शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी नहीं, इंसान बनना है..!
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इस जमाने में मतलब के यार बस मतलब कहा तक रिश्ता वह तक..
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आज हम असीम उपभोग और तुरंत सफलता पाने वाले युग में जी रहे हैं। सोशल मीडिया और बाजारवाद ने इच्छाओं को असीमित कर दिया है। संतोष और संयम की भावना क्षीण होती जा रही है। धर्म केवल पूजा-पाठ तक सीमित रह गया है, जबकि हर काम में नैतिकता, जिम्मेदारी और मर्यादा होना जरूरी है अर्थ और काम को संतुलित कर समाज में शांति लाने के लिए ऐसा ही करना होगा।
शास्त्रों में कहा गया है कि सोलह संस्कार सनातन धर्म के प्राण हैं और प्रत्येक गृहस्थ को पांच यज्ञ ब्रह्मयज्ञ, देवयज्ञ मनुष्य यज्ञ, भूतयज्ञ और पितृयज्ञ करने चाहिए। यही जीवन में संतुलन और समाज में समरसता लाते हैं। आज के दौर में जब जीवन की गति तेज हो चुकी है और भौतिक सफलता ही सब कुछ है, तब इन प्राचीन सिद्धांतों का महत्व और भी बढ़ गया है। जीवन के चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष मनुष्य के समग्र विकास के चार स्तंभ हैं। इन चारों में अर्थ और काम को श्री पुरुषार्थ के रूप में स्थान दिया गया है। धन कमाना और इच्छाओं की पूर्ति करना स्वाभाविक प्रवृत्तियां हैं। लेकिन जबये धर्म से अलग हो जाते हैं, तो अनर्थ पैदाकरते हैं।
किया गया कर्म और दिया गया धोखा, बिना भुगतान के पीछा नहीं छोड़ता है...!
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हमें लगातार चट्टानों से कूदना होगा और नीचे के रास्ते पर अपने पंख विकसित करना होगा।
जय श्रीराम ❣
एक माँ जब बिना जल के घंटों खड़ी रहती है—
तो उसका संकल्प सिर्फ परिवार की खुशियों के लिए होता है।।
छठी मैया आशीर्वाद देना कि हर घर में सुख-शांति और हर आंगन में हंसी गूंजे।
लोक आस्था
सूर्य उपासना
हमारे जीवन में संबंध कोई भी हो लेकिन अगर वह दुख में हमारा साथ ना दे तो फिर सुख में उन संबंधों का कोई मोल नहीं है...!
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यदि आप जीवन में अत्यधिक सोचने की समस्या से जूझ रहे हैं तो रामायण का यह दृश्य आपके लिए है।
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पांवों के लड़खड़ाने पे तो सबकी है नज़र, सर पे कितना बोझ है कोई देखता नही।
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इंसान को हमेशा चुप रहना चाहिए बोलने से रिश्ते टूट जाया करते हैं..
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"जो व्यक्ति सीधी और साफ बात करता है.. उसकी वाणी कठोर हो सकती है, लेकिन वो कभी.. किसी को धोखा नहीं दे सकता..!"
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जो चल रहा हैं वह ही अच्छा है लेकिन उसी को अच्छा मानकर बैठ नहीं जाना है प्रयास करते रहना है
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माफ करना और शांत रहना सीखिए, ऐसी ताकत बन जाओगे की पहाड़ भी रास्ता देंगे..!"
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जेब में पैसा ना हो तो अपने भी तुमको पहचान से मना कर देंगे..
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ये कुनाल जी की यात्रा है...
12 attempt
7 main
5 interview
NO SELECTION.
शायद जिंदगी का दूसरा नाम ही संघर्ष हैं ।
शांत बने रहो जब तक, तुम्हारा सही वक्त नहीं आ जाता..!"
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मनुष्य मूलतः अकेला है। समाज सिर्फ एक मनोवैज्ञानिक सहारा है..!
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दुनिया कहती है जिसका 'उदय' होता है
उसका 'अस्त' होना तय है लेकिन "छठ पर्व" सिखाता है
जो 'अस्त' होता है उसका 'उदय' तय है.. 💯❤️
लाख दलदल हो, पाँव जमाए रखिये; हाथ खाली ही सही ऊपर उठाये रखिये; कौन कहता है छलनी में, पानी रुक नहीं सकता; बर्फ बनने तक, हौसला बनाये रखिये।
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जो अपनी आत्मा से झूठ बोलता है वह दूसरों से सच्चा नहीं हो सकता...!
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हमारा मन जितनी तेजी और गहराई से हमें नुकसान पहुंचा सकता है, उतना कोई और नहीं। हर समय बेकार की बातें, चिंताएं और उन चीजों के पीछे भागना जो हमारे नियंत्रण में नहीं है, हमें भीतर से कमजोर बनाता है।वर्षा कम हो या अधिक, सर्दी पड़े या न पड़े, ये सब हमारे वश में नहीं । लेकिन हम पहले से ही चिंता में डूब जाते हैं। वास्तव में, जो बहुसंख्यक का आदर्श हो, वह हमारे लिए सही ही हो, यह आवश्यक नहीं । इसलिए दूसरों की परवाह किए बिना, अपने तर्क, वृद्धि और अंतःकरण से सलाह लेकर अपने आदशों का चुनाव करें।
जीवन अपनी गति से चलता है, और यह उपहार हमें कब तक मिला है कोई नहीं जानता। इसलिए हर पल को जी भरकर जिएं। छोटी से छोटी घटनाएं भी हमें कुछ न कुछ सिखा जाती हैं। कबाड़ी हमारे घर से वही चीज लेता है जो उसके काम की होती है. बाकी चीजें मुफ्त में भी नहीं लेता। पर हम है कि संसार की हर वस्तु चाहे काम की हो या नहीं, उसे समेटना चाहते हैं। यहां तक कि अपने श्रम से कमाई हुई संपत्ति से अवगुण और दोष भी खरीद लेते हैं। जबकि समझना यह है कि जीवन में केवल उतना ही रखें जितनी जरूरत हो ।
हर किसी को खुश करने का ठेका आपका नहीं है
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अपने बारे में अच्छा सुनने के लिए आपको मारना पड़ेगा..
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मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ,
शीशे से कब तक तोड़ोगे ।
मिटने वाला मैं नाम नही,
तुम मुझको कब तक रोकोगे...।।
अगर विश्वास नहीं तो पूजा क्यों,
और अगर विश्वास है तो चिंता क्यों ?
"शब्दों का जादूगर, सोच का शिल्पकार!"
आज वे हमारे बीच नहीं,
पर उनके विचार, उनकी लाइनें,
और उनका जज़्बा —
हर विज्ञापन में, हर सोच में ज़िंदा है।
कहानीकार चले गए,
पर उनकी कहानियाँ हमेशा बोलती रहेंगी।
आपके पास जब किसी को देने के लिए कुछ ना हो, तो उसे प्रेम और सम्मान दें, यही बड़ा धन है..!
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