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𝑾𝒆𝒍𝒄𝒐𝒎 𝑻𝒐 𝑺𝒆𝒙 𝑺𝒕𝒐𝒓𝒚 𝑪𝒉𝒂𝒏𝒏𝒆𝒍 𝑾𝒉𝒆𝒓𝒆 𝒚𝒐𝒖 𝒄𝒂𝒏 𝑹𝒆𝒂𝒅 𝒂𝒘𝒆𝒔𝒐𝒎𝒆 𝒔𝒆𝒙 𝒔𝒕𝒐𝒓𝒚 𝑰𝒏 𝑯𝒊𝒏𝒅𝒊 & 𝑬𝒏𝒈𝒍𝒊𝒔𝒉 𝑷𝒍𝒛 𝑺𝒉𝒂𝒓𝒆 & 𝑺𝒖𝒑𝒑𝒐𝒓𝒕 𝑼𝒔 𝑨𝒏𝒚 𝒆𝒏𝒒𝒖𝒊𝒓𝒚 𝒄𝒐𝒏𝒕𝒂𝒄𝒕 𝒖𝒔 :- @Xxx_Admins_bot

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Kiski kiski maa Bahane chila rahi chudai ki vajah se pm me @Desikahani_bot

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लगी.
मुझे बहुत अजीब स्वाद लगा लेकिन वीर्य को मुंह में गिरवाने में मजा आया.

मैं वीर्य को मुंह में ही रखे रही और फिर पास में जाकर थूक आई. उसके बाद मैंने अपने कपड़़े पहने और कुल्ला किया. फिर भाई भी बाथरूम में गया. उसका लंड अब सिकुड़ गया था.

फिर वो नंगा ही लेट गया.
उसका लंड बहुत रसीला लग रहा था. मैं दोबारा से उसके लंड से खेलने लगी.

फिर उसने एक बार मुझे फिर से चोद दिया.

इस तरह से हमने उस रात को तीन बार चुदाई की.

फिर मैं भाई से रोज ही चुदने लगी. जब तक मेरी शादी नहीं हुई मैं अपने ही घर में रहकर बहुत बार चुदी.

कई बार तो उसने मुझे बाहर रूम पर ले जाकर भी चोदा. हम दोनों होटल में जाते थे और वहां पर चुदाई का मजा लेते थे.

उसके बाद मैंने एक बॉयफ्रेंड भी पाल लिया था. पर मुझे मेरे बॉयफ्रेंड से चुदाई में भी इतना मजा नहीं आता था जितना भाई के लंड से चुदवाने में आता था.

उसके बाद फिर शादी हो गयी लेकिन जब भी घर आती मैं भाई का लंड जरूर लेती थी.
अब भी हम दोनों का ये प्यार जारी है. मुझे भाई के लंड से चुदने में अलग ही मजा आता है.

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दोस्तो, मेरी नाम रिया है. मेरी आयु 24 साल है. मैं एक छोटे से गांव से हूं.

इस कहानी को सुन कर मजा लें.

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यह भाई की चुदाई कहानी 3 साल पहले की है जब मैं 21 साल की थी; मेरी शादी नहीं हुई थी, मैं कुंवारी थी. अब तो मेरी शादी हो चुकी है और दो साल बीत चुके हैं.

हम लोग परिवार में कुल 4 सदस्य थे. मेरा भाई, मैं और मम्मी-पापा. हम मिडिल क्लास के लोग हैं.
पापा हमेशा बाहर जाते थे पैसे कमाने के लिए. वह दिल्ली में रहते हैं और सिलाई का काम करते हैं.

मैं और मेरा भाई जो कि मेरे से 2 साल छोटा है हम लोग पढ़ने जाते थे.
उस समय मैं कॉलेज के सेकेण्ड इयर में थी और मेरा भाई बाहरवीं में था. मैंने भी कभी चुदाई नहीं करवायी थी और भाई भी चुदाई से अनजान था.

वो काफी शर्मीले मिजाज का हुआ करता था और मेरी हर बात मानता था. मुझे पता था कि उसकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी.
मुझसे उसकी कोई बात छिपी नहीं थी.

जब मैं कॉलेज जाती थी तो एक लड़का मुझे ध्यान से देखा करता था.
मैं भी धीरे धीरे उसको पसंद करने लगी.

फिर वो बहाने से मेरे साथ बात करने लगा और हम दोनों की फ्रेंडशिप हो गयी.

चूंकि भाई मेरे कॉलेज के सामने से ही गुजरता था तो वो भी उस लड़के की निगाहें पढ़ चुका था. यह बात भाई को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी.

मुझे वो लड़का अच्छा लगने लगा था. हम लोग चोरी छुपे मिलते थे.

भाई को ये बात एक दिन पता लग गई कि हम लोग आपस में मिलते हैं.
उसने मुझे धमकी दी कि वो घर में इस बात के बारे में बोल देगा.
बड़ी मुश्किल से मैंने उसको मनाया. फिर वो मान गया.

फिर कुछ दिन के बाद गर्मी का मौसम शुरू हो गया. फिर जुलाई का महीना आ गया. गर्मी काफी पड़ रही थी. हम लोग अब छत पर सोते थे.

एक रात को बारिश का मौसम हो रहा था. मैंने भाई को छत पर सोने के लिए मना किया.
मगर वो नहीं माना.
वो कहने लगा कि बारिश आयेगी तब नीचे आ जायेगा.

फिर वो ऊपर सोने चला गया.

दोस्तो, मैं आपको बता दूं कि हमारे घर में दो कमरे थे जिनमें बेड डले हुए थे. एक में मम्मी पापा सोते थे और एक में हम दोनों भाई बहन सोते थे.
मैं उस दिन अपने रूम में सो रही थी नीचे.

रात को अचानक बारिश शुरू हो गयी तो मेरी भी आंख खुली. मैं नींद में थी तो फिर मैंने दोबारा से आंखें बंद कर लीं.

मगर मुझे याद है कि मैंने भाई को भागकर नीचे आते हुए देखा था.
वो आकर मेरे पास बेड पर लेट गया. फिर मैं भी सो गयी.

कुछ देर के बाद जब अचानक से मेरी नींद हल्की सी टूटी तो मेरी नजर भाई की ओर गयी.

मैंने पूरी आंखें नहीं खोलीं मगर मैं सोने का नाटक करती रही.
वो बैठा हुआ मुझे ही देख रहा था.

कुछ देर तक वो ऐसे ही मुझे बैठा बैठा देखता रहा.
फिर वो मेरे पास आकर बैठ गया.

मेरी तो धड़कनें तेज हो गईं. मगर उसने कुछ किया नहीं.
फिर वो दोबारा से लेट गया.
मगर इस बार वो मेरे काफी पास लेटा था.

लेटने के बाद उसने मेरे पेट पर अपना हाथ रख दिया.

मैं जाग गयी और मैंने उसे भी जगा दिया.
मगर वो तो पहले से ही जाग रहा था.
मैंने उसको बोला- ये क्या कर रहा है तू भाई?
वो बोला- सॉरी दीदी, नींद में था तो लग गया.

फिर मैंने कहा- ठीक है, सो जा आराम से.
उसके कुछ देर बाद उसने फिर से मेरे पेट पर हाथ रख दिया.
मेरी आंख खुली मगर मैंने सोचा कि नींद में रखा होगा और मैं भी फिर सो गयी.

एक घंटे के बाद मुझे कुछ महसूस हुआ. मुझे लगा जैसे कोई नुकीली चीज मेरे पीछे चुभ रही है. मैंने पाया कि भाई के हाथ मेरे बूब्स पर थे और वो पीछे से अपना लंड मेरी गांड पर चुभा रहा था.

मैं कुछ नहीं बोली और चुपचाप उसकी हरकतें देखने लगी.

धीरे धीरे वो मेरे पूरे बदन पर हाथ से सहलाने लगा. मेरे पेट से होते हुए मेरी चूत तक आ गया. ऊपर से उसने मेरी चूत पर हाथ फिरा दिया.

एकदम से मेरे बदन में सरसरी दौड़ी जिसको मैंने बहुत ही मुश्किल से कंट्रोल किया.
वो मेरे बूब्स दबाने लगा और मैं कुछ नहीं बोल रही थी.

भाई के सहलाने से मेरी चूत गीली होने लगी. मैंने अपनी चूत के बाल भी दो दिन पहले ही साफ किये थे.

मैं भी अब धीरे धीरे गर्म होने लगी थी. मगर मैं सोने का नाटक करती रही. मैं उसके हाथों का मजा ले रही थी.

उसने धीरे से फिर मेरी कैपरी नीचे कर दी. मैंने भी बिना उसको जाहिर हुए अपनी गांड थोड़ी सी उठा दी थी ताकि कैपरी आसानी से निकल जाये.
मैं सोने का नाटक पहले की तरह ही करती रही.

मेरी कैपरी को नीचे करने के बाद उसने मेरी पैंटी भी नीचे कर डाली और मेरी चूत को चाटने लगा.
उसकी गर्म जीभ मुझे मेरी चूत पर महसूस हो रही थी.
मैं खुद को अब कंट्रोल कर नहीं पा रही थी.

फिर उसने मेरी चूत के अंदर ही जीभ दे दी और मेरी आह्ह निकल गयी.
मैं उठ गयी और चौंक कर बोली- ये क्या कर रहे थे तुम?
वो बोला- सॉरी दीदी, आप बहुत हॉट हो. मुझसे रहा नहीं गया.

मैं नाटक करते हुए बोली- मैं ये सब मम्मी को बता दूंगी.
वो डर गया और अपनी साइड जाकर लेट गया.

उसका लंड उसकी कैपरी में अभी भी खड़ा थ

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ोद में उठाया और बेड पर लिटा दिया.

बुआ अपनी आंखें बंद किये हुई थीं.
मैं कुछ देर तक उन्हें प्यार से देखने लगा.

इसके बाद मैंने बेड से उठकर दरवाज़ा बंद किया और उनके पास आ गया.

बुआ ने अब भी अपनी आंखें बंद कर रखी थीं. मैंने पहले उनके सिर पर किस किया … फिर गर्दन के पास किस करते हुए बुआ के पेट पर अपना हाथ रख दिया.

फिर मैं अपने हाथ को धीरे धीरे उनकी बड़ी बड़ी चूचियों की तरफ ले जाने लगा. लाल रंग की मस्त चोली के ऊपर से मैंने उनकी बाईं ओर की चूची पकड़ी और ज़ोर से दबा दी.
बुआ की हल्की सी ‘आहहहह सीई ..’ निकल गई.

अब मैंने दूसरे हाथ से उनकी दूसरी चूची भी पकड़ ली और दोनों चूचियों को मस्ती से दबाने लगा.

बुआ की वासना जागने लगी और वो मादक आहें भरने लगीं.
अब मैं समझ गया था आज बुआ की कुंवारी चुत का गिफ्ट मिल रहा है, इसे मजे से ले लो.

मैं अब पूरी तरह से खुल गया था. मैं बुआ के ऊपर बैठ गया और उनकी चोली के सामने से बटनों को खोल कर उनकी सेव जैसी भरी हुई चूचियों को आज़ाद कर दिया.

उनकी दूधिया चूचियों के ऊपर कड़क हो चुके पिंक निप्पलों को देख कर मुझे तरन्नुम आ गई.
मैंने एक निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और मजे लेकर चूसने लगा; हल्के हल्के दांतों से उन्हें खींचते हुए काटने लगा.

वो ‘उईईईईई उउन्ह ..’ की आवाजें निकालने लगीं.

मैं मस्ती से उनकी दोनों चूचियों को काफी देर तक बारी बारी से चूसता रहा.

बुआ एकदम से गर्मा गई थीं.
उन्होंने मेरा सिर पकड़ कर ऊपर उठाया और मेरी आंखों में आंखें डाल कर बोलीं- जो भी करना है … जल्दी कर लो. मंदिर से लोग सब आने वाले होंगे.

ये बोलते हुए उन्होंने अपने हाथों से मेरे लंड पकड़ लिया और पायजामा नीचे कर लंड निकाल कर चूसने लगीं.

मेरा छोटा सा राजा बड़ा हो कर खड़ा हो गया.

बुआ ने पहले अपनी दोनों चूचियों के बीच मेरा खड़ा लंड रगड़वाया. उनकी मुलायम मुलायम चूचियों के बीच में लंड रगड़ने में बहुत मज़ा आ रहा था.

फिर बुआ ने नशीली आंखों से मुझे देख कर कहा- अब नीचे आ जाओ.

मैं नीचे आ गया और उनका पजामा खोल दिया.
उनकी गोरी टांगों पर ब्लैक कलर की पैंटी कसी हुई थी. उनकी चुत एकदम कचौड़ी सी थी जिस वजह से पैंटी एकदम पावरोटी की तरह फूली हुई थी.

मैंने उनकी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रखा और बिना एक पल रुके, बुआ की पैंटी के ऊपर से बुआ की चूत को मुँह में लेकर दांत गड़ा दिए.

बुआ ने एकदम से तड़फ कर अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए ‘आआह हहह ..’ की आवाज निकाल दी.

मैंने बुआ की पैंटी को खोला तो देखा कि बुआ की चिकनी रसीली चूत पूरी नमकीन पानी से भरी हुई थी.
जिस चूत के लिए मैं रोज रात मुठ मारता था, आज वो मेरे सामने खुली हुई थी और मेरे लंड को लेने को रेडी थी.

मेरा जी तो कर रहा था कि बुआ की चूत के साथ कुछ देर और खेल लूं.
लेकिन बुआ ने अपनी जल्दी चुदाई करने को लेकर अपनी दोनों टांगें फैला दीं और मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत की फांकों में घुमाने लगीं. फिर चुत के छेद में लंड का सुपारा रख दिया.

मैंने जोश में पूरी ज़ोर के साथ बुआ की चूत में लंड घुसा दिया.
मेरा लंड चुत में क्या घुसा … बुआ ज़ोर से चिल्ला दीं- आआह … मर गई मम्मी रे आऐ ययई … इस्सस्स.

मैंने जल्दी से बुआ का मुँह बंद कर दिया और आधा लंड बाहर निकाल फिर से ज़ोर से पेल दिया.

‘ओ मर गई रे … आह साले ने फाड़ दी मेरी … उम्मर ऊहह.’
बुआ की आंखें आंसुओं से भर गई थीं.

फिर भी मैं नहीं रुका, धकापेल शॉट मारता रहा. मेरे हरेक शॉट पर बुआ की चूचियां उछल उछल कर चुदाई की कहानी कह रही थीं.

बस कुछ ही देर का दर्द हुआ उसके बाद बुआ मजा लेने लगीं- आह और ज़ोर से कुलजीत … चोद दे आज आह … मजा आ गया.

बुआ की मादक आवाजों ने मेरी कमर की गति को खुद ही रफ्तार दे दी थी और मैं ज़ोर ज़ोर से बुआ की चूत चोदने में लगा था.
पूरे कमरे में चूत चुदने की आवाज़ गूंजने लगी थी.

बुआ को लगा होगा कि ये मेरी पहली चुदाई है, मैं ज़्यादा देर तक नहीं टिकूंगा.
मगर मैं पूरे ज़ोर से लगातार 15 मिनट तक उनकी चूत बजाता रहा.
फिर मैंने अपना माल बुआ की चूत में छोड़ दिया.

बुआ मुझसे पहले ही अपनी चुत का पानी छोड़ चुकी थीं.
अब बुआ एकदम शांत हो गई थीं.

मैंने बेड से उठ कर पजामा ठीक करते हुए बुआ को देखा.
वो नंगी बेड पर अपनी दोनों टांगें फैलाए हुए पड़ी थीं. बुआ की पिंक चूत खून निकलने से और भी पिंक हो गई थी, जिसमें से मेरा माल गिर रहा था.
ऊपर बुआ की चोली खुली हुई थी और उनकी चूचियां भी पिंक हो चुकी थीं.

मुझसे रहा न गया और मैंने उनकी चूचियों को फिर से पकड़ लिया. एक को मुँह में ले लिया और दूसरी को दबाने लगा.
फिर बुआ के मम्मों को चोली के अन्दर करके बटन लगा दिए.

मैंने बुआ की पैंटी लेकर उनकी चूत साफ की, फिर उनको पैंटी और पजामा पहनाया.

बुआ उठ कर खुद को ठीक करने लगीं और मैं उनके पास बैठ कर उन्हें देखने लगा.

तब तक घर के सब लोग मन्दिर से आ चुके थे.

दरवाजे पर दस्तक हुई तो मैंने दरवाज़ा खोला

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ं ले लो ना … एक बार इसको अपने मुंह की गर्मी दे दो. आज तक मैंने किसी के मुंह में लंड नहीं दिया है.

मैं बोली- ये तो है ही चूसने लायक. इसको कौन नहीं चूसना चाहेगी. ऐसा मोटा ताजा रसीला लंड बहुत ही कम मर्दों के पास होता है. तुम उन्हीं में से एक हो।

ये कहते ही मैं उसके लंड पर झुक गयी और उसके लंड को मुंह में पूरा भरकर चूसने लगी.
मैंने अपने शौहर का लंड बहुत चूसा था लेकिन कभी इतना बड़ा लंड मुंह में नहीं लिया था.

समर का लंड मेरे मुंह में समा भी नहीं रहा था. मैं उसे मुंह में लेने लगी. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
वो मेरे बाल पकड़ कर लंड को धकेलने लगा.
मैं पूरा लंड गले तक लेने की खुद ही कोशिश कर रही थी.

मगर समर को अभी भी चैन नहीं था; वो मेरे बालों को खींचते हुए पूरे लंड को अंदर धकेल देना चाहता जबकि उसका लंड पहले ही मेरे गले में जाकर फंसा हुआ था.

दम मिनट तक किसी तरह मैंने उसका लंड चूसा और मेरी हालत खराब हो गयी. फिर उसने मुझे जोर से धक्का देकर पटक लिया.

मैं मन ही मन खुश हो रही थी कि जेठ के लंड से चुदाई का सपना आज उसका बेटा पूरा करेगा. मैं जानती थी कि समर आज मेरी चूत को फाड़कर रख देगा और मैं भी यही चाहती थी.

फिर उसने मेरी टांगों को पकड़ कर फैला दिया. उसने मेरी दोनों टांगों के बीच उसका मुंह डाला और मेरी चूत को बेतहाशा चूसने और चाटने लगा.

मेरे मुंह से एकदम से सीत्कार फूट पड़े- आह्ह … आह्ह … ओह्ह … समर … मेरे बच्चे … ओह्ह … यही तो चाहती थी मैं … आह्ह … हाह्ह … हाये … ओह्ह … स्स्स … आह्ह और जोर से चूस … आह्ह … मेरी चूत की प्यास मिटा दे … आह्ह … चोद दे … फाड़ दे … आह्ह।

उसके चाटने की वजह से मेरी चूत एकदम से धधक उठी. मैंने मुश्किल से कंट्रोल किया नहीं तो उस रात मैं समर को अपनी चूत में ही घुसा लेती.
मैं बोली- बस कर … अब चोद दे … अपने मोटे लंड से मेरी चूत फाड़ दे … चोद मुझे जल्दी.

वो बोला- हां चाची, मैं आपकी चूत का भोसड़ा कर दूंगा आज!
फिर उसने मुझे कुत्तिया की तरह खड़ी कर दिया और मेरी चूत पर उसका लंड सेट करने लगा।

लंड लगाकर उसने मेरी कमर से मुझे पकड़ लिया और एक जोर का धक्का दे मारा.
उसका लंड मेरी चूत में आधा जा घुसा.

मेरी तो बांछें खिल गयीं. इतने सालों के बाद कोई दमदार लंड चूत में गया था.

फिर उसने मुझे चोदना शुरू कर दिया और मैंने अपनी चूत को पूरी तरह से ढीली छोड़ दिया ताकि उसका लंड जितना हो सके मेरी चूत में आ सके.
उसने दो तीन झटकों में पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया था.

उसका लंड मुझे मेरे पेट में चोट करता हुआ अलग से महसूस हो रहा था. मेरी चूत की दीवारें चरमरा गयी थीं लेकिन ऐसा सुकून मिल रहा था जो जन्नत में भी नसीब न हो.

चूत को केवल लंड चाहिए होता है. मेरी चूत को समर का लंड मिल गया था. लंड इतना दमदार था कि मेरी चूत से खुशी के आंसू गिरने लगे थे.
मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था और वो पच पच की आवाज के साथ समर के लंड से चुद रही थी.

उसने दस मिनट तक मुझे कुतिया बनाकर चोदा.
फिर उसने मुझे बेड के नीचे धकेल दिया; मुझे दीवार के साथ ले गया और मेरी एक टांग उठाकर अपनी कमर पर रखवा ली और नीचे से अपना लंड मेरी चूत में चढ़ा दिया.

नीचे ही नीचे धक्के देते हुए वो मेरी चूत में लंड को नापने लगा. मेरी चूचियां उसके हर धक्के के साथ फुटबाल की तरह उछल जाती थीं.
मेरी चूत अंदर तक तृप्त हो रही थी.

फिर वो मेरी चूचियों को काटते हुए चोदने लगा.
अब मुझसे रुका न गया और मैं झर झर झरने की तरह कामरस की धारा बहाने लगी.
मेरी चूत का रस पच पच … होती चुदाई के साथ ही मेरी जांघों पर बह निकला.

अब समर ने मुझे बेड की ओर धक्का मारा और झुकाकर पीछे से मेरी चूत में लंड दे दिया.
वो पीछे से मुझे चोदने लगा. मेरा सिर बेड से टकराते हुए धम धम कर रहा था. मगर वो मुझे चोदे जा रहा था.

उसका लंड अब मुझे चूत में बर्दाश्त नहीं हो रहा था और मैं दर्द से कराहने लगी थी.
फिर पांच मिनट तक किसी तरह मैंने उसको बर्दाश्त किया और वो भी मेरी चूत में झड़ता हुआ मेरे ऊपर लेट गया.

इस घमासान चुदाई के बाद मेरा अंग अंग समर को दुआ दे रहा था. ऐसी चुदाई न जाने कितने सालों के बाद हुई थी.
मैं तो समर की दीवानी हो गयी.

उसके बाद हम दोनों ऐसे ही नंगे लिपट कर सो गये.

तीन चार दिनों तक जब तक कि मेरा बेटा वापस न आ गया मैं अपने जेठ के बेटे से खूब चुदी.
हम दोनों ने खूब इंजॉय किया.

फिर सबके आने के बाद भी हम स्टोर रूम में चुदाई कर लेते थे.

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, मेरा नाम रिजवाना है। मेरी उम्र 40 साल है. मैं एक शादीशुदा औरत हूं. हमारी ज्वाइंट फैमिली थी और घर में मेरे और मेरे शौहर व बेटे के अलावा मेरा जेठ, जेठानी, उसकी बेटी और बेटा भी रहते थे.
मेरी शादी के बाद से ही मेरे शौहर ज्यादातर काम की वजह से बाहर ही रहते थे।

यह कहानी सुनकर मजा लें.

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अब मैं आपको अपने बारे में बता दूं कि मेरा रंग गोरा है. मेरा साइज 38-32-36 का है.

बच्चा होने के बाद मेरे शौहर मुझे वो मजा नहीं दे रहे थे जो पहले दिया करते थे. अब उनको भी मेरी चूत में कम मजा आने लगा था. वो चुदाई भी कम करने लगे थे. मैं अब अक्सर प्यासी ही रहती थी.

वैसे भी मेरे शौहर ज्यादा समय तो काम के कारण बाहर ही रहते थे. जब घर में होते तब भी ज्यादा चुदाई नहीं करते थे.

जब मेरा मन चूत में उंगली करने का करता तो मैं अपने जेठ और जेठानी की चुदाई देखा करती थी. मैं उनकी चुदाई देखकर अपनी चूत में उंगली किया करती थी.

उनकी चुदाई देखने के लिए मैं देर रात तक जागा करती थी. मेरे शौहर के मुकाबले मेरे जेठ का लंड ज्यादा लम्बा और मोटा था और उसके शरीर में ताकत भी काफी ज्यादा थी।

कई बार मैंने अपने जेठ को पटाने की कोशिश भी की थी. उसकी बीवी यानि कि मेरी जेठानी उससे बहुत खुश रहती थी. इसलिए वो मेरी तरफ ज्यादा ध्यान भी नहीं देता था.

फिर ऐसे ही वक्त गुजरने लगा और हम दोनों के बच्चे बड़े होने लगे. मेरी चूत को मैं जैसे तैसे करके शांत करती रही. कभी गाजर मूली से काम चलाती तो कभी उंगली या बेलन से।

हमारी जवानी ढलने लगी और बच्चों में जवानी आने लगी.
मेरे जेठ का बेटा अब 19 साल का हो गया था. मेरा बेटा भी उसी की उम्र का हो गया था.

मेरी चूत की आग अभी भी वैसे ही जलती रहती थी.

मेरे जेठ की जवानी भी ढल गयी थी मगर अब घर में कई जवान बच्चे हो गये थे.

एक बार की बात है कि मेरी जेठानी उसके मायके में गयी हुई थी. उसकी बेटी भी साथ में गयी थी. जबकि उसका बेटा समर घर में ही था. वो मुझे चाची कहता था.
इधर मेरा बेटा अपने पिता के साथ ही कुछ दिन के लिए बाहर चला गया था.

मेरा जेठ सुबह जाता था और शाम को घर लौटता था. घर में मैं और समर ही रहते थे. मैं ही उसके लिए खाना बनाती थी. उसके कॉलेज की छुट्टियां चल रही थीं.

समर की आदत थी कि वो अक्सर वो जब नहाने के लिए जाता था तो तौलिया भूल जाता था. फिर वो अपनी अम्मी को आवाज लगाता था.

उस दिन भी ऐसा ही हुआ।
वो नहाने गया लेकिन तौलिया नहीं ले गया. उसकी अम्मी तो घर में थी नहीं तो उसने मुझे आवाज लगाई- चाची, मेरा तौलिया ला दो.

मैं उसका तौलिया लेकर गयी. उसने दरवाजा खोला और तौलिया ले लिया. उसने अपने लंड के सामने अपनी लोअर लगा रखी थी.
जैसे ही वो दरवाजा बंद करने लगा तो उसकी लोअर हाथ से छूटकर गिर गयी.

मेरी नजर उसके लंड पर पड़ी तो वहीं ठहर गयी. उसका लंड बहुत ही लम्बा और मोटा था जो किसी खीरे की तरह उसकी जांघों के बीच में लटक रहा था.

मुझे वो लंड देखते ही ये सोचते देर न लगी कि इसका लंड तो इसके बाप से भी ज्यादा आगे निकल गया है.
मेरे जेठ का लंड भी बहुत मोटा-लम्बा था. मगर समर का लंड तो अभी से इतना लम्बा और मोटा हो गया था.

मैं वहीं पर ठिठक सी गयी और नजर वहां से हटी ही नहीं.
समर अपने लंड को तौलिया से ढकते हुए बोला- चाची जाइये. मैंने तौलिया ले लिया है.

उसने जब मेरा नाम लिया तो मुझे होश सा आया और मैं वहां से आ गयी.
मगर अब मेरी चूत में जबरदस्त खुजली होने लगी थी.

जेठानी का जवान बेटा घर में अकेला था. उसकी जवानी भी चुदाई के लिए तड़प रही होगी. उसको भी चूत चोदने की ललक मची होगी … क्यों न मैं अपनी चूत की प्यास उसी के लंड से ही बुझा लूं?

अब मेरे दिमाग में हर वक्त समर का लंड ही घूम रहा था. उसका मोटा लम्बा बैंगन जैसा लंड मैंने देख लिया था और मुझे अब किसी भी वक्त चैन नहीं था. मैं बस उसके लंड को अपनी चूत में चखना चाह रही थी.

अब मैंने समर को चेक करने का सोचा कि देखती हूं कि ये क्या सोचता है मेरे बारे में?

जब मैं नहाने के लिए गयी तो मैं जानबूझकर अपने कपड़े वहीं बाहर ही छोड़ गयी.

नहाने के बाद मैंने उसे आवाज लगाई.
फिर वो मेरे कपड़े लेकर आ गया.

मैंने उससे नये कपड़े ले लिये पर अपने उतारे हुए कपड़े उसे दे दिये, कहा कि वाशिंग मशीन में डाल दे.
मेरे पुराने पहने हुए कपड़ों में मेरी ब्रा और पैंटी भी थी.
मैंने जानबूझकर उसको वो पैंटी और ब्रा दी थी.

फिर मैंने उसके सामने दरवाजा बंद कर लिया मगर अंदर से लॉक नहीं किया.
मैं जाते हुए चुपके से उसको देखने लगी.

वो मेरी ब्रा और पैंटी को सूंघता हुआ जा रहा था और अपने लंड को सहला रहा था.
मुझे पता चल गया कि वो भी चूत के लिए प्यासा है. अब मेरा काम बहुत आसान था.

उस दिन तो मुझे फिर मौका नहीं मिला लेकिन उसने अपना मौका नहीं छोड़ा.
बाद में मैंने देखा कि मशीन में पड़ी उस पैंटी पर उसके लंड का माल लगा हुआ था और उसके लंड के माल की खुशबू भी आ

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यादा खुल गयी थी. पहले तो वो अपने कपड़ों का ध्यान रखती थी लेकिन अब वो कई बार घर में ब्रा में ही घूमती रहती थी.

वो ब्रा पहनकर घर के काम करती थी। मैं उनसे बाते करते करते उनके दूधों को घूरता रहता था।
जब भी वो तेल लगवाती थी तो ऊपर ब्रा और नीचे स्कर्ट या हॉफ पैंट पहनकर रखती थीं।

एक दिन नहाने के बाद दीदी ने एक नई ब्रा पहनी थी और नीचे तौलिया लपेटे हुए थी।
उस दिन भी दीदी मसाज के लिए कहने लगी. उसने मुझे आवाज लगाई और चटाई पर उल्टी लेट गई।

मैं तेल लेकर दीदी की मसाज करने के लिए आ गया।
दीदी की गांड बहुत सेक्सी लग रही थी. पीछे से मुझे ऐसा लग रहा था कि बस अब दीदी के ऊपर चढ़ जाऊं।

मैंने तेल लगाना शुरू किया तो दीदी ने ब्रा नहीं खोली.
उनकी ब्रा की पट्टी पर तेल लग गया तो मैंने उनको बताया.
वो बोली- ब्रा को खोल दे। फिर आराम से मालिश कर देना।

मैंने दीदी की ब्रा के हुक को खोल दिया. अब पूरी पीठ पर कोई कपड़ा नहीं था। पूरी पीठ पर मैंने तेल लगाया। तेल लगाते लगाते मेरा हाथ उनके दूध तक छू जाता था।

उस दिन मेरा लंड बहुत देर तक तड़पता रहा. जब तक दीदी मसाज करवाती रही तब तक मेरे लंड में तनाव बना रहा और मेरा लंड पानी छोड़ता रहा.
उस दिन मैंने सोच लिया कि एक दीदी चुद ही जायेगी।

अब रोज ही मैं मसाज करते हुए उनकी ब्रा के हुक खोल कर ऑयल लगाने लगा।

एक दिन मैं तेल लगा रहा था कि तभी किसी का कॉल आया। मेरे हाथ में तेल लगा था और फोन बेड पर था।
हम लोग बेड के बगल में ही थे।

नेहा दीदी ने कहा- रुको … मैं फोन उठाती हूं।
उन्होंने अपने एक हाथ से फोन उठाना चाहा लेकिन फोन हल्का सा दूर था, तो उसने थोड़ा और लेटे लेटे हाथ ऊपर की ओर बढ़ाया।

उनका चूचा इससे हवा में झूल गया. पहली बार मुझे दीदी के चूचे नंगे देखने को मिले।
एकदम से मेरा लंड फनफना उठा. दीदी की चूचियों का ऊपरी उभार मैंने बहुत बार देखा था लेकिन आज दीदी के निप्पल भी दिख गये थे.

मैं तो पागल सो हो गया था। एकदम से सेक्स चढ़़ गया मुझे।

देखा तो दीदी की सहेली का फोन था और दीदी फोन पर बात करने लगी।
इस बीच मैं दीदी की चूचियों को छूने लगा.

उसका ध्यान भी इस ओर गया लेकिन वो फोन पर बात करती रही. उसको मजा आ रहा था लेकिन वो फोन पर बस हां या ना में जवाब दे रही थी.

दो तीन मिनट के बाद फोन कट गया।

फिर अब मैंने सही से तेल लगाना शुरू कर दिया। मेरा हाथ पीठ से होते हुए उनके सीने को छूने लगा।
अब वो हल्की गर्म होना शुरू हो गई थी। मेरे हाथ बार बार उसके दूध को छूकर आ रहे थे।

मैं अपने हाथ को दीदी के दूध के नीचे तक ले जाना चाहता था ताकि मेरा हाथ उनके निप्पलों तक पहुंच जाये।
चूचियों को छूने से नेहा दीदी की आंखें अब हल्की हल्की बंद होना शुरू हो गयी थीं।

अचानक वो मेरी तरफ पलट गई और उनके दूध मेरे सामने आ गए।
मैंने हल्के हाथों से उनके दूध की मसाज करना शुरू कर दिया. मैं डर रहा था कि दीदी कहीं एकदम से गुस्सा न हो जाये लेकिन वो शायद गर्म हो चुकी थी और चाहती थी कि मैं उनके दूध पर मसाज करूं।

मसाज करते हुए मैंने अब दूध को दबाना शुरू किया।
दीदी अब भी चुपचाप लेटी हुई मसाज करवा रही थी।
5 मिनट बाद मैं कसकर दीदी के दूध दबाने लगा.

अब मुझसे रुका न गया क्योंकि दीदी के मुंह से अब हल्की हल्की आह्ह निकलना शुरू हो गयी थी.
मैंने अब परिणाम की परवाह किये बिना अपने होंठों को दीदी के दूधों पर कस दिया और मुंह लगाकर दीदी के बूब्स को पीने लगा.

वो भी जैसे इसके लिए पूरी तरह से तैयार थी। उसकी आँखें बंद थीं और वो मेरे सिर के बालों को सहलाने लगी. उसके मुंह से अब आहें निकल रही थीं.

अब मैं पूरे जोश में आ गया था. मैं दीदी के बदन को चूमने लगा और फिर मैंने उसका तौलिया भी खोल दिया.

तौलिया खुलते ही दीदी नीचे से नंगी हो गयी. दीदी ने नीचे से पैंटी भी नहीं पहनी थी. इसलिए तौलिया हटाते ही मुझे दीदी की चूत नंगी मिली।

मेरा मुंह एकदम से सूख गया. मुझे उम्मीद नहीं थी कि दीदी की चूत इस हालत में देखने को मिलेगी.

उसकी चूत देखकर मैं पागल हो गया और मैंने सीधा उसकी चूत में मुंह लगाकर चाटना शुरू कर दिया.
दीदी मेरे सिर को सहलाने लगी और अपनी टांगों को खोलने का प्रयास करते हुए मेरी जीभ को चूत में देने का इशारा करने लगी।

मैंने भी दीदी का इशारा समझा और दीदी की चूत में जीभ देकर चूसने लगा।
अब मैंने नेहा की चूत में उंगली डाल दीं और उसकी सिसकारी फूट पड़ी- आह्ह … स्स् … ओह्ह .. क्या कर रहा है … प्रतीक … आह्ह!

दीदी की चूत में उंगली करते हुए मैं बोला- आह्ह … दीदी … बस … आज मत रोको … आह्ह … दीदी … कितनी मस्त चूत है आपकी … आआह … पी जाऊंगा इसे!

मैंने आज तक किसी लड़की को नहीं चोदा था। इसलिए मैं ज्यादा देर खुद को रोक नहीं सकता था. दीदी की चूत को उंगली से चोदने के बाद अब मेरा लंड पूरा गीला हो चुका था।

उठकर मैंने तुरंत अपने कपड़े उतार फेंके और नंगा हो गया।
मैंने तुरंत अपना लन्ड नेहा की चूत पर रखा और ए

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हुई थी. मैं अब अपनी स्पीड बढ़ा रहा था.
स्नेहा आह आह आह कर रही थी.

मुझे बहुत मजा आने लगा था. मैंने उसके दोनों पैरों को पकड़ कर लंड ज्यादा से ज्यादा अन्दर डालने की कोशिश कर रहा था.

मैं अब झड़ने वाला था. दिल तो कर रहा था कि उसकी चूत में ही पानी छोड़ दूं.
पर कुछ हो न जाए इस डर से मैंने लंड बाहर निकाल दिया और अपने हाथ में पकड़ कर झड़ गया.

फिर बाथरूम में जाकर मैंने सब धो लिया. मैं रूम में आ गया. स्नेहा अभी तक उसी हालत में सोई हुई थी.
मैं उसके बाजू लेट गया और उसका एक पैर मेरे ऊपर ले लिया, जिससे मेरा लंड उसके चूत को टच कर रहा था.

कुछ आधे घंटे बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने फिर से स्नेहा को चोदना शुरू कर दिया. इस बार में बिना किसी डर के उसे चोदे जा रहा था.

करीब 10 मिनट बाद उसकी चूत पूरी तरह से चिपचिपी हो गई थी.
मैं जैसे जैसे धक्के मारता तो पच पच करके आवाज आती.

मैं अब स्नेहा को चोदते चोदते उसके बदन पर लेट गया था. वो मुझे टाइट पकड़ कर चुदवा रही थी. उसके नाखून मुझे चुभ रहे थे. मैं उसके मम्मे चूस रहा था और साथ ही साथ उसे जोर जोर से चोद भी रहा था.

कुछ देर बाद मेरा पानी निकालने ही वाला था, मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया. उसने झट से उठ कर लंड पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और चूस कर सारा पानी पी गई. फिर चाट चाट कर मेरा लंड साफ भी कर दिया.

तब से 3 महीनों तक लगातार मैंने अपनी हॉट बहन को चोदा.

अभी 2 दिन पहले वो वापिस अपने शहर भोपाल चली गई. उसे जाने का बिल्कुल दिल नहीं था, पर जाना पड़ा.

जिस दिन स्नेहा चली गई .. उस दिन से चाचा का काम-काज कुछ हद तक शुरू हो गया था. इसलिए 2 दिन से दिन के समय मैं चाची के साथ सोफे पर नंगा ही लेटा रहता हूं. चाची तीन महीने की बची हुई चुदाई पूरी करवा रही हैं.

श्वेता भी एक दो दिन मैं आ जाएगी. तब उसको चाची के साथ एक बिस्तर पर रगड़ कर मजा लूंगा.

स्नेहा ने भी जाते समय उसके लिए अपनी पैंटी और ब्रा रखी है ताकि वो पहने तो मुझे स्नेहा का अहसास हो.

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वो काफी उदास हो गई थी. मुझे भी बुरा लग रहा था, पर क्या कर सकता था.

दूसरे दिन लड़के वाले हमारे घर आ गए और उन्होंने स्नेहा को पसंद भी कर लिया. स्नेहा सबके सामने खुश थी, पर मुझे पता था उसके दिल पर क्या बीत रही थी.

लड़के वाले चले गए और दो ही दिन बाद लॉकडाउन का ऐलान हो गया.

आज पूरे 10 दिन हो गए थे. हम घर पर ही थे. श्वेता उसकी नानी के घर अटक गई थी. चाचा और स्नेहा के घर पर होने के कारण मैं चाची संग कुछ नहीं कर पा रहा था.
बैठे बैठे मेरे दिमाग में सिर्फ सेक्स के विचार घूम रहे थे. हर वक्त मेरा लंड चुदाई करने को बेताब हो रहा था.

मैं किचन में जाता तो चाची मौका देख कर मेरा लंड सहला देतीं. फिर मैं बाथरूम में जाकर लंड हिला कर उसका पानी निकाल लेता.

स्नेहा और चाचा घर में होने की वजह से खतरा बहुत था.

शाम को खाना खाने के बाद मैं और स्नेहा रूम में बैठे बात कर रहे थे.
स्नेहा का फोन आ गया, तो वो फोन पर बात करने लगी थी.
और मैं पोर्न क्लिप देख रहा था.

अचानक मुझे रोने की आवाज सुनाई देने लगी, तो मेरा ध्यान स्नेहा की ओर गया. वो अपने आंसू मुझसे छुपा रही थी. मैं उसके पास बैठ गया और उसे समझाने की कोशिश करने लगा था.

उसे अपने बीएफ की याद आ रही थी. मैंने काफी देर तक उसको समझाया.
थोड़ी देर मैं वो से गई. मुझे स्नेहा काफी अच्छी लगती थी, मैं उसकी काफी केयर भी करता था.
मैंने उठकर लाइट बंद कर दी और पोर्न देखने बैठ गया.

रात के करीब 12 बज चुके थे. पोर्न देखने की वजह से मेरा लंड काफी सख्त हो गया था. उसे हिला कर शांत करने के अलावा मेरे पास कोई विकल्प नहीं था.
रूम में काफी अंधेरा था, इस लिए मैंने अपना लंड अपने लोवर से बाहर निकाला और उसे हिलाने लगा.

चाची और श्वेता को याद कर मैं अपना लंड सहला रहा था. थोड़ी ही देर में मेरा पानी निकल गया. मैं अपना लंड पकड़ कर वैसे ही बाथरूम में चला गया.

मेरे लंड से पानी तो निकल गया था, पर वो सख्त अभी भी था. मैं वापिस रूम में आया और रूम की लाइट जला दी.
स्नेहा दूसरे बेड पर सो रही थी.

वो कुछ पटियाला टाइप की लोअर पहनी हुई थी और ऊपर एक टी-शर्ट थी, जो काफी ऊपर सरक चुकी थी.
इस वजह से मुझे नीचे से ऊपर की ओर देखने से उसकी पीठ साफ़ दिख रही थी.

उसकी पैंटी का ऊपर का हिस्सा भी दिख रहा था. वो सब देख कर मेरा बहुत बुरा हाल था.

मैंने 10-12 दिन से सेक्स नहीं किया था. मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने कभी स्नेहा के बारे में ये नहीं सोचा था.
तो मैंने एक चादर ले ली ताकि वो जाग भी जाए तो उसे कहूंगा कि मैं उसे चादर ओढ़ा रहा था.

मैं उसके पास चला गया. वो बड़ी गहरी नींद में थी. रो रो कर वो थक चुकी थी.

मैंने उसकी टी-शर्ट पीछे से नीचे करने के लिए उसकी टी-शर्ट को पकड़ा. टी-शर्ट के साथ मुझे उसकी ब्रा का हुक भी हाथ में लग गया. टी-शर्ट को नीचे करने की बजाए मैंने थोड़ा सा ऊपर की ओर सरका दिया. इस वजह से मुझे अब उसकी ब्रा के हुक पूरी तरह से दिख रहे थे.
मेरी तो जान निकल रही थी.

मैंने एक तरकीब निकाली. रूम की लाइट बंद करके मैंने छोटा वाला बल्ब जला दिया जिसके कारण मैं उसके पास जाकर उसे अच्छे से देख सकूं.

अब मैं स्नेहा के पीछे जाकर लेट गया. कुछ पल रुकने के बाद मैंने धीरे धीरे हाथ चलाना शुरू किए.

धीरे से उसकी टी-शर्ट उठा कर ब्रा का एक हुक निकाला. फिर रुका और दो मिनट बाद दूसरा भी हुक निकाल दिया.
उसके ब्रा की साइज करीब 34-डी साइज़ की होगी. मतलब उसके स्तन बहुत भरे हुए थे.
साली ने अपने ब्वॉयफ्रेंड से चुदाई के समय अपने मम्मे खूब मिंजवाए होंगे.

फिर धीरे से मैं अपना हाथ आगे की तरफ ले गया और धीरे धीरे उसकी एक चूची को सहलाने लगा.
मुझे काफी मजा आ रहा था. उसके बड़े स्तन दबाने से मैं तो जन्नत में विचरने लगा था.

अभी तक उसने कुछ विरोध नहीं किया था.

अब मुझे उसकी चूत देखने की इच्छा हो रही थी. मैंने धीरे से उसकी पटियाला पैंट पीछे से नीचे खिसका दी.
अन्दर उसने फूलों के प्रिंट वाली जालीदार पैंटी पहनी थी. जो उसके गोरे बदन की काफी सेक्सी लग रही थी.

इतने में वो पलट गई.
मैं आंख बंद करके सोने का नाटक कर रहा था.
उसने पास पड़ी हुई चादर ओढ़ ली और सो गई.

फिर मेरी भी आंख लग गई.

दूसरे दिन सुबह मेरी आंख देरी से खुली. पर अभी भी स्नेहा मेरे बाजू में सोई हुई थी. मैंने धीरे से उसकी टी-शर्ट के ऊपर से ही चैक किया, तो उसकी ब्रा का हुक लगा हुआ था.

मैं ये देख कर बहुत डर गया था. पर उस दिन उसने मुझे कुछ नहीं कहा.

दो दिन ऐसे ही चलता रहा. मैं रोज उसकी ब्रा खोल देता, थोड़ी देर उसके गोल गोल गुब्बारों को सहलाता और सो जाता.

फिर एक दिन सुबह सुबह बाहर बारिश हो रही थी, इसी लिए मैंने बाहर सुखाए हुए सभी कपड़े अपने रूम में ला रखे थे.
इतने मैं स्नेहा नहा कर मेरे कमरे में आई और अपने कपड़े खोजने लगी.
उसे ब्रा तो मिल गई थी, पर पैंटी नहीं मिल पा रही थी.

मैं बगल मैं ही बैठा था, तो उसने मुझसे पूछा- अरे राहुल

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Mujhe apne ghar me randi nach karvana h kiski maa bahane achha karti hai aise
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उसी पल चंचल को छोड़ दिया.
चंचल भी एकदम से सही होकर बैठ गई और मुझे बातें करने लगी.

एक मिनट बाद मधु मेरे पास आई और बोली- आप नहाकर फ्रेश हो जाओ, तब तक खाना भी तैयार हो जाएगा.

मेरा मन तो चंचल के साथ नहाने का हो रहा था.

तभी चंचल बोली- जीजू, आप मेरे बाथरूम में नहा लो, वहां आपको सब मिल जाएगा. तब तक मैं दीदी की किचन में मदद कर देती हूँ

मैं बाथरूम के अन्दर गया तो मेरा मूड फ्रेश हो गया. अन्दर एक हुक के ऊपर चंचल की ब्रा और पैंटी का सैट सूखने के लिए टंगा था.
मैं समझ गया कि मेरी चालू साली ने मुझे अपने बाथरूम में नहाने को क्यों कहा था.

मैंने अपने सारे कपड़ों को खोल दिया और शॉवर चालू करके अच्छे से अपने खड़े लंड को पकड़ कर उसे मसलने लगा.
फिर आंखें बंद करके चंचल की ब्रा पैंटी को लंड पर लपेट लिया और मस्ती से लंड की मुठ मारने लगा.

मुझे मुठ मारते समय कुछ ऐसा लग रहा था, जैसे मैं चंचल की चूत को रगड़ रहा था.

काफी देर तक रगड़ने के बाद मेरा लंड बुरी तरह से अकड़ गया और मैं आहें भरते हुए झड़ गया.
इस तरह से चंचल की पर्पल ब्रा पैंटी को मैंने सफेद रंग की मलाई से सान दिया और साबुन से नहा कर बाहर आ गया.

जब हम सभी लोग खाना खाने बैठे, तब मेरे एक तरफ मेरी वाइफ मधु बैठी थी और मेरी दूसरी बाजू में मेरी साली चंचल बैठी थी.
उन दोनों से मजे लेने के लिए बीच में मैं बैठा हुआ था.

मैं और मेरी वाइफ भी बड़े दिनों बाद मिले थे, इसलिए वो भी सेक्सी अंदाज से ताड़ रही थी.
खाना खाते हुए मधु मेरी जांघों के पास सहला रही थी.

मुझे भी मजा आ रहा था तो मैंने मधु का हाथ लेकर अपने लंड के ऊपर रख दिया.

मधु काफी दिनों से लंड की भूखी थी, इसलिए वो बेशर्म होकर मेरे लंड पर अच्छे से दबाव बना रही थी.

मैंने मधु के हाथ को लेकर पजामे के अन्दर डाल दिया.
अब मधु को डर लग रहा था कि कोई देख ना ले … पर मेरे कड़क लंड को छूने की मस्ती ने मधु को बिंदास बना दिया था.

हमारी इस मस्ती को चंचल देख कर इंजॉय कर रही थी. तभी मैंने चंचल का पैर लेकर अपने पैर पर रख दिया.
अब चंचल भी मेरे पैर पर अपने पैर को रगड़ रही थी.

दो दो चूत की चाहत से मुझसे रूका नहीं जा रहा था.
मुझे अब चूत की सख्त जरूरत थी. मैंने जल्दी से अपना खाना खत्म किया और मधु को इशारा किया.

मैं कमरे में चला गया और मधु का इंतजार करने लगा.

थोड़ी देर बाद मधु आ गई. मधु ने आते ही दरवाजा बंद कर दिया … शायद वो भी चुदने के लिए बेकरार थी.

मैंने बिना देरी किए मधु के होंठों को चूसना शुरू कर दिया. आज मधु के होंठ भी चंचल जैसे रसीले लग रहे थे.

मैंने मधु को बिल्कुल भी इंतजार नहीं करवाया और उसकी साड़ी को उतार कर उसकी चूचियों पर टूट पड़ा.

मधु बोली- आज क्या बात है … बड़े मूड में हो.
मैंने कहा- हां डार्लिंग तुमने मुझे बड़ा तड़पाया है. आज जम कर बदला लूंगा.

ऐसा बोलते हुए मैं अपनी बीवी की चूचियों को बुरी तरह से मसले जा रहा था.

मधु सिसियाये जा रही थी- आह मर गई … उई मां धीरे करो प्लीज … आह बेबी धीरे करो … आह मर गई आहह हहह आहिस्ते करो न यार!

पर आज मैं रूकने वाला नहीं था. कुछ ही देर में मैंने मधु को पूरी नंगी कर दिया और खुद भी केवल अंडरवियर में आ गया.
अब तक तो मधु भी समझ चुकी थी कि आज वो बुरी तरीके से चुदेगी.

मैंने मधु की टांगें खोल कर उसकी चूत को चूमना शुरू कर दिया.
मेरे होंठ जैसे जैसे उसकी चूत को चूसे जा रहे थे, वैसे ही वो पागल हो रही थी.

वो अपने हाथों से अपनी चूचियां मसलने लगी. अब मैंने जोर जोर से उसके निप्पल चूसना शुरू कर दिया.

मधु वासना से बोली- आह डार्लिंग और मत तड़पाओ … अब मुझसे रूका नहीं जा रहा है … प्लीज अन्दर डाल दो.

मैंने फट से मधु की टांगों को चौड़ी करते हुए फैलाया और अपने अंडरवियर को खोल दिया; थोड़ा सा थूक उसकी चूत पर लगाया और गप्प से पूरा लंड उसकी चूत में डाल कर उसे जोर जोर से चोदने लगा.

मेरी साली चंचल ने आज ऐसा मूड बना दिया था कि मेरी चुदाई से मधु पागल सी हो गई थी.

पूरा कमरा उसकी सीत्कार से गूंज रहा था और मैं बुरी तरीके से हांफते हुए उसको चोदे जा रहा था.

लगभग बीस मिनट बाद हम दोनों ने चरम सुख को पा लिया.
काफी दिनों बाद मैंने मेरी पत्नी की चूत को अपने माल से सराबोर कर दिया था.

आधा घंटा बाद मेरा वापस मूड बन गया, पर मेरी वाइफ काफी थक गई थी.
उसने मना कर दिया और वो उसी हालत में नींद की दवाई खाकर सो गई.

अब मैं आजाद था.

मैं सीधा चंचल के रूम में जा पहुंचा. चंचल जाग रही थी.
चंचल मुझे देख कर बोली- जीजू आप मेरे कमरे में इतनी लेट नाईट … अगर दीदी ने देख लिया, तो गजब हो जाएगा.

मैंने गेट बंद करते हुए कहा- तेरी दीदी अभी मुझसे चुदवा कर नींद की गोली खा कर सो गई है. मेरा लंड खड़ा है और अब तुम्हारा नम्बर है.
चंचल मुझसे लिपट कर बोली- जीजू मैं आपके लिए कबसे तड़प रही हूँ … आज मेरी प्यास बुझा दो.

उसकी चुदास देख कर मैं पूरे जोश में आ गया.
मैंने चंचल को बिस्तर पर पटक दिया और उसके कप

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देर करना उचित नहीं समझा और एक ही झटके में अपना लंड अंदर कर दिया।

हर्षिता अचानक हमले से आह कर बैठी और मुस्कुरा कर बोली- मार ही डालोगे क्या?
मैंने भी उतर दिया- ऐसे कैसे? कोई अपनी जान को मारता है क्या? तुम्हें तो हम अब छोड़ेंगे नहीं। इतना चोदन करेंगे कि तुम कहोगी कि बस ननदोई जी, जान बक्श दीजिए। आप तैयार हैं ना जन्नत की सैर को?

उनका हाँ का इशारा पाते ही मैं पहले मद्धम गति से चोदने लगा।

मेरा हर प्रहार ऐसे जा रहा था जैसे कोई सितार की तारों पर उंगलियाँ चला रहा हो।
चूत और लंड के टकराने से एक मद्धम संगीत निकल रहा था जो इस कामुकता में और चार चाँद लगा रहा था।

उस पर कामुक आहें आग लगा रही थी।

गति को मैं लगातार बढ़ा रहा था और चूत की गहराई को जैसे भेदे जा रहा था।

चूत में लंड की रफ़्तार अब मैं बढ़ने लगा और हर्षिता आह आह किए जा रही थी। उसके नीचे से धक्के बता रहे थे कि वो इस पल को कितना मज़ा ले रही है।

हमने अपना पोज़ बदला और कुत्ते कुतिया की पोज़ में आ गये।
मैंने फिर से एक बार बिना बोले एक झटके में लंड पेल दिया और घनघोर चुदाई शुरू कर दी।
यह मेरा पसंदीदा पोज़ है।

मेरा लंड अपने विकराल रूप में चूत की धज्जियाँ उड़ा रहा था। नायिका की कामुक आहें इसमें घी का काम कर रही थी।

हर्षिता ने कहा- और तेज़ करो … आज फाड़ दो … बना लो मुझे अपनी कुतिया! इस निगोड़ी ने मुझे बहुत परेशान किया है। आज इसकी अच्छे से मरम्मत हुई है।
और भी जाने क्या क्या वो बोलती रही।

मैंने फिर से जगह बदली और उसके एक टाँग को अपने एक हाथ पे उठा कर दुगनी रफ़्तार से चोदने लगा।
मैं चाहता था कि जिस चरमसुख की हर्षिता को तलाश है उसमें हम दोनों एक साथ स्खलित हों।

बाहर बारिश का शोर और अंदर चुदाई का तूफान अब ठहरने को था।
मुझे अंदर से एक गर्म लावे का अनुभव हुआ और मेरे लंड ने भी उसी पल अपनी बरसात अंदर ही कर दी।

उस रात मेरे वीर्य की कितनी मात्रा निकली मुझे खुद नहीं पता!
पर हाँ अन्य दिनों से कहीं ज़्यादा था।

हम दोनों थक कर चूर हो चुके थे पर ऐसा लग रहा था कि अभी भी प्यास अधूरी है।

हर्षिता उठी और बाथरूम में जाकर खुद को साफ किया और नग्न ही आकर मेरे बांहों में लेट गयी।
उस रात हमने बहुत देर तक बात की।

दोस्तो, अक्सर पुरुष सहवास के बाद सो जाते हैं जबकि महिलाओं को उसके बाद एक अलग प्यार और स्पर्श की ज़रूरत होती है। जिसके बिना प्यार अधूरा है।

आज हर्षिता बहुत प्रसन्न थी; उसे जिस चरम सुख की तलाश थी, वो उसे अपने ननदोई मतलब आपके प्रिय पथिक रंगीला में मिला था।

अभी हमारे पास कुछ और दिन शेष थे और हमने इसका भरपूर उपयोग किया।

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मैं और हर्षिता जी और उनके बच्चे रह गये थे।
रात का खाना बना, खाया और सोने चल दिए।

उस दिन अनायास ही मैं रात 1 बजे के लगभग जाग गया.
कारण था किसी के सिसकने की आवाज़ … जो हाल की ओर से आ रही थी।

मैंने हाल में आकर देखा तो ये हर्षिता थी.
और मुझे देखते ही वो पलट कर पौंछ कर झूठी मुस्कान के साथ बोली- क्या हुआ? नींद नहीं आ रही हमारी मधु के बिना?

मैंने भी मज़ाक में कह दिया- तो आप आ जाइए सुलाने मधु की तरह!
वो ‘धत तेरे की’ बोलकर शरमा कर जाने लगी।

मैंने रोकते हुए कहा- मेरे लिए पानी लेते आइए. और आइए कुछ बात करनी है।

वो रसोई की ओर गयी और तभी बाहर बारिश होने लग गयी।
उन्होंने आवाज़ लगा कर बोला- चाय भी लाती हूँ।

खैर वो आई और मैंने उन्हें समीप ही बैठा कर पूछा- आप क्यूं रो रही थी? आपसे पहले भी मैंने कई बार आपकी उदासी का कारण पूछा … पर आपने टाल दिया। आज आपको बताना पड़ेगा … मेरी कसम!

ये कसम भी बड़े कमाल की चीज़ है … ऐसे मौकों पर बड़े काम आती है।

उन्होंने मुझसे वादा लिया मैं ये बात किसी को भी नहीं बताऊंगा।
मैंने वादा किया.

फिर वो फफक का रो पड़ी.
मैंने उनका सर अपने कंधे पर रख कर गालों को सहलाते हुए ढाढस बँधाया।

यह पहली बार था जब मेरे दिल में उनके लिए तरंगें उठी. यह अहसास किसी प्रेमिका के कंधे पर सर रखने पर ही आता है।

हर्षिता ने बताया की साले साहब अब उन्हें प्यार नहीं करते, पहले 4-5 साल तो कोई दिन नहीं रहता था जब वो उनके साथ घर आके समय नहीं बिताते थे और रोज़ रात प्यार नहीं करते थे ।
पर अब…
वो बोलते बोलते रुक गयी।

मैंने उत्सुकता वस पूछ लिया- तो अब क्या बदल गया?
वो बोली- अब तो महीनों बीत जाते हैं. ना वो समय बिताते हैं, ना शारीरिक सुख देने की ज़रूरत समझते हैं। शारीरिक ज़रूरत तो मैं जैसे तैसे उंगली करके शांत कर लेती हूँ … पर एक पत्नी को जो वक़्त जो अपनापन चाहिए वो कहाँ से लाये।

मैंने उन्हें समझने की कोशिश की, बोला- सब ठीक हो जाएगा।
और मैंने कहा- और मैं हूँ ना … जब साली आधी घरवाली हो सकती है तो ननदोई भी तो कुछ होता होगा।
वो मेरे मज़ाक पर मुस्कुरा दी।

तभी अचानक बहुत तेज़ बिजली कड़क गयी और उसकी आवाज़ इतनी तेज़ थी की एक बार तो मैं भी धम्म से हो गया पर हर्षिता ने मुझे कस के पकड़ लिया।
मुझे कुछ समझ नहीं आया कि यह अचानक क्या हुआ।

अचानक मेरी और हर्षिता की नज़रें मिली और जैसे हम कहीं खोने से लगे।

अनायास ही मेरे होंठ हर्षिता के काँपते होंठ की ओर बढ़ने लगे।
हमने कितने देर तक चुंबन किया … बता तो नहीं सकता … पर ऐसा लगा वक़्त रुक सा गया था।

जब हम होश में आए तो मौन आँखों से इजाजत माँगी कि आगे बढ़ें?
हर्षिता ने पलकेन झुका दी.
यह इशारा काफ़ी था।

मैंने हर्षिता, जो अब तक साले की पत्नी थी, उसे अपनी बांहों में उठाया और प्यार करते हुए अपने कमरे की ओर बढ़ रहा था।
घर में मेरे, उसके और बच्चों के सिवा कोई ना था.
और बच्चे सो रहे थे।

हमें अब ना डर था ना अब होश ही रहा था।

मैंने उन्हें ऐसे उठा रखा था जैसे कोई फूल हो जो मेरे से टूट ना जाए, इसकी फ़िक्र हो। मैंने बहुत सलीके से उन्हें बिस्तर पर टिकाया और थोड़ा उठने को हुआ तो हर्षिता ने मुझे खींच लिया।

उसके मौन इज़हार में एक कशिश थी कि बहुत तड़प चुकी हूँ! और ना तड़पा मेरे साजन!

मैंने भी खुद को खो जाने दिया।
मेरे मन में कॉन्डोम का विचार आया पर वो विचार खो सा गया.

और मेरे हाथ अब हर्षिता के उन्नत उरोजों पर बढ़ चले।
उसकी चूची को मसलते हुए मुझे मजा आ गया.
और जैसे वो भी इस आनन्द में खोने सी लगी.

और पता ही ना लगा कब उनकी साड़ी उनके बदन से पेटिकोट के साथ मेरे कमरे के फर्श पर थी।

मेरे होंठों को चूसने और कपड़ों के ऊपर से मसलने का असर उन पर दिखने लगा था।
बारिश के शोर में हरषु की मादक आवाजें आग में घी का काम कर रही थी।
मैं एक अलग ही दुनिया में खोने लगा.

पर यह अहसास मुझमें जिंदा रहा कि जो आज मेरे साथ है, उसे सिर्फ़ चुदाई नहीं, बल्कि प्रेम की आवश्यकता भी है।

हर्षिता ने पलकें उठाई और पूछ लिया- आप अब तक कपड़ों में क्यों हैं?
मैंने कहा- यह काम तो आपको खुद ही करना पड़ेगा।

हर्षिता ने वक़्त ना गंवाया और मेरे कपड़े एक पल में ही ज़मीन पर उसके कपड़ों के साथ पड़े थे।

कपड़ों के अलग होते ही हर्षिता ने मेरे पूरे बदन पर चुंबनों की झड़ी लगा दी।
उन्होंने अपनी ब्रा और पैंटी को भी उतार फेंका।

मैंने भी उसका साथ देने के लिए अपने एकमात्र कपड़े को दूर फेंक दिया।
अब हम दोनों जन्मजात नंगे थे।
आग से तपते बदन, बाहर बारिश और दो लोग जो अब एक हो जाने को बेताब थे।

मैं उनके चूचों पर अपने जीभ फेरने लगा और एक हाथ से दूसरे चूचे को मसलने लगा।
वो पागल सी होने लगी. मुलायम चूचों पर अब कड़कपन आने लगा जो हर्षिता की उत्तेजना को बता रहा था।

मैंने बहुत देर तक चूचों को चूसा।
दोनों को बारी से मर्दन करते हुए इश्क की आग में मैं उन्हें लिए जा रहा था।

दो बदन ऐसे लग रहे थे

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ा जो फिर धीरे धीरे सो गया.

वो लेट तो गया लेकिन वो डर गया था. वो बोला- दीदी, मम्मी को मत बताना.
मैं बोली- नहीं बताऊंगी. मगर जैसा मैं कहती हूं फिर वैसा ही कर!

उसने कहा- हां. ठीक है. बताओ क्या करना है?
मैं बोली- मेरे पास आ जा और मेरी चूत को अच्छे से चाट.

ये सुनकर वो खुश हो गया और मेरे पास आकर उसने फिर से मुझे नीचे गिरा लिया.

उसके बाद वो जोर जोर से मेरी चूत में जीभ से चाटने लगा.

मैं तो पहले से ही गर्म थी. चूंकि अब भाई को मेरी चूत चाटने की अनुमति मिल गयी थी तो वो पूरे जोश में बिना डरे चूत को चाट रहा था.

इससे मैं जल्दी ही झड़ने को हो गयी. मैं बोली- रुक जा अब … आह्ह … रुक … मेरा आने वाला है.
वो बोला- आने दो दीदी, मैं आपका पानी पी जाऊंगा.

अब मैं तेज तेज कमर हिलाने लगी और अपनी चूत को उसके मुंह से चुदवाने लगी.
कुछ ही देर में मेरा पानी निकल गया और मैंने उसके मुंह को अपनी चूत पर दबा लिया.

उसने मेरी चूत का सारा पानी पी लिया. मैं शांत हो गयी.
फिर वो बोला- आपका तो हो गया लेकिन मेरे इसका क्या?
उसने अपनी कैपरी में तने लंड को दिखाते हुए कहा.

वो बोला- अब आपका तो हो गया, मेरा कौन करेगा?
मैंने कहा- ठीक है, मगर मैं थोड़ा सा ही करूंगी. ज्यादा नहीं.
वो बोला- ओके.

फिर उसने अपनी कैपरी निकाल दी और मैंने उसका लंड पहली बार देखा.
उसका लंड 6 इंच का था और रस में पूरा भीग गया था.
फिर मैंने उसके लंड को मुंह में लिया.

मुझे बहुत गंदा लगा. मैंने पहली बार लंड को मुंह में लिया था. फिर मैं चूसने लगी और धीरे धीरे मुझे अच्छा लगने लगा.
अब भाई के मुंह से आह्ह … आह्ह … करके आवाजें आने लगीं.

मैं बोली- क्या हुआ भाई?
वो बोला- करती रहो दीदी … बहुत मजा आ रहा है. चूसती रहो अच्छे से!

मैं और अच्छे से उसका लंड चूसने लगी क्योंकि मुझे भी अब लंड चूसने में काफी मजा आने लगा था.

पांच मिनट तक चुसवाने के बाद फिर उससे रहा नहीं गया और वो मेरे सिर को उठाकर बोला- बस दीदी … अब आपको चोदने का मन कर रहा है. अब चूत में डालने दो प्लीज.

मेरी चूत में भी खुजली मची हुई थी इसलिए मैंने भी मौके का फायदा उठाया और मैं चूत खोलकर उसके सामने लेट गयी.
वो मेरी टांगों के बीच में आ गया और मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा.

मैं भी पूरी गर्म हो गयी और मजा लेने लगी. अब मेरा मन खुद ही चुदने का कर रहा था.
मैंने कहा- भाई, जल्दी डाल दे.
लेकिन वो हरामी मेरी चूत पर लंड को रगड़ता ही रहा.

फिर उसने अपना लंड एकदम से मेरी चूत में धकेल दिया और मेरी आह्ह निकल गयी.
मैंने बहुत बार चूत में उंगली की हुई थी इसलिए मेरी चूत इतनी कुंवारी नहीं रह गयी थी.

उसका लंड मेरी चूत में फंस गया. मुझे दर्द तो हुआ लेकिन मैं बर्दाश्त कर गयी क्योंकि भाई का लंड भी औसत ही था.
फिर वो मेरी चूत में लंड घुसाकर मुझे चोदने लगा.

हम दोनों के मुंह से आह्ह … आह्ह … करके सिसकारियां निकलने लगीं.
मगर हमें ध्यान ही नहीं रहा कि घर में मम्मी पापा भी हैं.

वो तो अच्छा हुआ कि बाहर जोर से बारिश पड़ रही थी और हम भाई बहन की चुदाई की आवाजें हमारे मम्मी पापा को सुनाई नहीं दीं.

मुझे चुदाई में पूरा मजा आ रहा था. भाई भी पागलों की तरह मुझे चोदने में लगा हुआ था.

मैं अब बहुत ज्यादा गर्म हो गयी थी और जोर से चुदना चाह रही थी.
मैंने कहा- और तेज करो भाई.

वो बोला- हां चोद रहा हूं दीदी. मगर तुम्हें इतनी जल्दी क्यों मची है? हमें कोई ट्रेन पकड़नी है क्या?
मैं बोली- तू जोर से चोद … बहुत मजा आ रहा है … आह्ह … चोद भाई … चोद दे बहन को … बहन की चूत भाई के लंड से चुदना चाह रही है।

वो मुझे जोर जोर से चोदने लगा.

फिर वो थकने लगा तो मैंने उसको नीचे लेटा दिया और मैं उसके लंड पर बैठकर आगे पीछे होने लगी.
उसको थोड़ी राहत मिली और फिर हम दोनों फिर से एक दूसरे का साथ देने लगे.

मेरी चूत का पानी निकल चुका था जो भाई के लंड को पूरा गीला कर गया था. अब पच … पच की आवाज होने लगी और भाई भी झड़ने को हो गया.

वो बोला- आह्ह दीदी … और अंदर लो … आह्ह … लेती रहो … बहुत मजा आ रहा है… आह्ह … मैं आने वाला हूं दीदी … ओह्ह … मैं आने वाला हूं.

मैंने कहा- नहीं, अंदर नहीं गिराना है.
वो बोला- ठीक है तो मैं लंड को निकाल लेता हूं. बाहर गिरा दूंगा.
मैंने कहा- नहीं, बाहर भी नहीं गिराना है.

वो गुस्सा होकर बोला- साली … फिर कहां गिराना है?
मैंने कहा- मेरे मुंह में गिराना है. मैं पीना चाहती हूं. मैं भी देखना चाहती हूं लंड के माल का स्वाद कैसा होता है. तूने तो मेरी चूत के रस का स्वाद ले लिया. अब मैं लंड के माल का स्वाद लूंगी.

जब उसका निकलने को हुआ तो उसने मेरी चूत से लंड को निकाल लिया और उठकर मेरे मुंह में लंड दे दिया.

वो मेरे मुंह में लंड से चोदने लगा.
मैं भी लंड को चूसकर उसका रस चख रही थी लेकिन वीर्य आना बाकी था.

फिर वो जोर जोर से चिल्लाते हुए आहें भरने लगा और उसके वीर्य की गर्म पिचकारी मेरे मुंह में आने

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बुआ के पापा यानि मेरे पापा के चाचा ने पूछा- अब उसकी तबियत कैसी है क्या हुआ था?
मैंने कहा- कुछ नहीं सिर दर्द था, तो मैंने गोली दे दी थी. बुआ अभी आराम कर रही हैं.

फिर मैंने बुआ को नींबू पानी पिलाया.

रिश्तेदारों ने देख कर कहा- कुलजीत अपनी बुआ को बहुत मानता है.

दो दिन बाद बुआ की शादी हो गई थी. वो अगले दिन अपने ससुराल चली गईं.

बुआ के जाने के बाद अब इधर मेरी भी एक गर्लफ्रेंड बन गई है, फिर भी जब मुझे मौका मिलता है. बुआ की हर आसन में चुदाई कर लेता हूँ.

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मेरी उम्र 28 वर्ष है और मैं अन्तर्वासना का बहुत पुराना पाठक हूँ. इसकी सच्ची सेक्स कहानियों को पढ़ कर मुझे बहुत मज़ा आता है. इसलिए मैंने भी सोचा कि अपने जीवन के रोचक पल आपके साथ साझा करूं.

चूंकि ये मेरी पहली सेक्स कहानी है इसलिए ग़लती को नजरअंदाज करते हुए इस देसी बुआ सेक्स कहानी का आनन्द लीजिएगा.

जिस वक्त की ये घटना है, उस समय मेरी उम्र 19 साल की थी.
मेरी तीनों बुआओं में से दूसरे नंबर वाली रूबी बुआ की शादी होने वाली थी. रूबी बुआ मेरे पिताजी की चचेरी बहन है. संयुक्त परिवार होने के कारण सारा परिवार एक साथ एक बहुत बड़ी हवेली नुमा घर में रहता है.

हम लोग बचपन से साथ रहते आए थे. मैंने अपनी पढ़ाई भी रूबी बुआ के साथ ही की थी. लगभग हम उम्र होने के कारण हम दोनों हमराज़ दोस्त की तरह हैं. मेरी रूबी बुआ मुझसे तीन साल बड़ी थीं.

पूरे गांव में मेरी रूबी बुआ की खूबसूरती के चर्चे हुआ करते थे. रूबी बुआ सच में बहुत सेक्सी और बहुत सुंदर थीं.

बुआ की जवानी में उनकी फिगर का नाप 34डी-28-36 का था. बुआ एकदम दूध सी गोरी और कटरीना कैफ़ जैसी लगती थीं. जबकि फेमस पोर्न ऐक्ट्रेस मीया खलीफा जैसी क्यूट चेहरे वाली माल लगती थीं.

उनके बदन पर हर तरह की ड्रेस सुंदर लगती थी. जब भी वो बाहर जाती थीं, तो लोग एक नज़र देखने के लिए बेताब रहते थे.

मैं भी अब जवान होने लगा था. धीरे धीरे मुझे भी बुआ की जवानी लुभाने लगी थी.
अपनी इसी चढ़ती जवानी में मैंने पहली बार बुआ की लाल रंग की पैंटी में अपना लंड हिला कर उसका माल टपकाया था.

धीरे धीरे अब मैं उनसे ज्यादा क्लोज़ होने लगा था और उन्हें टच करने के बहाने खोजने लगा था.

उनकी मोटी-मोटी जांघें हों, पतली कमर हो या उठी हुई गांड हो … मैं हर जगह रूबी बुआ को टच कर चुका था.

पहले तो मैं बाथरूम में मुठ मारता था. अब मैं उनकी पैंटी चोरी करके अपने बिस्तर में लेट कर रात भर पैंटी को लंड के ऊपर लपेट कर उसमें कम से कम दो बार मुठ मारा करता था.

जिस समय मैं लंड हिलाता था, उस समय मेरी आंखों में बस बुआ की मदमस्त जवानी ही छाई रहती थी और मैं उनकी चूचियों के बारे में सोच कर लंड हिला लेता था.

कुछ दिन बाद मेरी बुआ को भी कुछ कुछ शक होने लगा था.
अब वो भी मेरे साथ और खुलने लगी थीं.
वो मुझे लड़कियों की प्रॉब्लम्स और अपनी पसंद और ना पसंद खुल कर बताने लगी थीं.

उन्होंने अपनी शादी के बारे में बताया कि उनकी शादी तय हो गई है.
मुझे भी मालूम था मगर उनकी शादी तय हो जाने की बात सुनकर मुझे न जाने क्यों बहुत गुस्सा आ गया.
मैं अपने रूम में जा कर लेट गया.

उस दिन बुआ मुझे मनाने मेरे रूम में आईं और उन्होंने मुझे पीछे से हग करके कहा- मैं अपने प्यारे बाबू को छोड़ कर नहीं जाऊंगी, जहां जाऊंगी साथ लेकर ही जाऊंगी.

बुआ ने पीछे से मुझे अपनी बांहों में भरा और मेरे गाल पर अपने चिकने गाल से टच कर दिया. फिर लंबी सी किस करते हुए टाइट हग कर लिया.

जब बुआ ने मुझे हग किया तो उनकी दोनों मुलायम और बड़ी बड़ी चूचियों को मैंने अपनी पीठ पर फील किया.
मुझे मजा आ गया.
कुछ देर बाद मैंने बुआ से हंस कर बात कर ली और उनके साथ मजाक करने लगा.

इस तरह से बुआ की पैंटी में मुठ मारते और बुआ के मादक बदन को स्पर्श करते करते उनकी शादी का दिन भी आ गया था.
पर आज तक उनके साथ कुछ करने की मेरी कभी हिम्मत ही नहीं हुई थी.

शादी के एक दिन पहले बुआ ने कहा- मेरा सर दर्द हो रहा है, तू मेरे लिए दवा ले आ.

मैं बुआ के लिए सिर दर्द की दवा लेकर उनके रूम में गया.

मैंने देखा कि बुआ आईने के सामने बैठ कर तैयार हो रही थीं. उन्होंने पजामे के ऊपर रेड चोली पहनी हुई थी. उनकी ये चोली बिना ब्रा की साफ़ समझ आ रही थी.
मैं उन्हें कामुकता से देखने लगा.

फिर मैंने उनसे बात करने की कोशिश की तो देखा कि बुआ एकदम उदास बैठी थीं.

मैंने बुआ से उनकी उदासी का कारण पूछा तो उन्होंने कहा- कुलजीत, तेरे बिना मेरा मन नहीं लगेगा.
मैंने भी कहा- हां बुआ, मैं भी आपके बिना नहीं रह पाऊंगा.

बुआ ने मस्ती भरे अंदाज़ में कहा- तुझे तो सिर्फ़ मेरी पैंटी पसंद है … मैं नहीं.

मैं ये बात सुनकर चौंक गया. और मैं मन ही मन में बोला कि बुआ आपको क्या पता … आपके लिए मैंने कितनी बार मुठ मारी है. आपकी चुत के लिए बेचारा लंड तड़फता है.

मगर सामने से मैं बुआ की बात सुनकर शर्म से सिर झुकाए खड़ा था.

बुआ ने मेरा हाथ पकड़ा और बोलीं- मुझे सब पता है.
ये कहते हुए बुआ ने मेरे हाथ को अपनी छाती के ऊपर हाथ रख कर दबा दिया.

मेरे हाथ से बुआ के रसीले मम्मे दबे तो मैं समझ गया कि आज लॉटरी खुल गई बेटा चढ़ जा बुआ के ऊपर और चोद दे इनको.

मैंने छाती से अपना हाथ तुरंत बुआ की गर्दन के पीछे ले गया और उनको अपनी तरफ खींचते हुए उनके होंठों को अपने होंठों से जकड़ कर किस करने लगा.

बुआ ने कुछ नहीं कहा, वो भी जोश में मेरी गर्दन के पीछे हाथ डालकर मुझे किस करने लगीं.

दो मिनट की किस के बाद मैंने उन्हें ग

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रही थी उसमें से!

फिर अगले दिन मैंने वही किया.
मैं जानबूझकर अपने कपड़े भूल गयी. कुछ देर बाद मैंने दरवाजा खोल दिया. मैंने आधा दरवाजा खोला था ताकि उसको ये लगे कि दरवाजा अपने आप ही हल्का सा खुल गया है.
मैंने समर को मेरे कपड़े लाने के लिए कहा.

मैं अपनी गांड को उसकी ओर करके नहाने लगी. मैं जानती थी कि बाहर से वो मुझे देख सकता था. मैं नहाती रही और वो कुछ नहीं बोला.

फिर मैं अचानक से उसकी तरफ घूमी तो वो दूसरी ओर घूम गया और एकदम से बोला- चाची … ये … ये आपके कपड़े लीजिये.
मैंने दरवाजा ढालकर मुस्कराकर कपड़े उसके हाथ से ले लिये. मैंने उसको अपनी गांड के दर्शन करवा दिये थे और उसने वो पूरा नजारा लिया.

अगले दिन तकरीबन 10 बजे वो उठकर चाय पी रहा था। तब मैं उसके सामने झुक झुककर झाड़ू पौंछा लगा रही थी.
मैंने देखा कि वो घूर घूरकर मेरे चूचों को देख रहा था.

तो मैंने उससे कहा- समर, मुझे आजकल रात में डरावने सपने आते हैं. मैं अकेली हूं और डर जाती हूं. अपने पापा से बोलकर तुम आज मेरे रूम में ही सो जाना. नहीं तो मैं रातभर जागती रहूंगी.

वो बोला- ठीक है चाची. मैं सो जाऊंगा.
अब मेरा काम हो गया था. आज मैं किसी भी हाल में रात को उसका लंड अपनी चूत में लेने वाली थी.

फिर वो रात को शॉर्ट्स पहन कर मेरे रूम में आया.
वो पूछने लगा- मैं कहां सोऊंगा?
मैं बोली- मेरे बेड पर ही सो जाना. तुम तो मेरे बेटे जैसे ही हो. तुम्हें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए मेरे साथ एक ही बेड पर सोने में?

वो बोला- हां, बिल्कुल चाची, मुझे क्या तकलीफ हो सकती है. मैं सो जाऊंगा इसी बेड पर।

मैं कपड़े चेंज करने के लिए बाथरूम में चली गई.
मुझे पता था कि समर को लाल रंग बहुत अच्छा लगता है इसलिए मैंने लाल रंग की ब्रा-पैंटी और मैक्सी पहनी।

जब मैं बाथरूम से बाहर आई तो वो मुझे देखता रह गया।

फिर मैं उसके पास जाकर बैठ गयी. वो टीवी देख रहा था. मैं भी टीवी देखने लगी.

मैं बीच बीच में उसके साथ बातें करने लगी. मैंने पूछा- समर कोई लड़की है तुम्हारी जिन्दगी में?
वो बोला- नहीं चाची, मेरी जिन्दगी में तो अभी कोई नहीं है.
ये कहते हुए भी उसकी नजर मेरे चूचों पर ही जा रही थी.

मैंने अपने चूचों को उसके सामने ही हाथों से एडजस्ट किया.
ऐसा करते ही उसने मेरे चूचों से नजर हटा ली.
मैं बोली- अरे शर्मा क्यों रहा है तू … अगर मन कर रहा है तो देख ले. मैं एक औरत हूं और तू एक जवान मर्द है … ये सब तो आम सी बात है.

वो शर्मा गया. फिर मैं उसके पास आकर बैठ गयी. मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और सहलाने लगी.
मैं बोली- अगर तेरे दिल में कुछ बात है तो तू मुझसे बेझिझक कह सकता है. मैं किसी को नहीं कहूंगी. मुझे तू अपनी दोस्त ही मान ले.

इस पर भी वो कुछ नहीं बोला.
मैंने उसके हाथ को अपने हाथ में लिये हुए ही अपना हाथ उसके शॉर्ट्स के ऊपर उसके लंड की जगह पर टिका दिया और मेरा हाथ ठीक उसके लंड पर जा टिका.

कुछ ही पलों के अंदर उसके लंड में आ रहा तनाव मुझे अपने हाथ पर महसूस होने लगा.
देखते ही देखते उसका लंड नीचे ही नीचे तन गया और मेरे हाथ पर दबाव बढ़ाने लगा.

उसकी सांसें तेज हो गयी थीं. वो अपने तनाव को रोक नहीं पा रहा था क्योंकि मेरी चूचियों की घाटी भी उसके सामने ही खुली हुई थी.
मैं बोली- तेरा मन कर रहा है ना?
वो कुछ नहीं बोल पा रहा था.

फिर मैंने उसका लंड अपने हाथ में उसके शॉर्ट्स के ऊपर से पकड़ लिया. उसका लंड हाथ में लेते ही मेरी चूत में तो खलबली मच गयी. इतना मोटा ताजा लंड था और वो भी एक 19 साल के जवान लड़के का।

मैं उसके लंड को सहलाने लगी और बोली- मुझे पता है तू मुझे चाहता है. तू शर्मा मत. कल मैंने तुझे मेरी पैंटी को सूँघते हुए देख लिया था.
उसने हैरानी से मेरी तरफ देखा और फिर मैं उसके करीब सरक गयी.

उसके दोनों हाथों को मैंने अपनी कमर पर लपेटा और उसकी गोद में जाकर उसके होंठों पर होंठों रखकर उसे किस करने लगी.
पहले तो उसने साथ नहीं दिया और शर्माता रहा.

फिर मैंने उसके हाथ अपने चूचों पर रखवा दिये और धीरे धीरे वो उनको दबाने लगा. अब उसके होंठ भी खुल गये और हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे.

कुछ ही देर में दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे. वो मेरे पूरे बदन पर हाथ फिरा रहा था और मैंने उसके शॉर्ट्स में हाथ डालकर उसके लंड को पकड़ लिया था.

अब मैंने अपनी मैक्सी खोल दी. मैं उसके सामने लाल ब्रा पैंटी में थी.

वो मेरी चूचियों पर टूट पड़ा. नया नया जवान हुआ था और उससे इंतजार नहीं हो रहा था.

फिर उसने मेरी चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही दबाया. मेरी चूत को हाथ से सहलाया.
मेरी चूत पहले से ही गीली होना शुरू हो गयी थी.

फिर मैंने अपनी ब्रा उतार डाली. अब वो मेरे मम्मों को चूसने लगा बिल्कुल एक छोटे बच्चे की तरह। बीच बीच में वो निप्पलों को काट भी लेता था।

तब हम दोनों पूरे नंगे हो गए। मैं उसका लंड हाथ में लेकर हिलाने लगी।

वो बोला- मुंह में नहीं लोगी मेरी जान … मुंह मे

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क धक्के के साथ उसकी चूत में लंड घुसा दिया.

दीदी की हल्की आह्ह निकली और उसने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया.
मैं लेटते ही दीदी की चूत में लंड के धक्के मारने लगा.
दीदी की चुदाई का पहला मजा मिल रहा था मुझे।

मुझे मजा आने ही लगा था कि दीदी ने मुझे रोक दिया।
वो बोली- अलमारी से कंडोम निकालकर पहन लो!

मैं गया और जल्दी से कंडोम निकालकर अपने लंड पर पहन लिया.

मेरे लंड में इससे पहले मैंने इतना तनाव महसूस नहीं किया था। कंडोम पहनने के बाद फिर मैंने चोदना शुरू किया।
दीदी भी मस्त होकर चुदने लगी।
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.

दीदी की चूत में लंड को पेलते हुए अब मैं दीदी की चूचियों पर मुंह लगाकर धक्के लगा रहा था.
कसम से दोस्तो, ममेरी बहन की चुदाई में इतना मजा मिलेगा मैंने सोचा नहीं था।

मैंने पांच सात मिनट तक दीदी की चुदाई की और फिर मेरा माल निकल गया और मैं दीदी के ऊपर लेटकर हांफने लगा.
उसने मुझे प्यार से सहलाया और फिर अपने ऊपर से उठा दिया.

कुछ देर तक मैं लेटा रहा और फिर वो उठकर अपने कपड़े पहनने लगी।
मैंने भी कॉन्डम उताकर फेंका और फिर खुद को साफ करके अपने कपड़े पहन लिये।

उस दिन मैंने दीदी को चार बार चोदा।
जीजा जी सुबह ऑफिस चले जाते थे और फिर मैं रोज़ नेहा दीदी को चोदता था।
दीदी अब नहाने के बाद बिना कपड़ों के ही मेरे सामने घूमती रहती थी।

मुझे अब वहां बहुत मजा आ रहा था. नेहा दीदी की बहुत सी नंगी फोटो और वीडियो मेरे मोबाइल में थीं।
मुझे अब दिल्ली में बहुत अच्छा लगता था।

दीदी की चुदाई रात को जीजा जी करते थे और सुबह मैं चोदता था। करीब 7 महीने बाद जीजा ने मेरे फोन से हम दोनों के फोटो देख लिए।

फिर उन्होंने नेहा दीदी को खूब मारा और मेरी भी खूब पिटाई हुई।
उनको बदनामी का डर लग रहा था; उन्होंने कहा कि ये बात कहीं और नहीं फैलनी चाहिए।

जीजा जी मेरे लिए फिर अलग कमरे का इंतजाम करने लगे। अब वो मुझसे नाराज भी रहने लगे।

उनके ऑफिस जाने के बाद मैं और नेहा अलग अलग कमरे में रहते थे. आपस में कुछ बात भी नहीं करते थे।

रात को जीजा जी अपना कमरा खुला रखकर दीदी को चोदते थे।

एक बार रात को जीजा जी ने मुझे कमरे में बुलाया। उस समय वे दोनों नंगे थे।
जीजा जी ने अंडे उबालकर लाने को कहा।
मैं अंडे उबाल कर ले आया।

जीजा जी ने उसे टेबल पर रखने को बोला और नेहा दीदी को चोदना शुरू कर दिया।
वो पूरी ताकत से दीदी के दूध दबाने लगे जिससे उनकी चीख निकाल रही थी।

चोदने के बाद मुझसे जीजा जी ने दारू के पैग बनाने को कहा.
फिर उन्होंने दारू पी और मुझे भी पिलाई.
अब उन्होंने अपने सामने ही मुझसे दीदी को चोदने के लिए कहा।

मैंने कपड़े उतार दिए और मैं नेहा दीदी के पास गया. उनके दोनों दूध मैं मुंह में लेकर चूसने लगा.
फिर मैंने उनको मज़े से चोदा।

जीजा जी नेहा दीदी को रण्डी बोल बोलकर गाली दे रहे थे।

सुबह तक फिर हम तीनों नंगे लेटे थे.
और वो फिर हम दोनों को बिना बोले ऑफिस चले गए।

मैं और नेहा दीदी बेड पर नंगे ही लेटे थे। अब अधिकतर रात को जीजा जी पीने के बाद मेरे साथ में नेहा की ठुकाई देखकर मज़े करते थे।

नेहा दीदी अब हर जगह नंगी घूमा करती थी। जीजा जी और मैं टीवी देख रहे होते थे तो भी नेहा दीदी नंगी आकर सोफे पर बैठ जाती थी.
उसको ऐसे देखना अब आम बात हो गई थी।

जीजा जी मुझसे कहते कि जिस दिन तुम शादी करोगे उस दिन तुम्हारी बीवी को खूब चोदूंगा।
नेहा भी ये सुनकर खूब हंसती थी।

इस तरह से हम तीनों की दोस्ती हो गयी और अब दीदी हम दोनों से चुदने लगी।

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सेक्स स्टोरी जो मैं अब बताने जा रहा हूं ये लगभग 3 साल पुरानी है। तब नेहा की उम्र 26 साल थी। वो मुझसे कई साल बड़ी थी। नेहा बहुत हॉट हुआ करती थी और उसके दूध बहुत मोटे थे। उसकी गान्ड चलते समय मस्त तरीके से हिलती और मटकती थी।

नेहा दीदी की शादी एक मोटे से आदमी से हुई थी। उसका पति सरकारी नौकरी करता था और दिल्ली में उसकी जॉब थी।
वो लोग सरकारी क्वार्टर में रहते थे। जहां केवल 2 कमरे थे।

वहां पर केवल वही दोनों रहते थे। जीजा जी के घर वाले अपने भोपाल वाले पुश्तैनी घर पर रहते थे।

उनकी शादी के 1 साल बाद ही मैं दिल्ली पढ़ने चला गया।

मुझे कॉलेज में पढ़ाई करनी थी और वहीं पर रहना था. मगर कॉलेज में हॉस्टल खाली नहीं था. जगह नहीं खाली होने के कारण मैं दीदी जीजाजी के साथ ही रहने लगा।

घर में दो कमरे थे और उनमें से एक कमरे में मैं रहने लगा. दूसरे में जीजा जी और नेहा रहने लगे।

रात के वक्त कभी कभी मुझे नेहा दीदी की चुदाई की हल्की हल्की आवाज़ें आती थीं।
दीदी जीजा चुदाई की आवाजें सुनकर फिर मेरा लन्ड खड़ा हो जाता था।

अब मुझे वहां पर रहते हुए एक महीने से ज्यादा हो चुका था।
मैं भी रात को ब्लू फिल्म देखता और दीदी की चुदाई की आवाज़ सुनकर मुठ मारता था।

जीजा जी मुझसे 10 साल बड़े थे और नेहा दीदी 6 साल बड़ी थी। मैं उन लोगों से काफी छोटा था। जीजा जी मुझसे बहुत मज़ाक करते थे।
कई बार वो मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछकर मज़ाक किया करते थे।

धीरे धीरे दिन गुजरने लगे. मुझे वहां रहते हुए छह महीने हो गये. दिल्ली की गर्मी तो आपको पता ही है.

उस वक्त दिल्ली में भयंकर गर्मी पड़ रही थी. हमारे यहां ए.सी. नहीं था बल्कि कूलर ही था।

एक दिन जीजा जी ने नेहा दीदी से कहा- घर में हल्के कपड़े पहना करो। इतनी गर्मी हो रही है।

दीदी कुछ दिनों बाद हाथों पर से खुला हुआ टॉप और हाफ स्कर्ट पहनने लगी।
मगर कोई जब बाहर से आता था तो दीदी अपने कपड़े बदल लेती थी. जीजा को इससे कोई दिक्कत नहीं थी.

नेहा दीदी की वो ड्रेस बहुत छोटी लगती थी। उनका आधे से ज्यादा सीना खुला रहता था। बिना झुके भी दीदी के दूध हल्के हल्के दिखते रहते थे। स्कर्ट भी ढीली सी और बहुत छोटी सी थी।

दीदी उस ड्रेस में बहुत सुंदर लगती थी। उनसे बात करते करते मेरी नजर उनके सीने पर चली जाती थी। वो भी मुझे देख लेती थी। मगर कुछ रिएक्ट नहीं करती थी।

हमारे घर में बाथरूम मेरे ही कमरे के बाहर था इसलिए जो भी नहाकर बाहर आता था तो उसी कमरे के सामने से होकर गुजरता था।

एक दिन ऐसे ही दीदी नहाकर मेरे कमरे के सामने से जा रही थी। मैंने देखा कि उन्होंने ऊपर टॉप पहना हुआ था और नीचे तौलिया लपेटा था। टॉप के अन्दर शायद वो ब्रा नहीं पहने हुए थी इसलिए चलते समय उनके दूध उछल रहे थे।

फिर वो कमरे में चली गयी.

मैंने सोचा शायद वो पूरे कपड़े पहन चुकी होंगी किंतु जब मैं उनके कमरे में गया तो देखा कि वो वही सब पहने हुए थी।

वो तौलिया लपेटे हुए अपने रूम में बैठकर सब्जी काट रही थी. उनके बूब्स के उभार साफ नजर आ रहे थे। उनकी चूचियों को देखकर मेरी पैंट के अंदर ही मेरा लंड टाइट होने लगा।

मैं बेड पर बैठकर उनसे बातें करने लगा और न चाहते हुए भी मेरी नज़र उनके दूध पर जाकर टिक जाती थी।
नेहा दीदी ये सब बार बार देख रही थी।

दीदी की चूची देखकर मेरा मन उनको दबाने के लिए कर रहा था. मैं उत्तेजित हो रहा था. मेरा वहां पर बैठना ठीक नहीं था क्योंकि मेरे मन में दीदी के लिए सेक्स के ख्याल आ रहे थे इसलिए मैं वहां से आ गया.

जब से दीदी ने वो छोटे कपड़े पहनना शुरू किया था तब से ही मेरा आकर्षण दीदी की ओर बढ़ता जा रहा था।
अब वो घर में कपड़ों के अंदर ब्रा और पैंटी भी नहीं पहनती थी। मुझे अब कभी उसकी पैंटी और ब्रा बाथरूम में या कपडों में सूखती हुई नहीं दिखती थी.
अब वो केवल स्कर्ट और टॉप या हल्के कपड़े ही पहनकर काम करती थी।

कई दिन से दीदी कह रही थी उसको अपने सिर में तेल की मसाज करवानी है।

एक दिन मेरी छुट्टी थी और दीदी ने नहाने के बाद मुझे अपने रूम में बुलाया और उसके सिर की मसाज करने के लिए कहने लगी.
मैंने दीदी के सिर की मसाज की। दीदी को बहुत आराम मिला.

एक दिन फिर वो कहने लगी कि जैसे सिर की मसाज की थी वैसे ही मेरी पीठ की मसाज भी कर दे।
दीदी ने मुझे रूम में बुला लिया और बेड पर लेटकर अपना टॉप निकाल दिया.

आज दीदी ने नीचे से ब्रा भी पहनी हुई थी।
उनकी ब्रा फुल साइज की थी जिसमें से उनके दूध और अच्छे से दिख रहे थे।

दीदी ने ब्रा पीछे से खोल दी।
उनकी पीठ बहुत ही मुलायम और चिकनी लग रही थी.

मैंने नेहा दीदी की पूरी पीठ पर तेल लगाया और पैरों पर भी तेल लगाया।
मैं धीरे धीरे मसाज करने लगा.

मैंने दीदी की पीठ को सहला सहलाकर मसाज की; उसके पैरों की मालिश की।
दीदी को बहुत आराम मिला और जब वो मसाज करवाकर उठी तो वो मुस्करा रही थी. फिर उसने मुझे थैंक्स बोला।

उस दिन के बाद दीदी अब मुझसे काफी ज्

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, तुमने मेरी पैंटी देखी क्या?
मैंने कहा- मुझे क्या पता?
वो बोली- अरे वो जो मैंने परसों के दिन पहनी थी ब्लू कलर की. जिसके आगे की तरफ से जाली है. तुमको कैसे नहीं पता.

तभी उस पैंटी मिल गई. उसने मुझे वो दिखाई और बोली- ये देखो, ये वाली … बाद में मत बोलना मुझे क्या पता.
ये कह कर वो गांड हिलाती हुई वहां से चली गई.

पांच मिनट बाद वो फिर से मेरे कमरे में आई, अभी भी उसने तौलिया ही लपेटा था.
वो बोली- राहुल एक चीज तो मैं तुम्हें दिखाना भूल ही गई … ये देखो!

ये कहकर उसने अपना तौलिया हटा दिया और अपनी ब्रा मुझे दिखाने लगी.
फिर बोली- ये ब्रा भी याद रखना.

ऐसा कह कर तौलिया लपेट कर वहां से चली गई.

मैं उसके इस एक्शन से काफी हैरान था कि वो ये सब क्यों कर रही है.

इस बीच उसकी चूचियां देख कर मेरा लंड सख्त हो गया था. मैंने वहीं पर अपना लंड निकाल कर उसे हिलाना शुरू किया और लंड का पानी निकाल कर लंड को अपने रूमाल से साफ कर दिया.

मेरा आज स्नेहा की तरफ देखने का नजरिया पूरी तरह से बदल चुका था.
शाम का समय था, वो मेरे कमरे में आई. हम दोनों बैठ गए और बातें करने लगे थे.

वो मुझसे कहने लगी- राहुल … यार मैं उसे अभी भी बहुत याद करती हूं. तुम मेरे बहुत अच्छे भाई हो, तुम मुझे समझ सकते हो. इसी लिए मैं तुम्हारे साथ इतना ओपनली बात करती हूं. आजकल मुझे रात को नींद ही नहीं आती. मुझे बार बार ऐसा लगता है कि वो मेरे साथ आकर सोया है, मुझे सहला रहा है. हम दोनों कई बार रात में अकेले घूमने जाया करते थे. वो जब मेरे साथ सोता था तो अक्सर मेरी ब्रा का हुक खोल देता था.

स्नेहा के मुँह से ये सब सुन कर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या कहूं.

आगे वो फिर कहने लगी- आजकल मैं रात में सपने में अपनी ही ब्रा का हुक खोल देती हूं और मुझे पता भी नहीं चलता. शायद ये उसकी याद के कारण हो रहा है.

इतना कह कर वो रोने लगी. वो गिरने को हुई, तो मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसे शांत करने लगा.

स्नेहा मुझसे पूरी तरह से चिपक गई थी. जिस कारण उसके मम्मे मेरी छाती से लग रहे थे. थोड़ी देर में वो मुझसे दूर हो गई और सो गई.

आज की बातें सुन कर मुझे इतना तो यकीन हो गया था कि मैं अगर कुछ करूं भी, तो ये मुझे कुछ नहीं कहेगी.

मैं अब रात गहराने का इंतजार कर रहा था.

रात के करीब 12:30 बज रहे थे. रोज की तरह मैं आज भी स्नेहा की ओर बढ़ गया.
उसकी टी-शर्ट ऊपर करके मैंने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए. उसे धीरे धीरे सीधा कर उसका टी-शर्ट को आगे की तरफ से भी उठा लिया.
हल्के से ब्रा को ऊपर को करके, मैंने उसकी एक चूची को किस किया.

उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. तो हिम्मत जुटा कर मैंने उसकी पैंट पूरी निकालने का फैसला लिया और उसके पैरों के पास बैठ कर उसकी पैंट दोनों तरफ से पकड़ कर धीरे धीरे घुटनों तक कर ली.

अन्दर उसकी जालीदार ब्लू पैंटी थी, बहुत ही अच्छी दिख रही थी.
मैंने धीरे धीरे कर उसकी पूरी पैंट निकाल दी. पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत का आकार दिख रहा था.
मैं उसकी चुत को देखने को काफी उत्सुक था.

अब मैंने उसकी टी-शर्ट को भी निकाल दिया था. अब वो सिर्फ मेरे आगे पैंटी में थी.

मैंने ऊपर से पूरी तरह से नंगी स्नेहा को देखने का कभी सपने में भी नहीं सोचा था.
उसके भूरे निप्पल को देख कर मुझे रहा न गया. मैं किसी छोटे बच्चे के जैसे उसके निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगा.

पर साथ मैं ये भी ध्यान दे रहा था कि उसकी नींद ना खुल जाए.
एक निप्पल को चूसते हुए मैं उसके दूसरे मम्मे को भी सहला रहा था.

अब तक मैंने अपनी टी-शर्ट को भी उतार दिया था.

करीब 20 मिनट तक उसके मम्मे चूसने के बाद मैं स्नेहा की साइड में हो गया और उसकी पैंटी उसके बदन से अलग कर दी.

उसकी चूत अलग सी महक बरसा रही थी. मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा कर दिया और दोनों टांगों के बीच बैठ गया.
मैंने धीरे से उसकी चूत को अपनी उंगली से सहलाया.
अब मैं अपने आपको नहीं रोक पा रहा था. मैंने सीधे ही उसकी चूत पर अपना मुँह रख दिया और धीरे धीरे उसकी चुत चाटने लगा.

स्नेहा आह भरने लगी थी, मुझे लगा अब वो जाग गई होगी. पर गौर से सुनने के बाद पता चला कि वो अपने बीएफ का नाम ले रही थी.
वो अभी भी अपने सपने में ही थी.

मुझे बहुत मजा आ रहा था.
मैंने वक्त जाया न करते फैसला ले लिया. मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रख दिया. एक छोटा सा धक्का मारा तो मेरा आधा लंड उसकी चूत के अन्दर चला गया.
वो जोर से चिल्लाई. पर उसकी आंखें अभी तक बंद थीं.

मैंने एक और धक्का देकर अपना 7 इंच लम्बा लंड उसकी चूत में पेल दिया. लंड चुत को फाड़ता हुआ अन्दर तक चला गया.

अब उसकी आंखों से पानी आने लगा था.
मैंने उसे रिलैक्स होने दिया.

कुछ पल बाद मैं धीरे धीरे आगे पीछे होने लगा. मेरा लंड अन्दर बाहर अन्दर बाहर हो रहा था. उसका बदन पूरा का पूरा हिल रहा था.

तभी मुझे उसकी चूत की गर्मी का अहसास होने लगा था. उसकी चूत काफी कसी

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दोस्तो, मेरा नाम राहुल है. मैं पुणे का रहने वाला हूं.

आज की सेक्स कहानी ज्यादा दिन पुरानी नहीं है. बस अभी अभी मेरे साथ हुई सच्ची घटना पर आधारित एक मस्त कहानी है.

दोस्तो, आप सभी ने कोरोना की वजह से काफी कुछ सहा होगा. मैंने भी सहा है.
इतने महीनों तक घर मैं रहना किस को पसंद है. फिर भी जिंदगी में कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जो अच्छे के लिए होती हैं.

दरअसल ये सेक्स कहानी, जिसमें मैंने हॉट बहन को चोदा, लॉक डाउन के पहले शुरू हुई थी.

मैं पुणे में अपने चाचा चाची और उनकी बेटी के साथ रहता हूं. मेरी चाची का नाम गायत्री है. चाचा का नाम महेश है और उनकी बेटी का नाम श्वेता है.

अच्छी खासी जिंदगी चल रही थी. ऑफिस शुरू था तो रोज आना जाना लगा रहता था. मैं अपनी चाची को चोद चुका हूँ.
और उनकी बेटी को भी चोद कर मजा लेता था.

चाची और उनकी बेटी को मालूम था कि मैं उन दोनों को चोदता हूँ मगर उन दोनों को इससे कोई दिक्कत नहीं थी.

एक दिन मेरी बुआ का मुझे कॉल आया. वो मेरे पापा की चचेरी बहन हैं.
उन्होंने मुझे कॉल किया और पहले तो मेरा हाल चाल पूछा.

बाद में बताया कि उन्होंने कॉल इसलिए किया है क्योंकि उनकी लड़की पुणे आ रही थी. उसका नाम स्नेहा था. वो मेरी ही उम्र की थी. अभी अभी उसकी पढ़ाई खत्म हुई थो. वो भोपाल से पुणे आ रही थी.

उसके आने की खबर सुनकर मैं काफी खुश था. मेरी और स्नेहा की काफी जमती थी. हम दोनों ने एक दूसरे के साथ बचपन में काफी टाइम गुजारा था.
वो मेरा बहुत अच्छे से ख्याल रखती थी. उसकी हर निजी बात मुझे मालूम थी.

इतना सब होने के बाद भी स्नेहा ने इस बारे में मुझे कुछ नहीं बताया था.
ये जानकर मुझे थोड़ा अजीब सा लगा. फिर मैंने उतना ध्यान नहीं दिया कि कुछ याद न रहा होगा या कोई और बात रही होगी.

उस दिन शाम के करीब 8 बज चुके थे. मैं ऑफिस से घर पर आ गया था. मुझे बहुत जोरों की भूख लगी थी.
मैंने अपने चचेरी बहन, जिसका नाम श्वेता है को आवाज लगाई और खाना लगाने को कहा.
वो आज बहुत नाराज सी दिख रही थी.

मेरे पूछने पर उसने बताया कि वो कल से एक हफ्ते के लिए अपनी नानी के घर जा रही है.
उसकी नानी का घर पुणे से करीब 20 घंटे की दूरी पर था.

उसके मुँह से ये सुन कर मुझे भी बुरा लगा. जैसा कि मैंने आपको बताया है कि हमारे बीच चुदाई के रिश्ते थे. मैं और श्वेता हफ्ते में दो तीन बार सेक्स कर लेते थे.
पर इस बार उसे चोदे मुझे एक हफ्ता हो गया था. ऑफिस के काम कारण मैं बहुत थक हार कर घर आता और सो जाता था.
श्वेता अपनी चुत में उंगली करके रह जाती थी.
पर आज जब मेरा काम खत्म हो गया तो श्वेता जा रही थी.

हम दोनों ने साथ में खाना खाया. खाने के बाद मैं अपनी चाची से कहकर श्वेता के संग रूम में चला गया.

कमरे के अन्दर जाते ही श्वेता ने मुझे कस कर पकड़ लिया. एक लम्बा किस दिया और बाथरूम में चली गई.
तब तक मैंने टी-शर्ट उतारी और बेड पर बैठ गया.

थोड़ी देर बाद वो बाहर आई, तो मैंने देखा कि श्वेता ने ब्लैक कलर की हनीमून नाइटी पहन रखी थी.
उसकी इस नाइटी में मम्मों के पास जालीदार नेट लगी थी और बस इतनी लम्बी थी कि ये नाइटी उसकी चूत को ढकने में असमर्थ थी.

मैंने देखा कि उसने अपनी चूत को शेव किया था. उसकी गुलाबी चूत बहुत खूबसूरत दिख रही थी. उसकी चुत का लाल दाना चूत के बाहर झांक रहा था.

उसे इस तरह से मैं झट से पूरा नंगा हो गया. मैंने उसे अपनी तरफ खींच लिया. फिर एकदम झटसे उसके पैरों को चौड़ा करके मैंने उसके अन्दर लंड पेल दिया.
लंड सरसराता हुआ चुत में अन्दर तक चला गया.

वो काफी गर्म हो चुकी थी, इसलिए उसकी चुत एकदम रसीली पड़ी थी. लंड घुसते ही उसकी आहें निकलने लगीं और उसे बहुत मजा आने लगा.
उसने झट से नाइटी उतार कर फेंकी और अपने मम्मे मेरे लिए खोल दिए.

मैं कुछ समझ पाता कि उसने मेरे सर को अपनी तरफ खींचा और अपने निप्पल मेरे होंठों से लगा दिए.
उसके निप्पल को चूसते हुए मैं उसे चोदने में लगा था. वो बड़े उत्साह के साथ मेरे लंड पर जोर जोर से गांड उछाल रही थी.

देखते ही देखते उसने मुझे झड़ने पर मजबूर कर दिया था. आज से पहले मुझे श्वेता के साथ इतना मज़ा कभी नहीं आया था. उस रात श्वेता ने पूरी रात करीब 4 बार मेरा पानी निकाला. वो अब खुश थी.

दूसरे दिन वो अपने नानी घर चली गई.

दो दिन बाद स्नेहा घर आ गई.
उस दिन संडे था तो मैं घर पर ही था.

आते ही उसने मुझे अपने गले से लगा लिया. वो मुझसे मिल कर काफी खुश थी.

रात का समय था, हम दोनों खाना खा चुके थे. बातों ही बातों में उसने मुझे बताया कि उसको देखने एक लड़का आने वाला है.
उसके मुँह से ये सुनकर मैं चौंक गया क्योंकि उसका तो पहले से एक बॉयफ्रेंड था, और वो उससे चुद भी चुकी थी. पर फिर भी उसने मुझे इस बारे में नहीं बताया था, ये मेरे लिए थोड़ा असहज करने वाला मामला था.

मेरे पूछने पर उसने बताया कि उसके बीएफ ने उसके साथ शादी करने से इंकार कर दिया. उसकी कुछ फैमिली प्रॉब्लम थी.
ये बताते वक्त

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ड़ों को उतार डाला.

चंचल को पूरी नंगी करके मैं उसके शरीर के हर अंग को चूमने और चाटने लगा.
उसके शरीर से मादक महक आ रही थी.

वो पजामे के ऊपर से मेरा लंड पकड़ने लगी तो मैंने पजामा और टी-शर्ट दोनों को खोल दिया.

मेरा तना हुआ लंड देख कर चंचल बोली- जीजू, आपका बहुत लंड बड़ा है … दीदी तो मर ही जाती होगी.
मैंने कहा- नहीं, आजकल तेरी दीदी मस्त होकर पूरा अन्दर लेती है. आज तुम भी लेकर देखो.

मैंने मेरा लंड जबरदस्ती उसके मुँह में डाल दिया.
वो खेली खाई लौंडियों की तरह मेरा लंड चूसे जा रही थी.

मैं पागल हुआ जा रहा था क्योंकि मेरी वाइफ को लंड चूसना बिल्कुल पसंद नहीं था. मैं मस्ती से नीचे से झटके मार रहा था और बार बार बिखर रहे चंचल के बालों को सही किए जा रहा था.

कुछ ही देर बाद हम दोनों यही चाहते थे कि पहले जीजा साली की चुदाई शुरू कर दी जाए.

मैंने एक सेकंड भी नहीं गंवाया और चंचल को कुतिया बना दिया.

चंचल बोली- जीजू, थोड़ा सा थूक लगा कर डालना.
मैंने कहा- हां मेरी जान, अभी ले.

मैंने बहुत सारा थूक उसकी चूत पर लगा दिया और एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत की जड़ तक अन्दर डाल दिया.

वो दर्द के मारे चिल्ला रही थी, पर मुझे मजा आ रहा था. मैं पूरे दम के साथ उसकी चूत को बजा रहा था.
वो कराहते हुए बोली- आह जीजू आहिस्ता चोदो … मार डालोगे क्या!
मैंने कहा- हां जान … आज तेरी निगोड़ी चूत की जान निकाल दूंगा.

ऐसा बोलते हुए मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी.
अब चंचल मस्त हो कर चुदे जा रही थी.

उसकी चूत खुल चुकी थी, इस वजह से उसकी चूत से फच्च फच्च की आवाज आ रही थी.
वो मस्त गांड हिला हिला कर चुद रही थी.

चंचल बोली- दीदी सही बोल रही थी, आप बड़ा जोर से पेलते हो. मेरी चूत का बाजा बजा दिया.

मैंने उसकी चूत को और ज्यादा रगड़ कर चुदना शुरू कर दिया.
इससे चंचल की चूत ने जवाब दे दिया और उसकी चूत झड़ गई.

थोड़ी देर में मैंने अपना माल भी उसकी चूत के हवाले कर दिया और हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर नंगे ही सो गए

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अर्न्तवासना पर ये मेरी पहली काल्पनिक जीजा साली की चुदाई कहानी है.
मुझे उम्मीद है कि ये आपके शरीर में इतना करंट पैदा कर देगी कि आप अपने लंड को हिला कर और चूत को रगड़ रगड़ कर इस करंट के झटके खा जाएंगे.

दरअसल मेरी नई नई शादी हुई थी. मैं और मेरी वाइफ मधु काफी खुश थे.
वैवाहिक जीवन के प्रथम छह माह में हम दोनों ने अनगिनत बार अलग अलग मुद्राओं में एक दूसरे को खुश और तृप्त किया.

छह माह बाद मेरी पत्नी अपने मायके में कुछ दिनों रहने के लिए गई.
जितने दिन वो मुझसे दूर रही, मेरा जीना मुश्किल हो गया.

मैंने उसकी अनुपस्थिति वाली रातों में अपने लंड को तकिए का सहारा लिया. उसी को गोल करके चूत सा छेद बना कर उसमें अपना लंड पेला. आहें भरते हुए रगड़ मारी और अपने चरम आनन्द का अमृत चादर और तकिये पर डाल दिया.

फिर एक दिन मुझसे रहा ना गया. मैं अपनी पत्नी को लेने अपनी ससुराल चला गया.

उधर मुझसे पहले मेरे ससुर जी और सासू जी मिले, उन दोनों ने मुझे बिठाया.
मेरी वाइफ मधु किचन में कुछ काम करती दिख रही थी.
मैं उसे देखता जा रहा था.

ये देख कर मेरी सासु ने मधु को आवाज दी.
मधु मेरे पास आकर बैठ गई.

मेरे सास ससुर हम दोनों को अकेला छोड़ कर दूसरे कमरे में चले गए.
हम दोनों बातें करने में लग गए.

मैं मधु को खा जाने वाली नजरों से देख रहा था, मेरा मन हो रहा था कि मैं मधु को यहीं सोफे पर ही पटक कर चोद दूं.

शायद मधु भी मेरी बैचेनी को समझ गई थी. वो शरमाते हुए बोली- आप चंचल से मिल लो, वो कबसे आपको याद कर रही थी. तब तक मैं आपके लिए कुछ बना देती हूँ.

अब मैं आपको चंचल के बारे में बता देता हूँ.
चंचल मेरी साली है. वो सांवली सी उन्नीस साल की मस्त लौंडिया है. मगर उसका शरीर ऐसा भरा पूरा है कि वो कम से कम 25 साल की भरपूर जवान माल लगती है.
उसका छरहरा बदन नागिन जैसा लगता है. उसके बदन में एक गजब सी कशिश और मादकता वाली बात थी.

उसकी मस्त बड़ी बड़ी चूचियां थीं. उसकी चूचियां उसकी उम्र के नजरिये से बहुत ज्यादा बड़ी थीं.
पता नहीं उसने अपनी चूचियों के साथ क्या किया या करवाया था कि समझ ही नहीं आता था.

मैं अपनी साली से मिलने चुपके से कमरे में घुसा, तो देखा चंचल लेटे लेटे कोई किताब पढ़ रही थी.
वो उस किताब पढ़ने में इतनी मस्त थी कि उसे ये भी ध्यान नहीं रहा कि मैं उसके कमरे में आ चुका हूँ.

अचानक मेरा ध्यान उसकी हरकतों पर गया, तो मैंने देखा कि उसका एक हाथ उसके पजामे के अन्दर था और वो मस्ती में चूर होकर अपनी चूत को रगड़े जा रही थी.
ये सब देख कर मैं थोड़ा छुप गया और मजे से सब कुछ देखने लगा.

शायद उसका पजामा उसकी चूत के कामरस को रोक ना पाया और भीग गया. उसका भीगा सा पजामा बता रहा था कि चूत का कामरस अपनी सीमाएं तोड़ कर बाहर आ चुका था.

अचानक मैंने बाहर जाकर उसे आवाज लगाई- अरे साली जी, क्या हाल चाल हैं?
चंचल मेरी आवाज सुन कर एकदम उठ कर बैठ गई, उसने किताब को चादर के नीचे छिपा दिया.

चंचल मुझे अन्दर आते देख कर बोली- ओह जीजू … आप कब आए?
मैंने कहा- बस अभी.

चंचल की कामुकता अब शर्म बन गई थी.

मैंने उसकी मस्त कड़क हो चुकी चूचियों पर अकड़े हुए निप्पलों को घूरते हुए पूछा- चंचल, क्या पढ़ाई चल रही थी?
चंचल बोली- क्कुछ नहीं जीजू, ऐसा कुछ नहीं … मैं तो बस सो रही थी.

मैंने चंचल के कामरस से भीगे पजामे पर नजर डाली, तो चंचल समझ गई कि मैं क्या देख रहा हूँ.
चंचल ने झट से तकिए से अपने पजामे को ढक लिया.

जब चंचल अपने पजामे को ढक रही थी उतनी देर में मैंने चंचल की बेडशीट के नीचे रखी किताब को बाहर निकाल कर अपने हाथ में ले ली.

चंचल मुझसे बोली- जीजू, प्लीज किताब दे दो … वो किताब मेरी नहीं है, प्लीज दे दो ना!
मैं बोला- चंचल, मैं भी तो देखूँ कि ऐसा क्या है इस किताब में?

ऐसा बोलकर जैसे ही मैंने किताब खोली, तो देखा कि एक मस्त बड़े चुचे वाली लड़की के निप्पलों को एक आदमी अपने होंठों के बीच पकड़कर खींच रहा था.
ये देखते ही मेरा लंड झटके खाने लगा.

मैंने चंचल की तरफ देखा, तो वो शरमाने लगी.

चंचल बोली- प्लीज जीजू दे दो ना किताब … ये मेरी सहेली की किताब है, गलती से मेरे पास आ गई है.
मैंने मुस्कुराते हुए कहा- किताब तो मिल जाएगी … पर इसके बदले तुम्हें कुछ देना पड़ेगा.
चंचल हंसते हुए बोली- जीजू आपको जो चाहिए … मिल जाएगा, बस आप मेरी किताब दे दो.

मैंने आगे बढ़ कर चंचल की चूचियों को बुरी तरह से मसल डाला.

चंचल ने अपनी मादक सीत्कार को दबा दिया और मस्त होकर अपनी आंखें बंद कर लीं- अह जीजू धीरे करो न!

मैंने उसकी दोनों चूचियों को हॉर्न की तरह दबा कर मसला और मरोड़ दिया.
वो फिर से आह आह करने लगी.

हम दोनों इतने जोश में आ गए थे कि ध्यान ही नहीं दिया कि कमरे का दरवाजा खुला है.
साली के साथ मस्ती में मुझे इस बात की कोई परवाह भी नहीं थी.

मैं उसके होंठों को चूसने लगा.

मेरा हाथ चंचल की चूत तक जा ही रहा था कि मुझे मेरी वाइफ के कदमों के आने की आवाज सुनाई दी.
मैंने

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अब एक हो गये हैं।

मैं चूमते चाटते हुए नीचे नाभि तक आया। मेरा पसंदीदा हिस्सा है नाभि क्षेत्र … मैंने बहुत प्यार से चूसा हर्षी के पेट को … और उन्हें बड़ा आनंद आया।
उन्होंने बताया कि वो एक अलग ही अहसास था।

उससे नीचे उतरने पर आया प्यारी चूत का नंबर!
जो मेरे इंतज़ार में पहले ही पानी पानी हो रही थी।

मेरी जीभ ने जैसे उसके तपते अहसास को ठंडक दे दी।

जीभ चूत को छुते ही हरषु उचक सी गयी और अगले ही पल मेरे सर को चूत पर दबाने लगी; जैसे समा लेना चाहती हो मुझे अपनी चूत में।

मेरी जीभ ने वो काम शुरू कर दिया था जिसमें उसे महारत हासिल थी।
मैं चूत रस का आशिक हूँ।

मेरी जीभ गहराई में और होंठ उसकी चूत की पंखुरियों को चूस रहे थे।
हम दोनों ऐसे ही खोते गये जब तक कि वो एक बार झड़ नहीं गयी।

हर्षिता ने बहुत कोशिश की मुझे हटाने की … पर मैं उसकी अमृत की हर बूँद पी गया।

हर्षिता किसी प्रेयसी की तरह मंत्रमुग्ध सी मेरे सीने से लिपट गयी जैसे मुझमें समा जाना चाहती हो।
मैंने भी उसे अपने आलिंगन में बाँध लिया।

यह पल वासना से तपते जिस्मों में जैसे एक ठहराव का पल सा था।

देखते ही देखते फिर हर्षिता मेरे होंठों पर टूट पड़ी।
इस बार उसका हमला किसी घायल शेरनी सा था।

हर्षिता बोली- मेरे रंगीले साजन … आज जो सुख तुमने दिया है, वो और किसी ने कभी नहीं दिया।

अनायास ही मैं पूछ बैठा- क्या भाई साहब के पहले भी किसी से किया है?
हर्षिता शरमा गयी और बोल पड़ी- आप भी ना! जाइए हम आपसे बात नहीं करते. क्या हम आपको ऐसे लगते हैं? आप दूसरे पुरुष हैं जिनसे मैं इस हद तक बढ़ी हूँ।

हर्षिता धीरे धीरे चुंबन का स्पर्श कठोर करती हुई नीचे बढ़ने लगी।
वो मेरे हर अंग को ऐसे चूम रही थी, चाट रही थी जैसे कोई बच्चा अपने मनपसंद रबड़ी को चाट रहा हो।

मेरी साँसें भी इस अहसास मात्र से रोमांचित हो उठी कि उसका अगला हमला मेरे लंड पर होने वाला था।
किसी गैर विवाहित महिला का इस शिद्दत से प्यार करना मुझे रोमांचित कर रहा था।

उसने मेरे लंड को मुंह में भर लिया।

होंठों की कसावट और जीभ की गर्माहट मुझे आनंद के दूसरे छोर पर लिए जा रहा था।
वो दिन दुनिया से बेख़बर सी मंत्रमुग्ध होकर इस कदर मेरा लंड चूस रही थी कि कुछ पल को लगा जैसे मैं अभी ही झड़ जाऊंगा।

मैंने स्वयं को संभाला, हरषु को एक पल को रोका और 69 की पोजीशन ले ली।
मेरा अनुभव है कि यह अवस्था … जब आपका साथी आपको सुख दे रहा हो, उसे भी वही चरमसुख साथ में मिले तो दोनों तृप्त हो जाते हैं।

वो चाव से मेरा लंड चूसती रही और मैं दूसरी बार उसकी चूत के अमृत का पान करने जा रहा था।

कामुक आवाजों से और चूसने की मद्धम आवाजों से कमरा काममय हो रहा था।
दोनों का जिस्म एक दूसरे को ऐसे चूस जाने को आतुर था जैसे कुछ रह ना जाए … या जैसे आज कयामत आने को है।

उसकी तप्त जिह्वा का स्पर्श मात्र मुझे संसार का सर्वोतम सुख देने को काफ़ी था।

मैंने उसकी चूत की फांकों को फैलाया और और जीभ को अंतरंग गहराइयों में घुसते हुए उसकी चूत को जीभ सख़्त करके चोदने लगा।
हर्षिता आह आह की आवाजें करती हुई लंड चूसने में लगी हुई इस पल का आनंद ले रही थी।

जैसे ही मेरी जीभ ने उसके चूत के अंतिम छोर को छुआ, उसने मेरे पूरे लंड को मुख में भर लिया।
अनायास ही मेरी कमर चल पड़ी और मैं उसके मुंह को चोदने लगा।
वो भी हर पल आनन्द लेती रही।

मैंने कहा- बाहर निकाल दो, मेरा आने वाला है।
हर्षिता ने दो पल रुक के लंड निकल कर कहा- आने दो मेरे साजन, मुझे भी तो अपनी रबड़ी खाने दो। तुम चालू रखो. आज मैं भी पहली बार दो बार बिना चुदे झड़ने वाली हूँ। आप तो सच में चोदन कला में पारंगत है ननदोई जी! आज ननद जी से मुझे सच में जलन हो रही है। काश आप मेरे पति होते!

मैंने कहा- अब तो हूँ ही! आधा ही सही!

अब मैंने अपनी गति बढ़ा दी और उसकी चूत और मेरे लंड ने एक साथ लावा उगल दिया।
जिसे ना मैंने व्यर्थ जाने दिया ना हर्षिता सलहज जी ने।

हम तृप्त थे … फिर भी अभी तड़प शेष थी।

दोनों नंगे ही आजू बाजू लेट कर बाते करने लगे।
साथ में मैं अपनी उंगलियों को उसकी रसीली चूत की फांकों को सहला रहा था।

धीरे धीरे वो फिर उत्तेजित हो गयी और बोली- अब बस भी करो, कब तक तड़पाओगे? अब मेरे प्यासी चूत को अपने प्रेम से पूर्ण भी कर दो.
और ऐसे कहकर उसने मेरे लंड को जो अभी आधा सोया था को सहलाना शुरू कर दिया।

लंड ने भी अपनी प्रेमिका को ज़्यादा इंतज़ार कराना ठीक नहीं समझा और एकदम लोहे के रोड जैसे कड़क हो गया।

हर्षिता ने एक बार फिर उसे चूसना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर में मैंने उन्हें रोका ताकि फिर झड़ ना जायें हम दोनों चुदाई से पहले।

अब लंड को मैंने हरषु की चूत पर रखा और सहलाने लगा.
मेरी हरकत हरषु के तन बदन में आग लगा रही थी.

उसने कतर नज़र से मेरी ओर देखा और बोली- मार ही डालोगे क्या? तड़पाना बंद करो और अपने लंड को मेरी मुनिया रानी में डाल दो. अब बर्दाश्त नहीं हो रहा।

मैंने भी

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आदरणीय देवियों, सज्जनों और प्रेम रसिकों को लेखक पथिक रंगीला का सादर प्रणाम।
मेरी उम्र 32 साल, लंड 6 इंच का और लंबाई 5′ 10″, गठीला शरीर है।

लंबे समय से एक बात दिल में छुपा रखी थी हमने!
वो बोली इस बात को एक कहानी का रूप दे दो मुझे भी अमर कर दो अपने संग संग।

पहली बार किसी प्रसंग को कहानी का रूप देने की कोशिश कर रहा हूँ. मेरी हॉट साली सेक्स कहानी में कुछ त्रुटि हो जाए तो क्षमा करें और अपना अमूल्य सुझाव देने की कृपा करें।

दोस्तो, यह बात 2 साल पहले की है उन दिनों की जब मेरी शादी मधु से हुए कुछ महीने ही बीते थे।
मधु मेरी धर्मपत्नी … क्या बदन पाया है उसने … क्या यौवन … और चुदाई का ऐसा शौक कि क्या कहना?

उन दिनों आलम यह था कि यदि मैं व्यवसाय के सिलसिले में पास के शहरों में कभी जाता तो वो मुझे जिद करके चार दिन के जगह दो दिन में ही लौटने को विवश कर देती थी।
मैं भी उसे बेहद प्रेम करता था तो कभी उसकी बात टाल नहीं पाता था और दौड़ा दौड़ा आ जाता था.

फिर बिस्तर पर हमारी घमासान चुदाई होती थी।

खैर ये कहानी मेरी और मधु की नहीं है, मेरी और मधु की कहानी मैं फिर कभी लिखूंगा।

चलिए मेरी इस कहानी चरम सुख की तलाश की नायिका से आपका साक्षात्कार कराते हैं।
उसका नाम है हर्षिता!
उस वक्त वो 35 वर्ष की थी।

यूँ तो रिश्ते में वो मेरी सलहज (साले की पत्नी, भाभी) लगती थी पर ये संबंध इस कहानी में रह नहीं जाता।
यह बात आगे आपको स्वतः ही समझ आ जाएगी।

यदि मैं अपनी हर्षिता को पंक्तिबद्ध करना भी चाहूं तो मेरे शब्द कम पड़ जायें!

वो चंचल शोख अदाओं की स्वामिनी,
अल्हड़ सी मस्ती लिए एक जवानी!
समर्पण की वो असीम मूरत सी,
समा जाने को बेताब खड़ी मेरी सोणी कली।
शांत इतनी कि दर्द और प्रेम की कोई थाह नहीं,
प्रेम प्रसंग पर आये तो रहे ना प्रेम रस में भीगे कोई अंग।

ये बात जून 2018 के बरसात के दिनों की है।
मेरी शादी को हुए कुछ महीने हो गये थे और मैं ससुराल उदयपुर में अक्सर आया जाया करता था।

मैं जयपुर से अपना व्यवसाय चलाता हूँ परंतु काम के सिलसिले में जोधपुर, उदयपुर, लखनऊ, दिल्ली जाना आना लगा रहता है।

मुझे इनमें उदयपुर जाना सबसे प्रिय है जिसका कारण उस वक़्त एक तो उस शहर का सौंदर्य और उस पर ससुराल की विशेष आवभगत!

पर अब उसमें एक विशिष्ट नाम मेरी चरमसुख की साथी हर्षिता का नाम भी जुड़ चुका है।
जो अब सबसे महत्वपूर्ण है।

मुझे 5 दिन का काम था पर मैं काम 3 दिन में ही निपटा कर एक दो दिन ससुराल में विशेषकर हर्षिता के स्वादिष्ट पकवानों का मज़ा लेते हुए बिताना चाहता था।

उस वक़्त तक ना मुझे पता था, ना मेरी साथी हर्षिता को कि उसको जिस सुख की तलाश पिछले कई साल से है, वो अब बहुत करीब है।

सलहज जी हमेशा से ही शांत सुंदर घरेलू महिला थी जिन्हें देख कर कोई अंदाज़ा ही नहीं लगता था कि इस शांत चित्त के पीछे ख्वाहिशों का एक पहाड़ दबा है।
एक अंतहीन तलाश है अनकहे से अधूरे से सुख की … जो सभी सुखों से बड़ा है।

मेरी महिला पाठक यह बात भली भाँति समझ सकती हैं कि चरमसुख कितना अनमोल है; और कैसे अनेकों भारतीय महिलायें उसे बिना अनुभव किए जिए जा रही हैं।

दो वर्षो पूर्व हर्षिता भी उन्ही में से थी।

पर क्या प्यारी सलहज जी को सिर्फ़ चुदाई वाले चरमसुख की तलाश थी या कुछ और भी?
चलिए ढूंढते हैं कहानी में।

हमारा रिश्ता मस्ती मज़ाक का था तो वो काफ़ी खुल के मजाक किया करती थी.
जैसे कि ‘सुना है कि मेरी मधु को आप सोने नहीं देते?’
और मैं शरमा जाया करता था।

आप समझ ही सकते हैं कि नयी नयी शादी के बाद ससुराल वालों की ये बातें अनायास ही हमें शरमाने पर विवश कर ही देती हैं।
यूँ तो हर्षिता जी के दो बच्चे थे पर उनको देख कर लगता नहीं था कि वो 25-26 से अधिक की होंगी।

उन्होंने आज भी स्वयं को बहुत संभाल कर संवार कर रखा है। आज भी कोई बूढ़ा भी उन्हें देखे तो उसका खड़ा हो जाए।
34-28-36 का साइज़ किसी पर भी कहर बरसाने को काफ़ी है।

मेरे साले साहब एक बड़े बैंक के मार्केटिंग विभाग पर कार्यरत हैं और महीने का बड़ा हिस्सा अलग अलग जगहों पर व्यवसाय (क्लाइंट) के लिए बिताते थे।

उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं थी पर शायद उन्होंने दो बच्चे होने के बाद इसे अत्यधिक गंभीरता से ले लिए था या उनका मन अब सेक्स जैसी चीजों में पूरी तरह नहीं लगता था।

खैर उनकी वो जाने, पर इस बात का असर सलहज जी पर पड़ने लगा था।
मैंने कई बार उनकी आँखों में एक अज़ीब सी ख़ालीपन देखा था। कोशिश भी की थी जब हम साथ होते तो कारण जानने की … पर वो हमेशा कोई ना कोई बहाना करके पीछा छुड़ा लेती थी।
पर उन्हें कहा पता था कि उसका समाधान ही उनसे कारण पूछ रहा था।

आज मैं काम से लौटा तो पता चला कि साले साहब अभी अभी माता पिताजी के साथ अजमेर की ओर निकले हैं जो सासू जी का मायका है. और एक दिन रुककर वो आगे अपने काम के सिलसिले में और 4 दिन रुकेंगे।

मैं यह जानकर मंद मंद मुस्काया क्योंकि घर में

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