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वेबफ़ा नहीं, बे-रहम हो तुम,
मोहब्बत के नाम पर क़हर हो तुम।
तबाह करके हंसते हो क्यों,
खुश रहने की कहते हो क्यों?
जो दर्द दिया, वो लौटा न सके,
ये ज़ख़्म हैं, तुम मिटा न सके।
बेख़बर हो मेरी तन्हाइयों से,
गुज़रते नहीं दिन परछाइयों से।
हमने चाहा था दिल से तुम्हें,
मगर तुमको आदत थी ठुकराने की।
अब शिकवे-गिले सब ख़त्म किए,
जो तुमने दिए, वो ग़म पी लिए।
#kuch_Baatein_hai
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🌸🌿 *रंगों के महापर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!* 🌿🌸
*"मेरे परिवार की ओर से आप सभी को होली की मंगलमय शुभकामनाएँ!"*
श्री राधा-कृष्ण के प्रेम और आशीर्वाद से आपका जीवन स्नेह, आनंद और सुख-समृद्धि से भर जाए।
रंगों की तरह आपके जीवन में भी खुशियाँ बिखरें और हर दिन नई उमंग और नई ऊर्जा से भरा रहे।
*"राधे-राधे! कृष्ण कृपा बनी रहे!"*
*"होली हर्षित, होली पावन, होली शुभ हो!"*
🌺💖 *"होली की हार्दिक शुभकामनाएँ...!!!"* 💖🌺
आप सभी को होलिका दहन की हार्दिक शुभकामनाएं...!!
होलिका की अग्नि में ईर्ष्या, द्वेष, बुराई का नाश हो और शुभता, शुभत्व एवं मंगल का नव दीप दैदीप्यमान हो।
आपके घर-आंगन में सुख, समृद्धि, खुशहाली और आनंद बढ़े, यही प्रार्थना है...!!!🙏
ख़त्म हो जाए ये इंतज़ार होली में
जो तू मिलने आ जाए एक बार होली में
खिलते रहें फ़ूल, उड़ता रहे गुलाल
तू रंग लेकर आए खुशियाँ अपार होली में
उड़ेलूं रंग तुम पे मेरे प्यार का सनम
ये जान कर दूँ तुम पे निसार होली में
छाया रहे तेरी आँखों का नशा मुझ पर
फ़क़त बढ़ता ही रहे तेरा ख़ुमार होली में
मुझे भर लो अपनी आगोशी में तुम
प्यार बरसाओ मुझ पर बे-शुमार होली में
कुछ चाहा नहीं तेरी चाहत के सिवा
बस तुमको ही माँगा है मेरे यार होली में
हैप्पी होली
बड़ी बहन की होली
रंगों की बौछार है आई,
होली की ये मधुर बधाई।
घर आँगन में खुशियाँ छाईं,
पर याद तुम्हारी फिर भी आई।
बचपन में जब साथ खेलते,
गुलाल के रंगों में घुलते।
तू बचाती मुझको सबसे,
पिचकारी की धार से झूलते।
तेरी साड़ी के आँचल तले,
छिप जाता था मैं शरमाकर।
और तू हँसकर रंग लगा दे,
माथे मेरे प्यार जताकर।
अब भी तेरी यादें आतीं,
तेरी हँसी गूँजती कानों में।
काश फिर से वही होली होती,
तेरे संग, उन्हीं दिनों में।
अबकी बार भी रंग भेजता हूँ,
तेरे हिस्से का प्यार लिए।
तू भी मुझे याद करेगी,
इस बँधन को आधार लिए।
रावण जीЧитать полностью…
होलिका दहन
मैं लंका का राजा रावण,
बुद्धि, बल, और ज्ञान का धावन।
आज होलिका दहन के अवसर पर,
प्रज्वलित हो शुभ अग्नि का द्वार।
अधर्म जले, अन्याय मिटे,
नव प्रकाश हर घर खिले।
होली के रंगों संग मुस्कान,
मन में बसी रहे हर आन।
पर याद रहे, सत्य अडिग रहता है,
अहंकार अंत में जलता है।
मैं भी जला, होलिका भी जली,
जो न सम्हले, उसकी दुनिया ढली।
तो आओ, इस अग्नि से सीख लें हम,
दंभ नहीं, प्रेम जलाए हर ग़म।
रावण की ओर से शुभ संदेश,
रंग - बिरंगी होली विशेष..!
-रावण जी
शुभ होली..! 🌸🔥Читать полностью…
मुझे ऐतबार न रहा किसी भी शख़्स पर,
ज़िंदगी में मैंने धोखे खाये बहुत।
वो बेवफ़ा भूल गया मुझे एक पल में,
उसकी यादों के लम्हे जहन में आये बहुत।
अरमानों का भी एक बादल ना बरसा,
दिल के आसमां में बादल छाये बहुत।
उस बेवफ़ा ने जला दिये मेरे सारे ख़त,
जिस ख़त में मेरे लफ़्ज़ गिडगिडाए बहुत।
मुझे कैसे मयस्सर होती मेरी मंज़िल,
ज़िंदगी की राहों में कदम लड़खड़ाये बहुत।
कोई भी शख़्स न निकला वफ़ादार,
एक-एक कर के लोग आज़माये बहुत।
#kuch_Baatein_hai
स्वर्ग सिधारे, पुनः पधारे
स्वर्ग सिधारे, पुनः पधारे,
कोई अपना आज हमारे।
बिछड़े थे जो समय की रेखा,
लौट चले संग प्रेम की रेखा।
आंखों में आंसू, हृदय में ज्वाला,
पर फिर भी मीठी ये मधुर माला।
स्मृतियों के दीप जलाए,
सपनों में वो फिर मुस्काए।
कहते हैं हमसे मंद मुस्कान,
"छोड़ो अब वो दुःख की जान।
मैं हूँ संग, यहीं कहीं,
झिलमिल तारे, चांदनी मही।"
स्पर्श नहीं, पर पास हैं वो,
प्रेम की गहराइयों में रास हैं वो।
स्वर्ग सिधारे, पुनः पधारे,
दिल की धड़कन में समाए हमारे।
रावण जीЧитать полностью…
किट्टू दीदी
प्यारी-प्यारी, न्यारी-न्यारी,
मेरी दीदी सबसे प्यारी।
हंसी में जैसे खनकती चूड़ी,
बातों में मीठी राग सुनहरी।
आंखों में सपनों का उजियारा,
मन में सागर सा विस्तार।
गले लग जाएं तो मिट जाए,
दिल का हर दर्द, हर अंगार।
जब रोता हूं, वो सहलाती,
हर आँसू को मोती बनाती।
जब हंसता हूं, संग में हंसती,
जैसे दुनिया झूम के गाती।
कभी डाँट में छिपा प्यार है,
कभी चुप्पी में फिक्र अपार है।
मेरी राहों की वो रौशनी है,
हर मुश्किल में ढाल मेरी है।
ओ मेरी प्यारी-न्यारी दीदी,
तेरे जैसा न कोई साथी।
तेरे स्नेह का ये जो साया है,
बस यही तो मेरा दुनियाभर का माया है।
⎯᪵⎯꯭♥️꯭ῑ᧘ᴍ᭄🐚꯭𝅥𝆬᭕ᬁ꯭꯭꯭꯭꯭꯭꯭𝗞꯭ɪ֟፝ƚ꯭ƚυ꯭ ⃪᭕ᬁ ⃪♥️꯭꯭꯭꯭
रावण जीЧитать полностью…
कुछ बातें ....
ख़ाक हो जाना ही, इश्क़ की रिवायत है..
जो बच गया जलने से, वो कैसी चाहत है?
इश्क़ तो वो शोला है, जो रूह तक जला दे.
जो राख न कर पाए, वो कैसी इनायत है.?
ये खेल नहीं है, दिल की तबाही का मंज़र है
जो सह न पाए दर्द, वो कैसा दिलबर है.?
इश्क़ तो वो दरिया है, जो डुबो के निकाले..
जो डर गया गहराई से, वो कैसा गौहर है.?
मौत की गोद में ही, इश्क़ की तकमील है.
जो पहले ही हार मान ले, वो कैसी तदबीर है.?
इश्क़ तो वो तूफ़ान है, जो सब कुछ मिटा दे.
जो बच गया साहिल पर, वो कैसी तक़दीर हैं.?
Kanha✍✍
#copy
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तेरी यादों का ज़हर यूँ हर रोज़ पीते हैं,
जीते हैं किसी तरह पर हर दिन मरते हैं।
अब तो आदत सी हो गई है दर्द सहने की,
वरना पहले हर ज़ख्म पर रोया करते थे।
वो जो कहते थे कभी छोड़ेंगे न हाथ मेरा,
आज उन्हीं की उंगलियों में किसी और का हाथ है।
जिसकी खातिर ज़िंदा थे, उसी ने मार डाला,
हमने चाहा जिसे, उसी ने दिल तोड़ डाला।
#kuch_Baatein_hai
होली के ख़ूबसूरत रंगों की तरह,
आपको और आपके पूरे परिवार को
मेरी तरफ़ से बहुत - बहुत रंगों भरी
उमंगो भरी शुभकामनाएं
Happy Holi
जो मनाई थी दिवाली, मेरे दिल को जला के,
अब होली भी मना लेना, बची राख उड़ाके।
चिरागों में जलाया था मेरा अश्कों का तेल,
अब रंग भी चुरा लेना, मेरी हँसी बुझा के।
तूने दीपों से रोशन किए अपने आँगन,
मैं अंधेरों में खोया, मेरी दुनिया बुझा के।
तेरी खुशियों के शोले थे मेरी बर्बादी,
अब गुलाल भी उड़ा लेना, मेरी यादें मिटा के।
जो जलाया था दीपक, मेरी सांसों का बनके,
अब होली भी मना लेना, बची राख उड़ाके।
#आकाश
🔥🙏
_*भक्त प्रहलाद* की भक्ति और_
_*परमात्म प्रेम* की *विजय* के_
_प्रतीक पर्व *होलिका दहन* की_
_हार्दिक *बधाई एवं शुभकामनाये*.._
🅱️😈🌈♥️🙏🚩
*══════◄••❀••►══════*
जिस तरह होलिका,
जलकर हो गई थी राख,
उसी तरह मिट जाएं,
आपके सारे कष्ट और पाप,
होली दहन की शुभकामनाएं
Good Afternoon All
🏵️ प्रभातवंदन 🏵️
दिल्लगी कर जिंदगी से दिल लगा के चल...!
जिंदगी है थोड़ी सी थोडा मुस्कुरा के चल...!!
🌹 सुप्रभात 🌹
मुझे दुश्मन भी छोड़ गए मुझे ये कह कर,
कि अब तुझे तोड़ने का कोई मज़ा नहीं रहा।
तेरा दिल इतना टूटा है कि अब,
हर वार बेअसर सा लगता है।
जो दर्द देने आए थे, वो खुद ही थक गए,
मेरी ख़ामोशी से शायद वो भी डर गए।
हर टुकड़ा चीख कर खामोश हो गया,
जो जुड़ न सका, वो जख़्म बन गया।
अब ना गिला है, ना शिकवा किसी से,
जो तोड़ गए, उन्हें भी दुआ दी है दिल से।
इतना टूटा हूँ कि अब समेटने वाला भी हार मान जाए,
मेरे अश्क भी अब मेरी तन्हाई से वफ़ा निभाए।
दिल टूटा तो क्या हुआ, अब दर्द से यारी ली है,
जो खो दिया, उसी में अपनी दुनिया बसा ली है।
#kuch_Baatein_hai
जिंदगी में मिला हर इंसान "होली"
सा ही होता है,
कोई रंग बदल जाता है तो,
कोई रंग भर जाता है
Advance Happy Holi
Good Afternoon All
हर शख़्स यहाँ चेहरा लिए फिरता है,
मगर दिलों में कोई आईना नहीं मिलता।
लफ़्ज़ों में वफ़ा की बातें बहुत होती हैं,
पर ज़माने में कोई अपना नहीं मिलता।
दौलत के तराज़ू में तौले गए रिश्ते,
मोहब्बत का कोई मोल नहीं मिलता।
जिसे समझा था साया इस सफ़र का,
वो धूप में भी साथ नहीं चलता।
बदलते वक़्त के साथ लोग बदल जाते हैं,
वफ़ा की राह में कांटे ही बस रह जाते हैं।
इस दुनिया में बस इतना समझ लो,
सच्ची मोहब्बत करो, मगर उम्मीद मत रखो।
#kuch_Baatein_hai
"प्रेम का स्पर्श"
प्रेम में संभोग क्यों जरूरी है,
यह प्रश्न है आत्मा का, शरीर का भी सही,
जब भावनाएँ बहती हैं उफनती नदी सी,
तो देह भी पुकार उठती है, चुप न रह पाती है वही।
संभोग तो बस एक अभिव्यक्ति है,
उस मौन प्रेम की जो शब्दों में सिमट न सके,
वो हथेलियों की हल्की थरथराहट में,
वो सांसों की लय में धीरे से खुलने लगे।
जब आँखें एक-दूजे में डूब जाएं,
जब धड़कनों का शोर भी फीका पड़ जाए,
तब देह का मिलन आत्मा का संगीत बन जाता है,
जहाँ शब्द अनकहे, पर अर्थ मुखर हो जाता है।
संभोग केवल देह का संगम नहीं,
यह विश्वास है, समर्पण है, अपनापन है,
यह वो क्षण है जब प्रेम अपनी पूरी परिभाषा में खिल उठता है,
जहाँ दो आत्माएँ एक लय में धड़कती हैं,
और संसार एक पल को मौन होकर देखता है।
प्रेम में संभोग जरूरी है, क्योंकि...
देह के उस स्पर्श में आत्मा भी सिरहन से भर उठती है,
जहाँ प्रेम केवल महसूस नहीं होता —
वो जीया जाता है, साँस-साँस बनकर।
रावण जीЧитать полностью…
"रावण का अंतिम क्षण"
अंत समय जब पास खड़ा था,
श्वास मद्धम चाल चला था।
शिव का भक्त, विद्वान महाज्ञानी,
मगर अहंकार ने ली बलि भवानी।
सोने की लंका जलती जाती,
अहम् का महल राख बन जाती।
रणभूमि में निढाल पड़ा था,
अपनी हार को मन ही मन पढ़ा था।
"मैंने विद्या पाई, शक्ति कमाई,
पर सत्य की राह न अपनाई।
विवेक को त्याग, मोह को ओढ़ा,
माया में उलझा, सत्य को तोड़ा।"
देखो, दशानन आज पछताया,
जिसने जग को भय दिखलाया।
ज्ञान का दीपक बुझा पड़ा है,
अंदर ही अंदर रोता खड़ा है।
"राम, तुम्हारा धर्म अमर है,
सीता का त्याग अमिट अमर है।
मैं राक्षस था, मैं अंधा था,
अपनी ही अग्नि में जलता धंधा था।"
श्वास रुकी, पर सीख रह गई,
अहंकार की अग्नि राख बह गई।
रावण के अंत में जग ने जाना,
विजय वहीं जो त्याग को पहचाना।
रावण जीЧитать полностью…