभाव को उपलब्ध होते हैं*।
*उनके जीवन की सारी उदासी*
*सारी पीड़ा, सारा दुख समाप्त हो जाता है*।
*वे निर्भार मुक्त आनंद की एक*
*नई ध्वनि से अनुप्रेरित हो उठते हैं*।
*जो परमात्मा के पास हंसता हुआ नहीं जाता*
*कभी परमात्मा तक नहीं पहुचता*।
*विषाद से भरी हुई आत्माओं के लिए*
*परमात्मा का द्वार नहीं है*।
*(((ॐ शान्ति )))*
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*♣️🩸आज की अमृतवाणी 🩸♣️*
*जीवन की ऐसी कोई समस्या नहीं इस प्रकृति के पास जिसका समाधान ही न हो। समस्या चाहे कितनी ही बड़ी क्यों न हो लेकिन उसका कोई न कोई समाधान अवश्य होता है। हमें समस्या का डटकर सामना करना आना चाहिए क्योंकि समस्या मुकाबला करने से दूर होती है मुकरने से नहीं।*
*इस प्रकृति का एक नियम यह भी है, कि यहाँ सदैव एक दूसरे द्वारा अपने से दुर्बल को ही सताया जाता है। दुःखों के साथ भी ठीक ऐसा ही होता है। जितना आप दुःखों से भागने का प्रयास करोगे उतना दुःख तुम्हारे ऊपर हावी होते जायेंगे।*
*दुःख बंदरों की तरह होते हैं जो पीठ दिखाने पर पीछा किया करते हैं और सामना करने पर भाग जाते हैं। समस्या का डटकर मुकाबला करना ही समस्या को कम करने का सर्वोत्तम उपाय है।*
*(((ॐ शान्ति )))*
काल अतिकाल, कलिकाल, व्यालादि-खग, त्रिपुर-मर्दन, भीम-कर्म भारी।
सकल लोकान्त-कल्पान्त शूलाग्र कृत दिग्गजाव्यक्त-गुण नृत्यकारी॥
पाप-संताप-घनघोर संसृति दीन, भ्रमत जग योनि नहिं कोपि त्राता। पाहि भैरव-रूप राम-रूपी रुद्र, बंधु, गुरु, जनक, जननी, विधाता॥
आप कालके भी महाकाल हैं, कलिकालरूपी सर्पोंके लिये आप गरुड़ हैं। त्रिपुरासुरका मर्दन करनेवाले तथा और बड़े-बड़े भयानक कार्य करनेवाले है। समस्त लोकों के नाश करनेवाले महाप्रलयके समय अपनी त्रिशूलकी नोकसे दिग्गजोंको छेदकर आप गुणातीत होकर नृत्य करते है॥
इस पाप-सन्तापसे पूर्ण भयानक संसार मे मैं दीन होकर चौरासी लाख योनियों मे भटक रहा हूँ, मुझे कोई भी बचानेवाला नहीं है। हे भैरवरूप! हे रामरूपी रुद्र!! आप ही मेरे बन्धु, गुरु, पिता, माता और विधाता है। मेरी रक्षा कीजिये॥ जिनके गुणों का निर्मल बुद्धिवाली सरस्वती, वेद और नारदजी आदि ब्रह्मज्ञानी तथा शेषजी सदा गान करते हैं, तुलसीदास कहते हैं, वे भक्तों को अभय प्रदान करनेवाले सर्वेश्वर श्री शिवजी आनन्दवन काशीमें विराजमान हैं॥ (विनय पत्रिका)
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*🌻♦️आत्मा की सात अवस्थाएं♦️🌻*
*वेद अनुसार जन्म और मृत्यु के बीच और फिर मृत्यु से जन्म के बीच तीन अवस्थाएं ऐसी हैं जो अनवरत और निरंतर चलती रहती हैं। वह तीन अवस्थाएं हैं : जागृत, स्वप्न और सुषुप्ति। उक्त तीन अवस्थाओं से बाहर निकलने की विधि का नाम ही है हिन्दू धर्म।*
**यह क्रम इस प्रकार चलता है- जागा हुआ व्यक्ति जब पलंग पर सोता है तो पहले स्वप्निक अवस्था में चला जाता है फिर जब नींद गहरी होती है तो वह सुषुप्ति अवस्था में होता है। इसी के उल्टे क्रम में वह सवेरा होने पर पुन: जागृत हो जाता है। व्यक्ति एक ही समय में उक्त तीनों अवस्था में भी रहता है। कुछ लोग जागते हुए भी स्वप्न देख लेते हैं अर्थात वे गहरी कल्पना में चले जाते हैं।*
*जो व्यक्ति उक्त तीनों अवस्था से बाहर निकलकर खुद का अस्तित्व कायम कर लेता है वही मोक्ष के, मुक्ति के और ईश्वर के सच्चे मार्ग पर है। उक्त तीन अवस्था से क्रमश: बाहर निकला जाता है। इसके लिए निरंतर ध्यान करते हुए साक्षी भाव में रहना पड़ता है तब हासिल होती है : तुरीय अवस्था, तुरीयातीत अवस्था, भगवत चेतना और ब्राह्मी चेतना।*
*जागृत अवस्था ---- ♦️अभी यह आलेख पढ़ रहे हो तो जागृत अवस्था में ही पढ़ रहे हो? ठीक-ठीक वर्तमान में रहना ही चेतना की जागृत अवस्था है लेकिन अधिकतर लोग ठीक-ठीक वर्तमान में भी नहीं रहते। जागते हुए कल्पना और विचार में खोए रहना ही तो स्वप्न की अवस्था है।*
*जब हम भविष्य की कोई योजना बना रहे होते हैं, तो वर्तमान में नहीं रहकर कल्पना-लोक में चले जाते हैं *कल्पना का यह लोक यथार्थ नहीं एक प्रकार का स्वप्न-लोक होता है। जब हम अतीत की किसी याद में खो जाते हैं, तो हम स्मृति-लोक में चले जाते हैं। यह भी एक-दूसरे प्रकार का स्वप्न-लोक ही है।*
*अधिकतर लोग स्वप्न लोक में जीकर ही मर जाते हैं, वे वर्तमान में अपने जीवन का सिर्फ 10 प्रतिशत ही जी पाते हैं, तो ठीक-ठीक वर्तमान में रहना ही चेतना की जागृत अवस्था है।*
*2.स्वप्न अवस्था ---- ♦️जागृति और निद्रा के बीच की अवस्था को स्वप्न अवस्था कहते हैं। निद्रा में डूब जाना अर्थात सुषुप्ति अवस्था कहलाती है। स्वप्न में व्यक्ति थोड़ा जागा और थोड़ा सोया रहता है। इसमें अस्पष्ट अनुभवों और भावों का घालमेल रहता है इसलिए व्यक्ति कब कैसे स्वप्न देख ले कोई भरोसा नहीं।*
*यह ऐसा है कि भीड़भरे इलाके से सारी ट्रेफिक लाइटें और पुलिस को हटाकर स्ट्रीट लाइटें बंद कर देना। ऐसे में व्यक्ति को झाड़ का हिलना भी भूत के होने को दर्शाएगा या रस्सी का हिलना सांप के पीछे लगने जैसा होगा। हमारे स्वप्न दिनभर के हमारे जीवन, विचार, भाव और सुख-दुख पर आधारित होते हैं। यह किसी भी तरह का संसार रच सकते हैं।*
*सुषुप्ति अवस्था ---- ♦️ गहरी नींद को सुषुप्ति कहते हैं। इस अवस्था में पांच ज्ञानेंद्रियां और पांच कर्मेंद्रियां सहित चेतना (हम स्वयं) विश्राम करते हैं। पांच ज्ञानेंद्रियां- चक्षु, श्रोत्र, रसना, घ्राण और त्वचा। पांच कर्मेंन्द्रियां- वाक्, हस्त, पैर, उपस्थ और पायु।*
*सुषुप्ति की अवस्था चेतना की निष्क्रिय अवस्था है। यह अवस्था सुख-दुःख के अनुभवों से मुक्त होती है। इस अवस्था में किसी प्रकार के कष्ट या किसी प्रकार की पीड़ा का अनुभव नहीं होता। इस अवस्था में न तो क्रिया होती है, न क्रिया की संभावना। मृत्यु काल में अधिकतर लोग इससे और गहरी अवस्था में चले जाते हैं।*
*तुरीय अवस्था ---- ♦️चेतना की चौथी अवस्था को तुरीय चेतना कहते हैं। यह अवस्था व्यक्ति के प्रयासों से प्राप्त होती है। चेतना की इस अवस्था का न तो कोई गुण है, न ही कोई रूप। यह निर्गुण है, निराकार है। इसमें न जागृति है, न स्वप्न और न सुषुप्ति। यह निर्विचार और अतीत व भविष्य की कल्पना से परे पूर्ण जागृति है।*
*यह उस साफ और शांत जल की तरह है जिसका तल दिखाई देता है। तुरीय का अर्थ होता है चौथी। इसके बारे में कुछ कहने की सुविधा के लिए इसे संख्या से संबोधित करते हैं। यह पारदर्शी कांच या सिनेमा के सफेद पर्दे की तरह है जिसके ऊपर कुछ भी प्रोजेक्ट नहीं हो रहा।*
*जागृत, स्वप्न, सुषुप्ति आदि चेतनाएं तुरीय के पर्दे पर ही घटित होती हैं और जैसी घटित होती हैं, तुरीय चेतना उन्हें हू-ब-हू हमारे अनुभव को प्रक्षेपित कर देती है। यह आधार-चेतना है। यहीं से शुरू होती है आध्यात्मिक यात्रा, क्योंकि तुरीय के इस पार संसार के दुःख तो उस पार मोक्ष का आनंद होता है। बस, छलांग लगाने की जरूरत है।*
*तुरीयातीत अवस्था ----♦️ तुरीय अवस्था के पार पहला कदम तुरीयातीत अनुभव का। यह अवस्था तुरीय का अनुभव स्थाई हो जाने के बाद आती है। चेतना की इसी अवस्था को प्राप्त व्यक्ति को योगी या योगस्थ कहा जाता है।*
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*⚜️आज का प्रेरक प्रसंग ⚜️*
*💐💐ईश्वर को धन्यबाद दो💐💐*
________
*चेन्नई के एक स्कूल ने अपने बच्चों को छुट्टियों का जो एसाइनमेंट दिया वो पूरी दुनिया में वायरल हो रहा है।*
वजह बस इतनी कि उसे बेहद सोच समझकर बनाया गया है. इसे पढ़कर अहसास होता है कि हम वास्तव में कहां आ पहुंचे हैं और अपने बच्चों को क्या दे रहे हैं. अन्नाई वायलेट मैट्रीकुलेशन एंड हायर सेकेंडरी स्कूल ने बच्चों के लिए नहीं बल्कि पेरेंट्स के लिए होमवर्क दिया है, जिसे हर एक पेरेंट को पढ़ना चाहिए.
उन्होंने लिखा-
पिछले 10 महीने आपके बच्चों की देखभाल करने में हमें अच्छा लगा.आपने गौर किया होगा कि उन्हें स्कूल आना बहुत अच्छा लगता है. अगले दो महीने उनके प्राकृतिक संरक्षक यानी आप उनके साथ छुट्टियां बिताएंगे. हम आपको कुछ टिप्स दे रहे हैं जिससे ये समय उनके लिए उपयोगी और खुशनुमा साबित हो.
- अपने बच्चों के साथ कम से कम दो बार खाना जरूर खाएं. उन्हें किसानों के महत्व और उनके कठिन परिश्रम के बारे में बताएं. और उन्हें बताएं कि अपना खाना बेकार न करें.
- खाने के बाद उन्हें अपनी प्लेटें खुद धोने दें. इस तरह के कामों से बच्चे मेहनत की कीमत समझेंगे.
- उन्हें अपने साथ खाना बनाने में मदद करने दें. उन्हें उनके लिए सब्जी या फिर सलाद बनाने दें.
- तीन पड़ोसियों के घर जाएं. उनके बारे में और जानें और घनिष्ठता बढ़ाएं.
- दादा-दादी/ नाना-नानी के घर जाएं और उन्हें बच्चों के साथ घुलने मिलने दें. उनका प्यार और भावनात्मक सहारा आपके बच्चों के लिए बहुत जरूरी है. उनके साथ तस्वीरें लें.
- उन्हें अपने काम करने की जगह पर लेकर जाएं जिससे वो समझ सकें कि आप परिवार के लिए कितनी मेहनत करते हैं.
- किसी भी स्थानीय त्योहार या स्थानीय बाजार को मिस न करें.
- अपने बच्चों को किचन गार्डन बनाने के लिए बीज बोने के लिए प्रेरित करें. पेड़ पौधों के बारे में जानकारी होना भी आपके बच्चे के विकास के लिए जरूरी है.
- अपने बचपन और अपने परिवार के इतिहास के बारे में बच्चों को बताएं.
- अपने बच्चों का बाहर जाकर खेलने दें, चोट लगने दें, गंदा होने दें. कभी कभार गिरना और दर्द सहना उनके लिए अच्छा है. सोफे के कुशन जैसी आराम की जिंदगी आपके बच्चों को आलसी बना देगी.
- उन्हें कोई पालतू जानवर जैसे कुत्ता, बिल्ली, चिड़िया या मछली पालने दें.
- उन्हें कुछ लोक गीत सुनाएं.
- अपने बच्चों के लिए रंग बिरंगी तस्वीरों वाली कुछ कहानी की किताबें लेकर आएं.
- अपने बच्चों को टीवी, मोबाइल फोन, कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूर रखें. इन सबके लिए तो उनका पूरा जीवन पड़ा है.
- उन्हें चॉकलेट्स, जैली, क्रीम केक, चिप्स, गैस वाले पेय पदार्थ और पफ्स जैसे बेकरी प्रोडक्ट्स और समोसे जैसे तले हुए खाद्य पदार्थ देने से बचें.
- अपने बच्चों की आंखों में देखें और ईश्वर को धन्यवाद दें कि उन्होंने इतना अच्छा तोहफा आपको दिया. अब से आने वाले कुछ सालों में वो नई ऊंचाइयों पर होंगे.
माता-पिता होने के नाते ये जरूरी है कि आप अपना समय बच्चों को दें.
अगर आप माता-पिता हैं तो इसे पढ़कर आपकी आंखें नम जरूर हुई होंगी. और आखें अगर नम हैं तो वजह साफ है कि आपके बच्चे वास्तव में इन सब चीजों से दूर हैं. इस एसाइनमेंट में लिखा एक-एक शब्द ये बता रहा है कि जब हम छोटे थे तो ये सब बातें हमारी जीवनशैली का हिस्सा थीं, जिसके साथ हम बड़े हुए हैं, लेकिन आज हमारे ही बच्चे इन सब चीजों से दूर हैं, जिसकी वजह हम खुद हैं...
*(((ॐ शांति)))*
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*रविवार १३ अप्रैल २०२५ ई ०*
*आज का राशिफल*
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन शुभफलदायक रहने वाला है। लेकिन दोपहर तक जिस भी कार्य को करेंगे उसका कोई निष्कर्ष नही मिलने पर कुछ समय के लिये असमंजस में पड़ेंगे। मध्यान बाद परिस्थिति में अकस्मात बदलाव आएगा। धन लाभ भी अचानक ही होगा। आज किसी व्यक्ति का ना चाहते हुए भी सहयोग अथवा कोई अप्रिय कार्य करना पडेगा। परिवार में आपसी मतभेद रहने से तालमेल नहीं बैठा पाएंगे। एकदम से ख़ुशी अगले ही पल दुःख वाली स्थिति दिन भर रहेगी। धन लाभ अवश्य होगा लेकिन मनोदशा में विकृत आ सकती है। खर्च करने में कृपणता दिखाएंगे। सेहत पर ध्यान दें।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज आपकी महात्त्वकांक्षाओ की पूर्ती में थोड़ा सा भी विलंब होने पर धैर्य ना रहने पर हताशा में उटपटांग बयानबाजी कर सकते है। आज के दिन परिश्रम के साथ धैर्य भी रखना पड़ेगा तभी दिन से सार्थक फल पा सकते है। कार्य क्षेत्र पर अधिकारी एवं सहकर्मी सहयोग करेंगे निश्चित समय से पहले कार्य पूर्ण कर घरेलु कार्यो के कारण कुछ समय के लिये असहजता बनेगी। मध्यान बाद से स्थिति लाभजनक बनने लगेंगी। धार्मिक गतिविधियों में भी सक्रियता दिखाएँगे। आज आप किसी भी प्रकार के अनैतिक कार्यो से खुद को दूर रखने का हर संभव प्रयास करेंगे जिससे सम्मान के पात्र बनेंगे। धन लाभ विलंब से ही सही लेकिन होह जरूर। सेहत गले छाती संबंधित समस्या हो सकती है।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आपका आज का दिन मिश्रित फलदायक रहेगा। कार्यो की असफलता अथवा किसी महत्त्वपूर्ण अनुबंध के निरस्त होने से स्वभाव में चिड़चिड़ा पन आ सकता है। मध्यान तक वाणी का रूखापन रहेगा जिससे कार्य क्षेत्र एवं घर का वातावरण बिगाड़ेगा। इसके बाद विवेक से कार्य करेगें धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने से मानसिक दृढ़ता बढ़ेगी। दोपहर के बाद किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति से सहयोग मिलने की संभावना है। आज कोई नया कार्य अथवा संकलन में धन का निवेश करने से बचें धन नाश होने के प्रबल योग है इसका भी ध्यान रखे है। दोपहर के आस पास से स्वास्थ्य में भी उतार चढ़ाव बनेगा। घर के सदस्य आपसे किसी न किसी कारण से नाराज रहेंगे। सेहत में कोई नए छोटे मोटे विकार आ सकते है।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज दिन का पूर्वार्ध नयी उलझने लाएगा। हठी प्रवृति रहने से व्यापार में हानि एवं प्रियजनों से दूरी बढ़ सकती है आज किसी भी बात की प्रतिक्रिया देने से पहले ठीक से सोचकर ही बोले अन्यथा मामूली बात का बतंगड़ बनते देर नही लगेगी। घरेलू अथवा कार्य क्षेत्र पर महत्त्वपूर्ण कार्य को अनुभवियों के परामर्श के बाद ही करें या थोड़े समय के लिए टाल दें। नौकरों के व्यवहार से भी परेशानी हो सकती है। दोपहर के बाद स्थिति धीरे-धीरे नियंत्रण में आने लगेगी। आपके लिए निर्णय सफल होने से प्रातः जो आपसे विपरीत व्यवहार कर रहे थे वो भी स्वार्थ सिद्धि करने लगेंगे। आकस्मिक धन लाभ होने से राहत मिलेगी।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज भी परिस्थितियां आपके अनुकूल रहने से लाभ के कई अवसर मिलेंगे परन्तु अज्ञान की स्थिति अथवा गलत सलाह के कारण लाभ होना संदिग्ध ही रहेगा। के दिनों से टलरहा बहु प्रतीक्षित अति महत्त्वपूर्ण कार्य पूरा होगा। धन लाभ रुक-रुक कर होने से संचय नही कर पाएंगे। घर में सुख के साधनों की वृद्धि होगी इस पर अधिक खर्च भी रहेगा। कार्य व्यवसाय में नए सम्बन्ध बनने से अतिरिक्त आय के मार्ग भी खुलेंगे। पारिवारिक दायित्वों की पूर्ति से आज पीछे नहीं हटेंगे। सेहत को लेकर कुछ समय के लिये भी की स्थिति बन सकती है।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज दिन का प्रारंभिक भाग आलस्य में खराब होगा इसके बाद का समय लापरवाह रहने के बाद भी सुख-शांति से बितायेंगे। कोई मनोकामना पूर्ति होने से मन खुश रहेगा आसपास का वातावरण भी हास्यमय बनाएंगे। मित्र प्रियजनों के साथ भविष्य की योजनाओं पर खुल कर विचार करेंगे। दोपहर के समय स्थिति कुछ समय के लिये परेशानी वाली बनेगी। किसी मनोकामना के अपूर्ण रहने से ठेस पहुंचेगी इससे उबरने में भी थोड़ा समय लगेगा। आज स्वभाव में ज्यादा खुलापन भी ना रखें मन का भेद अन्य को देने से हानि भी हो सकती है। परिजनों से लाभ होने की संभावना है। स्वास्थ्य संबंधित छोटी मोटी समस्या लगी रहेगी।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज दिन का अधिकांश भाग आशा से अधिक शुभ रहेगा। आज के दिन आकस्मिक घटनाएं अधिक घटित होंगी चाहे वो आर्थिक या पारिवारिक हों परिणाम लेदेकर आपके पक्ष में ही रहेगा। नौकरी पेशा जातको को भी आज मेहनत का फल मिलेगा सम्मान में वृद्धि के साथ आय के मार्ग खुलेंगे। बेरोजगारों को थोड़ा प्रयास करने पर रोजगार उपलब्ध हो सकता है। लेकिन आज आपका
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*⚜️आज का प्रेरक प्रसंग ⚜️*
*💐💐 चरवाहे का बेटा कैसे बना राजा??? 💐💐*
एक राजा के दरबार में एक अनजान आदमी नौकरी मांगने के लिए प्रस्तुत हुआ और पूछने पर कि वह क्या कर सकता है उसने बताया मैं किसी के साथ रहने पर उसकी पूरी जानकारी दे सकता हूँ ।
राजा ने उसे खास घोड़ों के अस्तबल का प्रमुख बना दिया कुछ दिनों के बाद राजा ने उससे अपने सबसे महंगे और प्यारे घोड़े के बारे में पूछा उसकी चाल, ढाल और उसकी वास्तविकता।
उसने कहा कि घोड़ा नस्ली नही है....
राजा को हैरत हुई उसने जंगल से घोड़े वाले को बुलवाया जिस से लिया था उस से पूछा क्या यह बातें सच है उसने बताया घोड़ा नस्ली है लेकिन इसकी पैदाइश पर इसकी माँ मर गई थी यह एक गाय का दूध पीकर उस के साथ पला बढ़ा है।
अस्तबल के प्रमुख को बुलाया गया राजा ने सवाल किया तुम्हें कैसे पता चला यह घोड़ा नस्ली नहीं है तो उसने कहा जब यह घास खाता है तो गायों की तरह सर नीचे करके खाता है जबकि नस्ली घोड़ा घास मुँह में लेकर सर उठा लेता है।
राजा उसकी अकल और सोच से बहुत खुश हुआ उसके घर अनाज भुने हुए दुंबे और परिंदों को ईनाम स्वरूप भिजवाया उसके साथ-साथ उसे रानी के महल में तैनात कर दिया
कुछ दिनों के पश्चात राजा ने उससे पूछा महारानी के बारे में तुम्हारी क्या राय है उसने कहा महारानी के तौर-तरीके तो रानी जैसे हैं लेकिन वह राजकुमारी नहीं है।
राजा के पैरों तले से जमीन निकल गई जब कुछ होश वापस आए तो अपनी सास को बुला भेजा सारी बात सास को बताने के बाद उसने कहा कि सत्य क्या है ?
सास ने बताया कि तुम्हारे पिता ने मेरे पति से हमारी बेटी के पैदा होने पर ही रिश्ता मांग लिया था लेकिन हमारी बेटी 6 महीने बाद ही काल का ग्रास बन गई इस कारण हमने तुम्हारे पिता से रिश्ता रखने के लिए एक बच्ची को अपनी बेटी बना लिया।
राजा ने पुनः उस आदमी को बुलाया और पूछा कि तुम्हें कैसे पता चला तो उसने कहा कि महारानी का नौकरों के साथ सलूक गँवारों से भी बुरा है।
राजा उसकी अक्ल और दिमाग पर दंग रह गया और उसे बहुत सारा अनाज भेड़ और बकरियाँ इनाम देकर उसे शाबाशी दी और साथ ही साथ उसे अपने दरबार में तैनात कर दिया।
कुछ दिन गुजरने के बाद राजा ने उससे कहा मेरे बारे में कुछ बताओ उस आदमी ने कहा अगर आप मुझे सजा नहीं देंगे तो मैं कुछ सच्चाई बताऊं राजा ने कहा तुम्हें जान की अमान है...
उसने कहा कि आप राजकुमार नहीं हो ना ही आप का चलन राजाओं वाला है राजा क्रोधित हो गया आ गया मगर जान की अमान दे चुका था सीधा अपनी माँ के पास गया और अपनी माँ से कहा कि सच-सच बताओ कि मैं कौन हूँ तो उसकी माँ ने कहा कि तुम एक चरवाहे के बेटे हो हमारी कोई सन्तान नहीं थी तो तुम्हें गोद लेकर पाला राजा ने उस आदमी को बुलाया और पूछा कि बताओ तुम्हें यह कैसे ज्ञात हुआ कि मैं राजकुमार नहीं हूँ तो उसने कहा...
राजा जब किसी को इनाम देता है तो वह हीरे, मोती और जवाहरात के रूप में देता है लेकिन आप भेड़-बकरियाँ और खाने'पीने का सामान देते हैं यह तरीका किसी राजा के बेटे का नहीं हो सकता यह तो किसी चरवाहे के बेटे का ही हो सकता है।
*इसीलिए कहते हैं व्यक्ति की आदतें उसके बोल-चाल का ढंग उसके घर-परिवार और उसके संस्कारों के विषय में बता देता है*।
*सदैव प्रसन्न रहिये!!*
*जो प्राप्त है-पर्याप्त है!!*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
*🙏🏻 # श्री हरि # 🙏🏻*
🌤️ *दिनांक - 13 अप्रैल 2025*
🌤️ *दिन - रविवार*
🌤️ *विक्रम संवत - 2082 (गुजरात - महाराष्ट्र अनुसार 2081)*
🌤️ *शक संवत -1947*
🌤️ *अयन - उत्तरायण*
🌤️ *ऋतु - वसंत ॠतु*
🌤️ *मास - वैशाख (गुजरात-महाराष्ट्र के अनुसार चैत्र)*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - प्रतिपदा पूर्ण रात्रि तक*
🌤️ *नक्षत्र - चित्रा रात्रि 09:11 तक तत्पश्चात स्वाती*
🌤️ *योग - हर्षण रात्रि 09:40 तक तत्पश्चात वज्र*
🌤️ *राहुकाल - शाम 05:23 से शाम 06:57 तक*
🌤️ *सूर्योदय - 06:22*
🌤️ *सूर्यास्त - 06:56*
👉 *दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण- प्रतिपदा वृद्धि तिथि*
💥 *विशेष प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा पेठा) न खाएं क्योकि यह धन का नाश करने वाला है (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*💥 रविवार के दिन स्त्री- सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
💥 *रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*
💥 *रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*
💥 *स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *मेष-संक्रांति* 🌷
➡ *14 अप्रैल 2025 सोमवार को संक्रांति (पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर 12:27 तक)*
🙏🏻 *इसमें किया गया जप, ध्यान, दान व पुण्यकर्म अक्षय होता है ।*
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🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *आरती में कपूर का उपयोग* 🌷
🔥 *कपूर – दहन में बाह्य वातावरण को शुद्ध करने की अदभुत क्षमता है | इसमें जीवाणुओं, विषाणुओं तथा सूक्ष्मतर हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने की शक्ति है | घर में नित्य कपूर जलाने से घर का वातावरण शुद्ध रहता है, शरीर पर बीमारियों का आक्रमण आसानी से नहीं होता, दु:स्वप्न नहीं आते और देव दोष तथा पितृ दोषों का शमन होता है |*
🙏🏻 *लोककल्याणसेतु – जून – २०१५ से*
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🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *वैशाख मास माहात्म्य* 🌷
🙏🏻 *वैशाख मास सुख से साध्य, पापरूपी ईंधन को अग्नि की भाँति जलानेवाला, अतिशय पुण्य प्रदान करनेवाला तथा धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष - चारों पुरुषार्थों को देने वाला है ।*
🙏🏻 *देवर्षि नारदजी राजा अम्बरीष से कहते हैं : ‘‘राजन् ! जो वैशाख में सूर्योदय से पहले भगवत्-चिंतन करते हुए पुण्यस्नान करता है, उससे भगवान विष्णु निरंतर प्रीति करते हैं ।*
🙏🏻 *पाप तभी तक गरजते हैं जब तक जीव यह पुण्यस्नान नहीं करता ।*
🙏🏻 *वैशाख मास में सब तीर्थ आदि देवता बाहर के जल (तीर्थ के अतिरिक्त) में भी सदैव स्थित रहते हैं । सब दानों से जो पुण्य होता है और सब तीर्थों में जो फल होता है, उसीको मनुष्य वैशाख में केवल जलदान करके पा लेता है । यह सब दानों से बढकर हितकारी है ।*
🙏🏻 *ऋषि प्रसाद : अप्रैल : 2009*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *वैशाख मास* 🌷
🙏🏻 *(इस मास में भक्तिपूर्वक किये गये दान, जप, हवन, स्नान आदि शुभ कर्मों का पुण्य अक्षय तथा सौ करोड़ गुना अधिक होता है। - पद्म पुराण)*
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🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞